सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को किसान आंदोलन की सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को जमकर फटकार लगायी। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को कहा कि आपने किसान आंदोलन को लेकर जो रवैया अख्तियार किया है वह काफी निराशाजनक है। साथ ही सरकार द्वारा समय मांगे जाने पर पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपको बहुत समय दे दिया गया है और आप संयम पर हमें भाषण ना दें। 

किसान आंदोलन  से जुड़े मामले की सुनवाई के दौरान जब चीफ जस्टिस एस ए बोबडे ने सरकार के प्रतिनिधि और  अटोर्नी जनरल वेणुगोपाल से कहा कि क्या आप किसानों से उनकी सहमति पूछेंगे? इसपर अटोर्नी जनरल वेणुगोपाल ने कहा “हम भी सुझाव देंगे इसके लिए कल तक का समय दिया जाए”। इसके बाद चीफ जस्टिस ने कहा कि हम आज की सुनवाई बंद कर रहे हैं। सुनवाई बंद करने की बात पर अटोर्नी जनरल बोलने लगे कि कोर्ट को जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए। अटोर्नी जनरल की इस बात पर चीफ जस्टिस एस ए बोबडे भड़क गए और कहने लगे कि हमें जल्दबाजी पर लेक्चर मत दीजिये। हमने पहले ही आपको बहुत समय दे दिया हैं।

किसान आंदोलन पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट मोदी सरकार से काफी खफा नजर आई। चीफ जस्टिस ने सरकार से कहा कि हमारे पास एक भी ऐसी दलील नहीं आई जिसमें कृषि कानून की तारीफ हुई हो। कोर्ट ने यह भी कहा कि हम भले ही किसान मामलों के विशेषज्ञ नहीं हों लेकिन क्या आप यह बतायेंगे कि आपने कानून के संबंध में कौन से कदम उठाये हैं। आंदोलन में हालात लगातार बद से बदतर होते जा रहे हैं। लोग ठंड में ठिठुर रहे हैं। कई लोगों की जान भी चली गयी है लेकिन इसके बावजूद आप कुछ नहीं कर रहे हैं।

चीफ जस्टिस एस ए बोबडे ने कृषि क़ानूनों को लेकर कहा कि हम सीधा यह सोच रहे हैं कि इन कृषि क़ानूनों पर रोक लगा दी जाए। जब तक कमिटी की तरफ से कोई रिपोर्ट नहीं आती है तब तक इस कानून के ऊपर रोक लगी रहेगी। कोर्ट ने कहा कि हमें आशंका है कि एक दिन इस शांतिपूर्ण आंदोलन में हिंसा भी हो सकती है। इसलिए अगर कुछ गलत हो गया तो हम सब इसके जिम्मेदार होंगे। लेकिन हम यह नहीं चाहते हैं कि हमारे हाथ किसी के खून से रंगे हों। 15 जनवरी को किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच अगली बैठक होनी है।