किसान सरकार के प्रस्ताव पर ‘सिद्धांतत:’ सहमत हो गए। सरकार की ओर से बातचीत के प्रस्ताव पर किसान संगठनों ने 29 दिसंबर को सुबह 11 बजे का समय सुझाया था। सरकार और 40 प्रदर्शनकारी किसान संगठनों के बीच अब तक छह दौर की हुई औपचारिक वार्ता बेनतीजा रही है। वार्ता बहाल करने के लिए किसान संगठनों के प्रस्ताव पर संज्ञान लेते हुए अग्रवाल ने कहा, ‘सरकार एक स्पष्ट इरादे और खुले मन से सभी प्रासंगिक मुद्दों का तार्किक समाधान निकालने के लिए भी प्रतिबद्ध है।’ एक महीने से अधिक समय से दिल्ली की सीमाओं पर हजारों की संख्या में किसान डेरा डाले हुए हैं। वे तीन नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं।

प्रदर्शनकारी किसानों ने अपनी मांगें नहीं माने जाने की स्थिति में अपना आंदोलन तेज करने की धमकी दी है। कृषि मंत्रालय के सचिव संजय अग्रवाल ने पत्र में लिखा है, ‘संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से 26 दिसंबर को प्रेषित इमेल में किसान संगठन के प्रतिनिधियों और भारत सरकार के साथ अगली बैठक के लिए समय सूचित किया गया है। अनुरोध है कि 30 दिसंबर 2020 को दोपहर दो बजे विज्ञान भवन में केंद्रीय मंत्री स्तरीय समिति के साथ सर्वमान्य समाधान हेतु बैठक में हिस्सा लें।’

पत्र में कहा गया है कि बैठक में तीन कृषि कानूनों और न्यूनतम समर्थन मूल्य की खरीद व्यवस्था के साथ राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए अध्यादेश, 2020 एवं विद्युत संशोधन विधेयक, 2020 में किसानों से संबंधित मुद्दों पर विस्तृत चर्चा की जाएगी। सरकार और किसान संगठनों के बीच अबतक छह दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन फिलहाल कोई ठोस नतीजा नहीं निकल पाया है। ऐसे में 30 दिसबंर को होने वाली बातचीत से सकारात्मक उम्मीदें सरकार जता रही है।

किसान संगठन वार्ता प्रस्ताव पर सहमत

प्रदर्शनकारी किसान संगठन वार्ता के अगले दौर को लेकर सरकार के प्रस्ताव पर ‘सिद्धांतत:’ सहमत हो गए हैं। हालांकि, उन्होंने कहा है कि केंद्र को अपने निमंत्रण में बैठक के एजंडा के बारे में बताना चाहिए। संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य अभिमन्यु कोहाड़ ने कहा कि केंद्र द्वारा प्रस्तावित तारीख पर बैठक में भाग लेने के लिए किसान सहमत हो गए हैं। विवादास्पद कानून के खिलाफ 40 संगठनों का यह प्रतिनिधि संगठन है।

कोहाड़ ने कहा, ‘सरकार को 26 दिसंबर को भेजे गए अपने पत्र में हमने स्पष्ट रूप से वार्ता के एजंडे के तौर पर तीन कृषि कानूनों को वापस लेने और एमएसपी की कानूनी गारंटी का जिक्र किया था, लेकिन इसके बावजूद सरकार ने आज के पत्र में किसी विशिष्ट एजेंडे का जिक्र नहीं किया है।’ उन्होंने कहा, ‘हम सिद्धांत रूप से सरकार के साथ वार्ता करने के लिए सहमत हो गए हैं।’

कृषि कानूनों को केरल सरकार भी खारिज करेगी

पंजाब, छत्तीसगढ़, राजस्थान के बाद केरल सरकार भी केंद्रीय कृषि कानूनों को खारिज करेगी। इसके लिए 31 दिसंबर को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया है। केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों पर चर्चा करने और उनके खिलाफ प्रस्ताव पारित करने के लिए 31 दिसंबर को एक दिन के लिए विधानसभा सत्र को आहूत करने की सोमवार को मंजूरी दे दी।

राजभवन से जारी बयान के मुताबिक, राज्यपाल ने सत्र के लिए मंजूरी दे दी है। कुछ दिन पहले माकपा नीत वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) सरकार ने विधानसभा सत्र बुलाने का एक नया प्रस्ताव भेजा था, क्योंकि उससे पहले राज्यपाल ने ऐसी ही सिफारिश खारिज कर दी थी। इस एक दिवसीय सत्र के लिए खान ने कुछ स्पष्टीकरण मांगा था और सरकार ने उन्हें स्पष्टीकरण भेज दिया।

तय कार्यक्रम के मुताबिक, 31 दिसंबर को सुबह नौ बजे सत्र शुरू होगा जो एक घंटे तक चलेगा। इससे पहले 23 दिसंबर को सत्र बुलाया जाना था? तब राज्यपाल ने इसके लिए मंजूरी देने से इनकार कर दिया था और कहा था कि मुख्यमंत्री पिनरायी विजयन ने इतना संक्षिप्त सत्र बुलाने की आपात स्थिति संबंधी उनके प्रश्न का उत्तर नहीं दिया।

मुख्यमंत्री को भेजे पत्र में राज्यपाल ने यह भी कहा था कि सरकार एक ऐसी समस्या पर चर्चा के लिए विशेष सत्र बुलाना चाहती है, जिसपर आपको हल प्रदान करने का क्षेत्राधिकार नहीं है। विजयन ने मंगलवार को खान को जवाबी पत्र लिखा और यह कहते हुए उनके निर्णय को खेदजनक बताया कि राज्यपाल मंत्रिपरिषद की सलाह से बंधे हैं और विधानसभा में प्रस्ताव लाने व उस पर चर्चा राज्यपाल की शक्तियों द्वारा संचालित नहीं हो सकती।


किसानों की मजबूती के लिए सरकार काम करती रहेगी : मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कहा कि उनकी सरकार ने कृषि को बढ़ावा देने और किसानों को मजबूत बनाने के लिए कृषि क्षेत्र में ऐतिहासिक सुधार किए हैं। उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए महाराष्ट्र के संगोला से पश्चिम बंगाल के शालीमार तक चलने वाली 100वीं किसान रेल को हरी झंडी दिखाकर रवाना करने के मौके पर यह बात कही।

इस मौके पर मोदी ने कहा कि कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए उनकी सरकार की नीतियां स्पष्ट हैं और इरादे पारदर्शी हैं। उन्होंने कहा कि सरकार पूरी ताकत और समर्पण के साथ किसानों और कृषि क्षेत्र को मजबूत बनाने का काम जारी रखेगी। केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के एक वर्ग द्वारा लगातार किए जा रहे प्रदर्शन के बीच उनकी यह टिप्पणी आई है। मोदी ने हालांकि कृषि कानूनों का सीधे उल्लेख नहीं किया, लेकिन वह इस बात पर जोर देते रहे हैं कि ये कानून किसानों के हित में हैं और विपक्ष इनको लेकर किसानों को गुमराह कर रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार द्वारा शुरू की गई किसान रेल से छोटे और सीमांत किसान अपनी उपज को दूरदराज के बाजारों में भेज सकते हैं, जिससे किसानों की आय बढ़ाने में मदद मिलेगी। इन सेवाओं की भारी मांग के चलते इनके फेरों को बढ़ाया गया है। उन्होंने कहा कि यह इस बात का भी प्रमाण है कि किसान नई संभावनाओं के लिए कितने उत्सुक हैं।

मोदी ने कहा कि सरकार आपूर्ति शृंखला, कोल्ड स्टोरेज और मूल्यवर्धन सुविधाओं को बढ़ाने के लिए काम कर रही है। इस रेल गाड़ी में कई तरह के फल व सब्जियों को लादकर भेजा जा रहा है। इसमें फूलगोभी, बंद गोभी, शिमला मिर्च, मिर्च और प्याज के अलावा अंगूर, संतरा, केला, अनार और अन्य फल लादे गए हैं। रेलगाड़ी जिन स्टेशनों पर रुकेगी, वहां सभी तरह की कृषि उपज को चढ़ाने-उतारने की सुविधा होगी और इसके जरिए सामान भेजने के लिए मात्रा की कोई शर्त नहीं है। पहली किसान रेल की शुरुआत सात अगस्त को महाराष्ट्र के देवलाली से बिहार के दानापुर तक की गई थी, जिसे बाद में मुजफ्फरपुर तक बढ़ाया गया।