किसान आंदोलन और कृषि कानूनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक बार फिर सुनवाई शुरू हुई तो किसानों के वकील ने कहा कि किसान चाहते हैं प्रधानमंत्री भी बातचीत में भाग लें। इसपर CJI एसए बोबडे ने कहा कि वह पार्टी नहीं हैं इसलिए उन्हें चर्चा में शामिल होने के लिए नहीं कहा जा सकता। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने तीनों कानूनों के अमल पर अगले आदेश तक रोक लगा दी और एक कमिटी बना दी।

किसानों के वकील एमएल शर्मा ने कहा, ‘किसान कह रहे हैं कि बहुत सारे लोग चर्चा करने के लिए आए लेकिन मुख्य व्यक्ति, यानी प्रधानमंत्री नहीं आए। इसपर चीफ जस्टिस ने कहा कि प्रधानमंत्री से चर्चा में जाने के लिए नहीं कहा जा सकता क्योंकि वह इस केस में पार्टी नहीं हैं। CJI ने किसानों से भी कड़े शब्दों में बात करते हुए कहा, ‘हम एक कमिटी बनाने जा रहे हैं ताकि तस्वीर और साफ हो सके। हम नहीं चाहते कि किसान कहें कि वे कमिटी में नहीं जाना चाहते। हम समस्या का समाधान चाहते हैं। अगर आप अनंतकाल तक आंदोलन करना चाहते हैं तो कर सकते हैं।’

दिल्ली पुलिस ने किसानों की ट्रैक्टर रैली को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दी थी। इसपर कोर्ट ने किसान संगठनों को नोटिस जारी किया है। किसानों ने रिपब्लिक डे पर ट्रैक्टर परेड करने की बात कही थी। वहीं सुनवाई के दौरान वी चितंबरेश ने दावा किया कि उनका संगठन देश का सबसे बड़ा किसान संगठन है। सीजेआई ने पूछा कितने सदस्य हैं? चितंबरेश ने कहा लगभग 10 हजार। इसपर चीफ जस्टिस ने कहा कि यह देश का सबसे बड़ा किसान संगठन नहीं हो सकता। दूसरे वकील ने कहा कि उनके संगठन में 30 लाख किसान हैं।

पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकाल लगाते हुए कहा था कि वह मामले को संभालने में नाकामयाब रही है। 8 जनवरी को किसानों के साथ हुई सरकार की बैठक भी बेनतीजा रही थी। किसान संगठनों का दावा था कि सरकार ने किसानों से सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कह दी है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी सरकार को लताड़ लगाई। सीजेआई ने कहा था कि इन कानूनों पर रोक लगानी पड़ेगी।