दिल्ली से सटे सभी सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन को 7 महीने से ज्यादा हो चुके हैं। किसान केंद्र सरकार द्वारा पारित किए गए तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं। किसान संगठनों और प्रदर्शनकारी किसानों की नाराजगी केंद्र की बीजेपी सरकार से बढ़ती जा रही है। किसान नेता राकेश टिकैत ने बीजेपी नेताओं पर तंज कसते हुए कहा कि ये लोग तो अपनी ही पार्टी को पी गए, पहले ये अपने दल को बचा लें।

किसान नेता राकेश टिकैत ने पत्रकारों के द्वारा यह सवाल पूछे जाने पर कि बीजेपी के नेता कह रहे हैं कि आंदोलन में सिर्फ असामाजिक तत्व बैठे हैं कोई किसान नहीं बैठा है। इसपर जवाब देते हुए कहा कि बीजेपी वाले तो अपनी पार्टी को पी गए, पहले ये अपनी पार्टी बचा लें। इनके नेता घर में बंद कर रखे हैं। उनसे बोला तो जाता नहीं है। जब उनकी सरकार ही नहीं है तो इतना क्यों परेशान हो रहे हैं।

इसके अलावा किसान नेता राकेश टिकैत ने मीडिया से बात करते हुए यह भी कहा कि अगर यह सरकार किसी पार्टी की होती तो वह जरूर बात करती और किसानों की मांग मानती। लेकिन ये तो मोदी सरकार है जिसको कंपनियां चला रही है। इसलिए कोई बात नहीं हो रही है। राकेश टिकैत ने यह भी कहा कि अगर सरकार बातचीत के लिए तैयार हैं तो इसे सशर्त क्यों बना रहे हैं कि तीनों कृषि कानून वापस नहीं लेंगे। 

पिछले दिनों भी राकेश टिकैत ने कहा था कि इस देश में बीजेपी की सरकार नहीं है। बल्कि यहां तो मोदी सरकार हैं और इसको कॉरपोरेट कंपनियां चला रही है। बीजेपी वालों को तो बहुत काम है। उन्हें तो उनके नेताओं को भी छुड़ाना है जो घरों में बंद हैं और अपनी पार्टी बचानी है।

बता दें कि दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन को 7 महीने से अधिक होने के बावजूद कोई ठोस समाधान नहीं निकल पाया है। किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच जनवरी महीने से ही कोई बातचीत नहीं हुई है और गतिरोध जारी है। केंद्र सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को डेढ़ साल तक निलंबित करने का प्रस्ताव भी दिया था लेकिन किसान संगठनों ने इसे नामंजूर कर दिया था।

 

हालांकि कृषि मंत्री ने भी साफ़ कर दिया है कि वे तीनों कानूनों के किसी भी प्रावधान पर बात करने को तैयार हैं लेकिन इन कानूनों को रद्द करने पर कोई बात नहीं होगी। अब किसान संगठनों ने संसद के बाहर मोर्चा लगाने की भी ऐलान कर दिया है। संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि मानसून सत्र के दौरान संसद के बाहर प्रतिदिन 200 किसानों का एक समूह प्रदर्शन करेगा। साथ ही विपक्षी सांसदों से भी सदन के अंदर हर दिन इस मुद्दे को उठाने की अपील की गई है।