भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि अभी समस्या का समाधान होने में समय लगेगा। 40 दिन के समय को कम बताते हुए टिकैत ने कहा कि अभी तो ये और लंबा चलना है। उन्होंने कहा कि मई 2024 तक हम यहां रहने वाले हैं। टिकैत ने कहा कि मैं बिल्कुल व्यावहारिक बात कर रहा हूं। सरकार कानून को वापिस नहीं लेगी तो किसान घर जाने वाला नहीं है। टिकैत ने जोर देते हुए कहा कि किसान दिल्ली से कानूनों को खत्म करा कर ही जाएंगे। टिकैत ने कहा कि मोदी सरकार की लगाम नहीं रोकी तो आगे ये बहुत से कानून लाने वाले हैं। हमारी यह रणनीति है कि दिल्ली में ही रहेंगे कहीं जाने वाले नहीं हैं।

बता दें कि आज किसानों और सरकार के बीच आठवें दौर की मीटिंग हुई, जिसमें फिर से कोई नतीजा नहीं निकल सका। केंद्र सरकार का तर्क है कि ये कृषि कानून देश के सभी राज्यों के लिए हैं न कि सिर्फ पंजाब और हरियाणा के किसानों के लिए। जबकि किसानों का कहना है कि अगर कुछ राज्यों के किसान इस कानून के साथ हैं तो वे अपनी विधानसभा में कानून लाकर अपने राज्यों में इसे लागू करा लें। केंद्र सरकार को राज्यों के कार्य क्षेत्र में दखल नहीं देना चाहिए। सरकार ने कहा है कि किसानों के साथ अगले दौर की बातचीत 15 जनवरी को होगी।

बता दें कि आज मीटिंग में किसानों और सरकार की कृषि कानूनों पर बात हुई लेकिन दोनों पक्ष सहमत नहीं हो सके। सरकार चाहती है कि किसान यूनियन कानून वापस लेने के सिवाय कोई दूसरा विकल्प दें। किसानों की ओर से कोई दूसरा प्रस्ताव न आने पर आज की मीटिंग को खत्म किया गया और तय किया गया कि अगली मीटिंग 15 जनवरी को होगी।

बता दें कि किसान भी अपनी बातों पर अडिग हैं। उनका कहना है कि वे घर वापिस तब तक नहीं जाएंगे जब तक कि सरकार ये कानून वापिस नहीं ले लेती है। किसानों का कहना है कि कायदे से तो केंद्र को कृषि के मामले में दखल नहीं देना चाहिए क्योंकि कृषि राज्यों का विषय है।

किसानों ने कहा कि सरकार शायद खुद नहीं चाहती है कि बात बने। इतने दिनों से सरकार सिर्फ बात कर रही है। समाधान करने की कोशिश नहीं कर रही है। किसानों ने कहा कि अगर सरकार समाधान नहीं दे सकती है तो बता दे बात करने का फिर कोई तुक नहीं बनता है।