किसान अपनी मांग को लेकर डटे हुए हैं। इस बीच केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि ‘किसान आंदोलन के दौरान यूनियन के साथ छह दौर की बातचीत हुई। सरकार का लगातार आग्रह था कि कानून के वो कौन से प्रावधान हैं जिन पर किसान को आपत्ति है, कई दौर की बातचीत में ये संभव नहीं हो पाया। प्रस्ताव उनके(किसानों) पास है, उन लोगों की टिप्पणी हमारे पास नहीं आई। मीडिया के माध्यम से पता चलता है कि उन्होंने प्रस्ताव को खारिज कर दिया। अभी उनकी तरफ से बातचीत का कोई प्रस्ताव नहीं आया है, जैसे ही प्रस्ताव आएगा हम बातचीत के लिए तैयार हैं।’
कृषि मंत्री ने ट्वीट कर एमएसपी के लिए किसानों को आश्वासन दिया। उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री जी और मैंने बार-बार ये कहा है कि एमएसपी चलती रहेगी, इस पर कोई खतरा नहीं है…इस वर्ष भी एमएसपी पर फसलों की खरीद बहुत अच्छे से हुई है। एमएसपी को हमनें ही डेढ़ गुना किया है। अगर एमएसपी को लेकर उनके मन में कोई शंका है तो हम लिखित आश्वासन देने को भी तैयार हैं।’
कृषि मंत्री ने कहा कि आंदोलन से आम आदमी को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा, ‘दिल्ली के लोगों को परेशानी झेलनी पड़ रही है…इसलिए किसानों को आम आदमी को ध्यान में रखते हुए आंदोलन खत्म करना चाहिए और बातचीत के जरिए हल निकालना चाहिए।’
बता दें कि नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का आज 16वां दिन है। किसानों और सरकार की लड़ाई अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। भारतीय किसान यूनियन ने तीनों कृषि बिलों को शुक्रवार को कोर्ट में चैलेंज किया। उनका कहना है कि इन कानूनों से किसान कमजोर होंगे। इससे पहले किसान ऐलान कर चुके कि अब देशभर में ट्रेनें रोकेंगे।
किसान नेता बूटा सिंह ने कहा कि कानून रद्द करने को लेकर अभी तक कोई फैसला नहीं हुआ, इसलिए जल्द ट्रेनें रोकने की तारीख का ऐलान करेंगे। वहीं भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार और किसान दोनों को पीछे हटना होगा। सरकार कानून वापस ले तो किसान अपने घरों को चले जाएंगे।