पंजाब-हरियाणा की शंभू बॉर्डर पर किसान आंदोलन जारी है। बुधवार का दिन काफी तनावपूर्ण रहा। किसानों ने दावा किया है कि हरियाणा पुलिस और सुरक्षा बलों की गोली से एक आंदोलनकारी किसान की मौत हो गई है। हालांकि हरियाणा पुलिस ने इस दावे को सिरे से खारिज कर दिया है। किसान क्यों आंदोलन कर रहे हैं, एमएसपी क्यों ज़रूरी है और इससे जुड़ा कन्फ़्यूजन क्या है, क्यों पंजाब के ही किसान कर रहे हैं विरोध? ऐसे ही कुछ सवालों पर जनसत्ता.कॉम के साथ सामाजिक कार्यकर्ता योगेन्द्र यादव ने बातचीत की है।

क्यों है किसानों को MSP की ज़रूरत?

जवाब : एमएसपी की जरूरत है किसानों को उनकी मेहनत का वाजिब दाम दिलवाने के लिए। किसान यह नहीं कह रहा है कि राशन की दुकान में गेहूं नहीं है इसलिए मेरा गेहूं खरीदो– नहीं। बल्कि किसान कह रहा है कि मैं मेहनत करता हूं, मुझे मेहनत का वाजिब दाम मिलना चाहिए, मुझे दाम मिलता नहीं है। आप भारत सरकार की वेबसाइट (https://agmarknet.gov.in/) पर देख सकते हैं जहां हर रोज़ मंडी में किसान को क्या दाम मिल रहा है— यह वेबसाइट हर रोज़ यह दर्ज करती है कि भारत सरकार जिसको न्यूनतम दाम कहती है वो इस देश के 80 प्रतिशत किसानों को नहीं मिलता है। भारत सरकार CACP की रिपोर्ट जारी करती है जिसमें हर छः महीने में दर्ज किया जाता है कि फलां फलां फसल में 60 प्रतिशत किसानों को दाम नहीं मिला, फलां में 70 प्रातिशत किसानों को दाम नहीं मिला। तो यह किसानों का आरोप नहीं है बल्कि यह भारत सरकार द्वारा दर्ज फ़ैक्ट है। तो जब किसान कहते हैं कि इसके लिए हमें एमएसपी दीजिए तो यह ऐसी-वैसी फालतू बात नहीं है। पीएम मोदी ने भी आज से 10 साल पहले हर जनसभा में कहा था कि हम किसानों को कानूनी गारंटी देंगे। पीएम मोदी ने मुख्यमंत्री रहते हुए भी उस वक़्त के पीएम के नाम एक पत्र लिखा था कि किसानों को एमएसपी की कानूनी गारंटी दी जाए। किसान वही मांग रहा है जो पीएम मोदी ने वादा किया था।

सिर्फ पंजाब और हरियाणा के किसान क्यों कर रहे हैं आंदोलन?

जवाब : इस देश में जो भी किसान आंदोलन जब भी होते हैं वो प्रमुखता से उन्ही इलाकों में होते हैं, जहां का किसान दो वक्त की रोटी खा पाता है। वो किसान कहां है? वो किसान पंजाब में है। हरियाणा में है। पश्चिम उत्तर प्रदेश में है। देश के हर हिस्से से किसान आंदोलन का समर्थन किया गया है। कर्नाटक में कर्नाटक राज्य रायथा संघ-जिसके तीन अलग-अलग धड़े हैं, तीनों ने आंदोलन का समर्थन किया है। आंध्र प्रदेश और तेलंगाना से भी किसान संगठनों ने किसान आंदोलन का समर्थन किया है—

महाराष्ट्र में भी किसानों के 32 संगठनों के समूह ने इस आंदोलन को अपना समर्थन दिया है। अब हर कोई तो दिल्ली नहीं पहुंच सकता। कर्नाटक का किसान दिल्ली नहीं आ सकता है। वो अपने घर में प्रदर्शन करता है तो दिल्ली का मीडिया उसे नोटिस नहीं करता और कहता है कि कहीं है ही नहीं। सच बात यह है कि अपनी मेहनत का दाम मिले यह इस देश का हर किसान चाहता है। दो साल पहले जो किसान आंदोलन हुआ उस किसान आंदोलन की सबसे बड़ी उपलब्धि यह थी कि लोग यह जान पाए कि यह एमएसपी नाम की कोई चिढ़िया है। जो किसान का अधिकार है और उसको मिल नहीं रहा।

किसानों को कोई समस्या नहीं, सिर्फ लोकसभा चुनाव से पहले पॉलिटिक्स के तहत हो रहा है आंदोलन?

यह जो ‘खाए-पिए किसान, महंगी कारों वाले किसान, इनपर इनकम टेक्स क्यों नहीं लगता’ जैसी बातें होती हैं। मैं कहता हूं लगाओ ना इनकम टेक्स, मैं तो जानना चाहता हूं कि इस देश में कितने किसान है जो खाली खेती के सहारे इस सालाना 10 लाख रुपए कमा पाते हैं। यह कैसी बात है?–मैं आपको भारत सरकार के आंकड़े बताता हूं इसे देश के 87 प्रातिशत ऐसे किसान हैं जिनकी मासिक आय 10 हजार रुपए से कम है। पंजाब के 52 प्रातिशत किसान हैं जिनकी मासिक आय 52 प्रातिशत से कम है। किसानों से क्या दिक्कत है? दिक्कत यह है कि किसानों को फटी हुई धोती और फटेहाल ही किसान माना जाता है।

चुनाव पर क्यों प्रभाव नहीं पड़ता है?

मैं आपको बताऊं इस बात से मेरी सेहत पर कोई असर नहीं पड़ता। किसान को एमएसपी मिल जाए और एमएसपी देकर नरेंद्र मोदी इस देश के पीएम बन जाएं, बनें ना…अच्छी बात है, लेकिन एमएसपी तो दें। यह सारा सिर्फ राजनीति का खेल नहीं है बल्कि 60 साल से कोई तंग आ चुका है और कह रहा है कि मुझे मेरा हक दो। यह हक की लड़ाई है। जो यह हक देकर सत्ता में आ जाए बहुत अच्छी बात है। कांग्रेस ने यह घोषणा कर दी है कि वह सत्ता में आते हैं तो एमएसपी को कानूनी गारंटी देंगे। मैं चाहता हूं कि दूसरी पार्टियां भी आगे आएं बल्कि पीएम मोदी कहें कि लो ये तो वादे कर रहे हैं, मैं दे ही देता हूं।