सरकार के साथ चौथे दौर की वार्ता के बाद से किसान आंदोलन का असर कुछ हल्का हुआ है। लेकिन एक बार फिर किसान संगठनों ने गुरुवार (29 फरवरी) को एक मीटिंग बुलाकर आंदोलन को तेज करने की तरफ कदम बढ़ाए हैं। 21 फरवरी को ‘दिल्ली चलो’ मार्च के दौरान एक नौजवान की मौत के बाद किसानों को गुस्सा बढ़ा है–उनका आरोप है कि हरियाणा पुलिस की गोली से यह मौत हुई है।
आज नौजवान शुभकरण का अंतिम संस्कार भी किया जाएगा। लोकसभा चुनाव से पहले किसानों के इस आंदोलन से बीजेपी की मुश्किलें बढ़ी हुई हैं–क्योंकि किसान इस तरह का ऐलान पहले भी पहले कर चुके हैं कि चुनाव के दौरान बीजेपी को प्रचार के लिए हरियाणा-पंजाब के गांवों में नहीं घुसने दिया जाएगा।
कांग्रेस से बीजेपी में आए नेताओं ने भी दिए बयान
जब 2020-21 में किसान आंदोलन के दौरान किसान दिल्ली के सिंघू बॉर्डर पर जमा थे तब कांग्रेस के कई ऐसे नेताओं ने मुखरता से आवाज उठाई थी जो अब बीजेपी में शामिल हो गए हैं। एक बार फिर इन नेताओं ने बीजेपी में होते हुए अपनी चुप्पी तोड़ी है। जैसे पंजाब भाजपा प्रमुख सुनील जाखड़ ने ‘किसान फेर्स्ट’ की बात कही तो वहीं कहा यह भी जा रहा है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पीएम से मुलाकात कर इस मुद्दे को उठाया था।
सुनील जाखड़ ने तो हरियाणा प्रशासन से संयम बरतने की बात तक कह दी थी। किसान लगातार विरोध के दौरान घायल हुए लोगों का मुद्दा उठा रहे हैं और आरोप लगा रहे हैं कि एक घायल प्रीतपाल को तो हरियाणा पुलिस ने गायब तक करवा दिया था।
फिलहाल विरोध प्रदर्शन से प्रभावित हरियाणा के लगभग सभी जिलों में इंटरनेट प्रतिबंध हटा दिए गए हैं। आज किसानों की बैठक में कुछ फैसले हो सकते हैं। किसान सरकार के साथ आगे की बातचीत नकार चुकी है।