किसान आंदोलन का मुद्दा अमेरिका की संसद तक पहुंच गया है। यहां सात सांसदों ने स्टेट सेक्रटरी माइक पोंपियो को पत्र लिखकर कहा है कि वह भारतीय समकक्ष से बात करें। पत्र लिखने वाले सांसदों में इंडो-अमेरिकन प्रमिला जयपाल भी शामिल हैं। भारत सरकार पहले ही कह चुकी है कि यह अंदरूनी मामला है और किसी बाहरी को दखल नहीं देना चाहिए।

किसान आंदोलन को लेकर विपक्ष भी सरकार के विरोध में उतर आया है औऱ वह किसानों के समर्थन की बात कर रहा है। इस बीच पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कोलकाता में बीजेपी विरोधी पार्टियों के साथ मिलकर जॉइंट रैली करने की योजना बना रही हैं तो सीपीएम ने 11 दलों को मिलाकर एक जॉइंट स्टेटमेंट जारी किया है। यह किसान कानूनों के विरोध में है। इसमें एनसीपी, डीएमके और कांग्रेस भी शामिल है। वहीं सरकार की नजर अब सुप्रीम कोर्ट पर है।

लेफ्ट पार्टी के साथ बंगाल में गठबंधन के लिए कांग्रेस के हाथ बढ़ाने के बाद यह जॉइंट स्टेटमेंट जारी किया गया है। इसमें सरकार से पूछा गया है कि आखिर झूठ कौन फैला रहा है? उधऱ ममता बनर्जी ने जॉइंट रैली के लिए एनसीपी चीफ शरद पवार से बात की है। इशके अलावा AAP के अरविंद केजरीवाल और डीएमके के स्टालिन से भी बात की जा चुकी है। ममता बनर्जी इस रैली में दिखाएंगी कि वह बीजेपी के खिलाफ चुनाव लड़ रही हैं। इससे लेफ्ट और कांग्रेस को झटका भी लग सकता है जो इस लड़ाई को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश में लगी है।

विपक्षी दलों की तरफ से जारी जॉइंट स्टेटमेंट में राहुल गांधी, शरत पवार, डीएमके के टीआर बालू, फारूक अब्दुल्ला, अखिलेश यादव, तेजस्वी यादव, सीताराम येचुरी, डी राजा के भी हस्ताक्षर हैं। इस बयान में पीएम मोदी पर वार करते हुए कहा गया है कि सरकार किसानों से झूठ बोल रही है। इससे पहले 11 पार्टियों ने भारत बंद के समर्थन में भी बयान जारी किया था। इस जॉइंट स्टेटमेंट में आम आदमी पार्टी नहीं शामिल है।

सूत्रों के मुताबिक सरकार किसी भी हालत में कानून वापस लेने को तैयार नहीं है। अब उसकी नजर सुप्रीम कोर्ट पर है। शीतकालीन अवकाश के बाद मामले की सुनवाई फिर से होगी। इस बीच सरकार किसानों से बीतचीत की पेशकश करती रहेगी। सरकार को उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट से इस विवाद का हल निकल सकता है। गुरुवार को सरकार की तरफ से एक बार फिर कहा गया है कि किसानों की सभी समस्याओं का हल निकालने के लिए सरकार तैयार है।

कृषि मंत्रालय की तरफ से जारी किसान नेताओं के लिए पत्र में कहा गया है कि अगले चरण की बातचीत के लिए समय और स्थान का चुनाव करें और बातचीत के लिए आने वाले प्रतिनिधियों की डीटेल साझा की जाए।