तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन जारी है। किसानों के आंदोलन को एक महीना हो चुका है। प्रदर्शन कर रहे किसानों के साथ केंद्र सरकार की कई दौर की बातचीत भी हुई लेकिन नतीजा सिफर रहा है। भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत का कहना है कि सरकार अड़ियल रवैयाछोड़े, क्योंकि सशर्त बातचीत का कोई मतलब नहीं है। उनका कहना है कि अगर कानून वापस नहीं लिए जाते हैं तो आंदोलनकारी किसान भी घर वापस नहीं जाएंगे। कानून वापसी नहीं, तो घर वापसी नहीं…राकेश टिकैत की इस बात को लेकर ट्विटर पर लोगों की प्रतिक्रियाएं सामने आने लगी हैं। कई लोग किसान नेता राकेश टिकैत को गिरफ्तार करने की मांग भी उठाने लगे हैं।

‘#राकेश_टिकैत_को_गिरफ्तार_करो’ लिख कर कई ट्विटर यूजर्स ने कई ट्वीट किये हैं और अपनी बात रखी है। स्वपनिल कमल रानी वरुण नाम की एक यूजर ने लिखा कि ‘गंदी राजनीति के लिए निर्दोष किसानों को गुमराह करना बंद करें।’ गौरव गोयल ने लिखा कि ‘राकेश टिकैत ने हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाया है। उनपर धारा 295A के तहत केस दर्ज होना चाहिए।’ अमित शर्मा नाम के एक यूजर ने लिखा कि राकेश टिकैत को तुरंत गिरफ्तार किया जाना चाहिए। कई लोगों ने #राकेश_टिकैत_को_गिरफ्तार_करो लिख कर भी ट्वीट किया है।

‘आपको बता दें कि ‘भाषा’ से बातचीत के दौरान किसान नेता राकेश टिकैत से पूछा गया कि कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का कोई नतीजा नहीं निकला है। आगे की राह क्या होगी ?’ इसके जवाब में राकेश टिकैत ने कहा कि ‘सरकार हमसे बातचीत करना चाहती है और हमसे तारीख तथा मुद्दों के बारे में पूछ रही है। हमने 29 दिसंबर को बातचीत का प्रस्ताव दिया है। अब सरकार को तय करना है कि वह हमें कब बातचीत के लिए बुलाती है।

हमारा कहना है कि तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए तौर-तरीके और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए गारंटी का मुद्दा सरकार के साथ बातचीत के एजेंडे में शामिल होना चाहिए। हमने साफ कहा है कि सरकार अड़ियल रवैया छोड़े, क्योंकि सशर्त बातचीत का कोई मतलब नहीं है। कानून वापसी नहीं तो घर वापसी नहीं।’