किसान नेता राकेश टिकैत ने उत्तर प्रदेश के बलिया में कहा कि मेरे पास सिर्फ आंसू हैं और किसानों की ये लड़ाई आगे जारी रहेगी। मालूम हो कि गाजीपुर बॉर्डर पर जब सरकार ने किसानों के प्रदर्शन को खत्म करने की कोशिश की थी उस समय राकेश टिकैत का एक भावुक वीडियो वायरल हुआ था। जिसके बाद किसानों के आंदोलन में फिर से जान आ गई थी। टिकैत का ये बयान ऐसे समय में आया है जब उन्हीं के भाई नरेंद्र टिकैत ने कहा कि किसान मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के बाकी बचे समय के लिए भी तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन जारी रखने के लिए तैयार हैं।
उन्होंने कहा कि विरोध प्रदर्शन “बंद” नहीं हो सकता। किसानों का विरोध 100 दिनों से अधिक समय से जारी है। मालूम हो कि नरेंद्र टिकैत अपने पिता महेंद्र सिंह टिकैत द्वारा गठित भारतीय किसान यूनियन (BKU) में कोई आधिकारिक पद नहीं रखते हैं। लेकिन किसानों के मुद्दों पर उनके दो बड़े भाइयों की तरह वे भी मुखर हैं। बता दें कि नरेंद्र टिकैत, नरेश और राकेश टिकैत के छोटे भाई हैं। समाचार एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए, मुज़फ़्फ़रनगर के सिसौली में अपने घर पर, 45 वर्षीय किसान ने भी कहा कि उनके दो भाई और पूरे टिकैत परिवार के खिलाफ कोई गलत काम साबित होने पर वे आंदोलन से पीछे हट जाएंगे। नरेंद्र टिकैत ने आंदोलन से पैसा कमाने के आरोपों को खारिज कर दिया।
बता दें कि टिकैत परिवार में सबसे बड़े भाई, नरेश टिकैत बीकेयू अध्यक्ष हैं, जबकि राकेश टिकैत संगठन के राष्ट्रीय प्रवक्ता का पद संभालते हैं। 1988 में महेंद्र सिंह टिकैत के नेतृत्व में बीकेयू ने गन्ने की कीमतों, कर्ज, पानी और बिजली के मुद्दे पर आंदोलन किया था। उसी साल, बीकेयू ने किसानों की दुर्दशा पर ध्यान केंद्रित करने के लिए दिल्ली के बोट क्लब में एक हफ्ते तक विरोध प्रदर्शन किया था।
2011 में महेंद्र सिंह टिकैत की मृत्यु के बाद, नरेश और राकेश टिकैत विभिन्न भूमिकाओं में बीकेयू का नेतृत्व कर रहे हैं। हालांकि देश के विभिन्न हिस्सों में कई गुट बीते सालों में उभरे हैं।
किसान आंदोलन को लेकर नरेंद्र टिकैत ने कहा कि केंद्र को लगता है कि वे किसानों के विरोध को खत्म कर सकते हैं जैसे अलग-अलग रणनीति का इस्तेमाल करते हुए अतीत में अन्य आंदोलनों को खत्म किया गया है। उन्होंने कहा, ‘मैं यहां सिसौली में हूं, लेकिन मेरी नजर आंदोलन पर बनी हुई है।’