दिल्ली की सीमाओं पर केन्द्र के तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन 100 दिन से भी ज्यादा समय से जारी है। पिछले साल नवंबर में शुरू हुआ आंदोलन मार्च में भी जारी है। इसी बीच भारतीय किसान यूनियन (BKU) के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने केंद्र सरकार को धमकी दी है कि अगर कानून वापस नहीं लिए गए तो वे अब कंपनियों के गोदामों को निशाना बनाएंगे।
टिकैत ने केंद्र सरकार को स्पष्ट शब्दों में चेतावनी दी है कि यदि तीन कानूनों को वापस नहीं लिया गया, आंदोलन की अगली कार्रवाई के तहत कुछ निजी कंपनियों के गोदामों को ध्वस्त कर दिया जाएगा। अबोहर से 40 किमी दूर श्रीगंगानगर में संयुक्ता किसान मोर्चा (SKM) के आह्वान पर बुलाई गई ‘किसान महापंचायत’ में टिकैत ने कहा कि कुछ निजी कंपनियों ने नए कानून को ध्यान में रखते हुए बड़े-बड़े गोदामों का निर्माण किया है और अनाज का भंडारण करना शुरू कर दिया।
टिकैत ने कहा कि भाजपा नीत राजग सरकार बैंकों, बीमा कंपनियों और अन्य सरकारी उद्यमों को निजी कंपनियों को बेचने की योजना बना रही थी। सरकार कानून लाने जा रही है जिसमें दूध, बिजली, फर्टिलाइजर, बीज और मोटर वाहनों की मार्केटिंग कॉर्पोरेट्स के हाथों में चली जाएगी।
उन्होंने युवाओं को किसानों के आंदोलन की जिम्मेदारी लेने और खेतों की ओर रुख करने और खुद के लिए रोजगार पैदा करने का आह्वान किया। टिकैत ने कहा कि मीडिया कर्नाटक, तमिलनाडु और देश के अन्य हिस्सों में किसान आंदोलनों की खबर नहीं दिखा रहा है, लेकिन हम सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों तक पहुंचेंगे। ओडिशा और मध्य प्रदेश में अगले 15-20 दिनों में एमएसपी खरीद आंदोलन शुरू होने वाला है।
अपने आंदोलन को तेज करते हुए संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने 26 मार्च को अपने ‘संपूर्ण भारत बंद’ के लिए रणनीति बनाने के लिए विभिन्न जन संगठनों और संघों के साथ बुधवार को मुलाकात की। गंगानगर किसान समिति के रंजीत राजू ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि किसान आंदोलन के चार महीने 26 मार्च को पूरे होने के मौके पर राष्ट्रव्यापी बंद के आह्वान के दौरान भी दुकानें और व्यापारिक प्रतिष्ठान 12 घंटे तक बंद रहेंगे। इसके बाद, 28 मार्च को केंद्र के तीन नये कृषि कानूनों की प्रतियों का होलिका दहन किया जाएगा।
उन्होंने बताया, ‘‘बंद सुबह छह बजे शुरू होगा और शाम छह बजे तक चलेगा और इस दौरान सभी दुकानें तथा डेयरी और सब कुछ बंद रहेगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम तीन (नये कृषि) कानूनों की प्रतियों का होलिका दहन करेंगे और उम्मीद है कि सरकार को सदबुद्धि आएगी और वह इन कानूनों को रद्द करेगी तथा एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) के लिए लिखित गारंटी देगी।”