कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों की तरफ से शनिवार को केएमपी एक्सप्रेसवे को 24 घंटे के लिए जाम करने का आह्वान किया गया था। लेकिन पलवर के किसानों ने सड़क जाम के कार्यक्रम से अपने आप को अलग कर लिया। किसानों का कहना है कि संयुक्त किसान मोर्चे के अब तक के आंदोलन का हम समर्थन करते रहे हैं। लेकिन अभी फसलों की कटाई का मौसम है ऐसे में सड़क जाम कर पाना संभव नहीं है।
किसानों की तरफ से सड़क जाम कार्यक्रम के एक दिन पहले ही बैठक कर निर्णय लिया गया कि केएमपी एक्सप्रेसवे को जाम नहीं किया जाएगा। किसानों के आंदोलन में हिस्सा नहीं लेने के कारण पलवल में सड़क जाम का कोई असर नहीं देखने को मिला। किसान नेता राजकुमार ओलियान ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा के हर अह्वान का पलवल जिले में किसानों द्वारा सफल बनाया गया है। लेकिन फसलों की कटाई के समय को देखते हुए संयुक्त किसान मोर्चा के केएमपी एक्सप्रेसवे को जाम करने के अह्वान को पलवल जिले में सफल नहीं बनाया जाएगा।
किसान नेता ने कहा कि मोर्चा कि तरफ से आगे जो भी आह्वान किया जाएगा उसे पलवल में शांतिपूर्ण तरीके से सफल बनाने का प्रयास किया जाएगा। बताते चलें कि संयुक्त मोर्चा के कार्यक्रम को देखते हुए प्रशासन की तरफ से पूरी तैयारी की गयी थी। लेकिन आंदोलन कारी सड़क पर नहीं उतरे।
बताते चलें कि शनिवार को किसानों की तरफ से कई जगहों पर केएमपी एक्सप्रेसवे को जाम कर दिया गया। नेशनल हाइवे पर गन्नौर और मुरथल में भी भारी जाम देखा गया। प्रशासन की तरफ से केएमपी की सुरक्षा के लिए 20 कंपनी जवानों को लगाया गया है।
किसानों का आंदोलन जारी है: तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन लगातार जारी है। पिछले लगभग 135 दिनों से किसान दिल्ली बॉर्डर पर बैठे हुए हैं। सरकार के साथ 11 दौर की वार्ता के बाद भी दोनों पक्ष के बीच कोई फैसला नहीं हो पाया। जिसके बाद से सरकार और किसानों के बीच डेडलॉक जारी है। दोनों ही पक्षों के बीच अंतिम बार वार्ता 22 जनवरी को हुई थी।