किसान आंदोलन पिछले कई दिनों जारी है और मोदी सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद भी अन्नदाता मानने को तैयार नहीं। अब इस बीच सरकार ने फिर किसानों को खुश करने के लिए एक बड़ा फैसला किया है। उस बड़े फैसले के तहत सरकार ने गन्ना भुगतान की कीमतों में आठ फीसदी तक की बढ़ोतरी कर दी है। इसके अलावा भी कुछ बड़े ऐलान किए हैं। अब एक तरफ ये ऐलान हुए हैं तो दूसरी तरफ किसानों ने अपने दिल्ली कूच वाले प्लान को दो दिन आगे बढ़ा दिया है।
अब एक नजर से देखें तो सरकार के लिए ये एक बड़ा अवसर बन सकता है। अगर किसान ने दिल्ली कूच दो दिन नहीं किया तो इतना ही समय अब केंद्र को फिर मनाने के लिए मिल जाएगा। जमीन पर तनाव बढ़ने की स्थिति कम रहेगी, ऐसे में सारा फोकस सिर्फ किसानों से बातचीत में लगाया जा सकता है। इसी वजह से कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने भी पांचवे दौर की बातचीत के लिए अपनी सहमति दे दी है। अब किसान उस बातचीत में शामिल होते हैं या नहीं, ये अभी साफ नहीं।
वैसे सरकार के लिए ये दो दिन का समय काफी अहम रहने वाला है। अभी तक तो सबकुछ इतनी तेजी से बदल रहा था कि सरकार को संभलने का एक बार भी मौका नहीं मिला। लेकिन अब जब किसान अपनी रणनीति बनाने वाले हैं, तब सरकार भी आगे की रणनीति पर काम कर सकती है। ये बात भी समझने वाली है कि पिछली बार जब किसान आंदोलन चल रहा था, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद माना था कि तपस्या में कुछ कमी रह गई होगी। ऐसे में अब उस तपस्या की कमी को पूरा करने पर जोर दिया जा रहा है।
चुनावी मौसम में किसी भी कीमत पर सरकार किसान को नाराज नहीं देखना चाहती। ऐसे में उसी किसान को खुश करने के लिए लगातार तपस्या की जा रही है। इसी कड़ी में सरकार ने बुधवार रात को बड़ा फैसला लेते हुए गन्ना खरीद की कीमत बढ़ाने का फैसला लिया। उस फैसले के बारे में केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि चीनी मिलों द्वारा किसानों को गन्ने का उचित एवं लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करने के लिए आगामी गन्ना सीजन के लिए 1 अक्टूबर 2024 से 30 सितंबर 2025 की अवधि में मूल्य निर्धारित करने का निर्णय लिया गया है… वर्ष 2024-25 के लिए मूल्य 340 रुपये प्रति क्विंटल तय करने का निर्णय लिया गया है, जो पिछले वर्ष 315 रुपये था, जो इस वर्ष बढ़कर 340 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है।
अब एक तरफ तो सरकार की तरफ से लगाता मनाने के जतन किए जा रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ किसानों की तरफ से एक बड़ा दावा हुआ है। ये दावा जमीन पर तनाव को बढ़ाने का काम कर सकता है। असल में किसानों ने दावा किया है कि बठिंडा के रहने वाले 21 साल के शुभकरण सिंह की संगरूर-जिंद को जोड़ने वाले खनौरी बॉर्डर पर मौत हो गई। वो पुलिस कार्रवाई में घायल हुआ और बाद में अस्पताल में उसने दम तोड़ दिया। अब ये खबर अभी संदिग्ध इसलिए है क्योंकि हरियाणा पुलिस ने इसे अपनी तरफ से अफवाह करार करार दिया है।
जारी बयान में हरियाणा पुलिस ने कहा कि अभी तक की प्राप्त जानकारी के अनुसार आज #किसानआंदोलन में किसी भी किसान की मृत्यु नहीं हुई है। यह मात्र एक अफवाह है। दाता सिंह-खनोरी बॉर्डर पर दो पुलिसकर्मियों तथा एक प्रदर्शनकारी के घायल होने की सूचना है जो उपचाराधीन है। अब पुलिस तो दावे को खारिज कर रही है, लेकिन उस पर राजनीति होना अभी से शुरू हो चुका है।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने दो टूक कहा है कि खनौरी बॉर्डर पर युवा किसान शुभकरण सिंह की फायरिंग में मौत की खबर हृदयविदारक है, मेरी संवेदनाएं उनके परिवार के साथ हैं। पिछली बार 700 से अधिक किसानों का बलिदान लेकर ही माना था मोदी का अहंकार, अब वो फिर से उनकी जान का दुश्मन बन गया है। मित्र मीडिया के पीछे छिपी भाजपा से एक दिन इतिहास ‘किसानों की हत्या’ का हिसाब ज़रूर मांगेगा।