पलवल के नेशनल हाइवे -19 पर धरने पर बैठे किसान शनिवार को केएमपी-केजीपी एक्सप्रेस-वे सुबह 11 से शाम चार बजे तक जाम करेंगे। संयुक्त किसान मोर्चा की अपील पर किसानों ने केएमपी एक्सप्रेसवे जाम करने का एलान किया है। नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन शुक्रवार को 100वें दिन भी जारी रहा। विभिन्न जगहों पर धरने पर मौजूद किसानों नेताओं ने कहा कि आंदोलन जारी रहेगा। जब तक नए कृषि कानून वापस नहीं होते और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून नहीं बनता, किसान घर वापसी नहीं करेंगे।

किसान नेता मास्टर महेंद्र सिंह चौहान और राजकुमार ओलिहान ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर छह मार्च को केएमपी-केजीपी एक्सप्रेस-वे जाम करने की पुख्ता तैयारी की गई है। किसान सड़क पर टोल बैरियर पर बैठकर जनसभा करेंगे और विरोध-प्रदर्शन करेंगे और वहीं चोपाई व रागनियां आयोजित की जाएंगी। गांवों से किसान ट्रैक्टर-ट्रालियों में धरनास्थल पर पहुंचेंगे और एक्सप्रेस-वे को 11 से शाम चार बजे तक जाम कर दिया जाएगा।

किसान संगठन की तैयारी को देखते हुए पुलिस सतर्क है। पलवल के पुलिस अधीक्षक दीपक अहलावत ने कहा कि पुलिस बल की विशेष ड्यूटी लगाई गई है। आरएएफ की कंपनियां भी तैनात रहेंगी।

किसान नेताओं के मुताबिक, इसके अलावा सात मार्च को कर्नाटक से यात्रा दिल्ली पहुंचेगी। आठ मार्च को धरना स्थल पर किसान महिला दिवस मनाएंगे। किसान महिलाओं का सम्मान किया जाएगा। उन्होंने बताया कि आंदोलन को तेज करने के लिए गांवों में जागरूकता अभियान जारी है। किसान संघर्ष समिति के पदाधिकारी रोजाना सुबह 10 से 1 बजे तक गांवों की चौपाल व सामूहिक जगहों पर सभाएं आयोजित कर लोगों को कृषि कानूनों के नुकसान बता रहे हैं।

तीनों कृषि कानून वापस लेने ही होंगे _: राहुल गांधी</strong>
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने तीन नए केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन के बाकी 100 दिन पूरा होने पर शुक्रवार को कहा कि सरकार को ये कानून वापस लेने ही होंगे। उन्होंने ट्वीट किया, ‘बीज बोकर जो धैर्य से फसल का इंतजार करते हैं, महीनों की प्रतीक्षा व ख़राब मौसम से वे नहीं डरते हैं।

तीनों कानून तो वापस करने ही होंगे।’ उल्लेखनीय है कि पिछले 100 दिनों से दिल्ली के निकट के कई स्थानों पर कई किसान संगठन प्रदर्शन कर रहे हैं। उनकी मांग तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने और न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी वाला कानून बनाने की है।