निर्भय कुमार पांडेय
उन्होंने कहा कि हमने नए साल के जश्न के मौके पर गुलाब-जामुन की व्यवस्था की है और उन्हें किसान भाइयों में बांटेंगे। इसी संघर्ष के साथ किसानों को उम्मीद है कि नए साल पर केंद्र सरकार उनके लिए सार्थक पहल करेगी।
किसानों की छठे दौर की बातचीत बुधवार को हुई थी, जिसमें कुछ मुद्दों पर बात बनी है। पर किसान तीनों कानूनों को रद्द करने की मांग के साथ ही न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गांरटी की मांग कर रहे हैं।
किसानों को उम्मीद है कि इसी प्रकार नए साल पर केंद्र सरकार किसानों के मद्दे पर सार्थक पहल करेगी और बीते एक महीने से अधिक वक्त से जो किसान सीमाओं पर बैठे हैं, खुशी-खुशी अपने घर लौटेंगे। नए साल की जश्न की तैयारी भी चिल्ला और गाजीपुर स्थित यूपी गेट पर देखने को मिली। शाम से ही ढोल के साथ किसानों ने नए जश्न की तैयारियां शुरू कर दीं।
चिल्ला बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे भारतीय किसान यूनियन (भानू) के राष्ट्रीय महासचिव मनोज नागर ने बताया कि उम्मीद है कि नए साल में भाजपा की सरकार को भगवान सदबुद्धि देंगे और किसानों की मांगें मान ली जाएंगी। उनका कहना है कि यह समय खेतों की सिंचाई का है। इस वक्त महिलाएं और बच्चे ही खेती का काम कर रहे हैं।
अगर समय रहते सरकार नहीं चेती तो इसका असर काफी हद तक खेती पर पडेÞगा और गेंहू के अलावा दलहन, तिलहन के साथ ही मौसमी सब्जियों के उत्पादन पर असर पड़ेगा। अगर चार जनवरी को सरकार मांगे नहीं मानती है तो आगामी 26 जनवरी को किसान ट्रैक्टर ट्रॉली के साथ गणतंत्र दिवस की परेड में शामिल होंगे।
गाजीपुर पर बैठे किसान महिंदर सिंह ने बताया कि यह पहली बार हुआ है जब किसान अपने परिवार और बच्चों से दूर सड़क पर नए साल का जश्न मना रहे हैं।