देशभर से आए किसान पिछले 7 महीने से भी अधिक समय से दिल्ली की सीमाओं पर धरना दे रहे हैं। किसान केंद्र सरकार द्वारा पारित किए गए तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं। दिल्ली से उत्तरप्रदेश को जोड़ने वाली गाजीपुर सीमा पर किसान नेता राकेश टिकैत इस आंदोलन का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। राकेश टिकैत से जब एक इंटरव्यू में अगले साल होने वाले उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि अगर वे लोग चुनाव लड़ें तो रागिनी- भजन, अगर हम चुनाव की बात करें तो वह राग है।
दरअसल आजतक न्यूज चैनल को दिए एक इंटरव्यू के दौरान एंकर चित्रा त्रिपाठी ने किसान नेता राकेश टिकैत से सवाल पूछते हुए कहा कि आप बीजेपी के खिलाफ जो भी मोर्चा बन रहा है, उसका समर्थन कर रहे हैं। तो आपकी मंशा पर सवाल जरूर उठेंगे और अब आप मिशन यूपी का राग लेकर आ गए हैं। इसपर जवाब देते हुए किसान नेता राकेश टिकैत ने बिना भाजपा का नाम लिए हुए उनपर निशाना साधते हुए कहा कि वे चुनाव लड़ें तो कोई राग नहीं, वे रागिनी और भजन हैं। अगर हमने मिशन यूपी की बात की तो हम राग गा रहे हैं। अब ये राग ही उनको सुनाएंगे।
“वे अगर चुनाव लड़े तो राग नहीं मिशन हैं, अगर हम चुनाव की बात करें तो वह राग है अगर ऐसा है तो फिर तो हम यही राग सुनाएंगे”: @RakeshTikaitBKU
का सरकार पर कटाक्ष; उन्होंने ये भी कहा – “अब देश में किसान क्रांति होगी”
देखिए @chitraaum के साथ हुई ख़ास बातचीत #Dangal pic.twitter.com/GoTW0P0tlH— AajTak (@aajtak) July 12, 2021
आगे राकेश टिकैत ने कहा कि जब हम उनको वोट नहीं दे रहे तो कोई जबरदस्ती है या वो गुंडागर्दी के दम पर वोट लेंगे। साथ ही राकेश टिकैत ने किसी दूसरी पार्टी को समर्थन देने के सवाल पर कहा कि हम तो किसान आंदोलन और किसानों की समस्या पर ध्यान दे रहे हैं। किसानों की समस्या का समाधान भारत सरकार से बातचीत करके होगा। राकेश टिकैत ने कहा कि ये सरकार किसी पार्टी की सरकार नहीं है। अगर किसी पार्टी की सरकार होती तो जरूर बातचीत करती।
इंटरव्यू के दौरान जब राकेश टिकैत से आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर फिर से सवाल पूछा गया तो राकेश टिकैत ने कहा कि यूपी मिशन क्या होगा यह तो पांच तारीख को तय होगा। हालांकि उन्होंने साफ़ कर दिया कि वे चुनाव नहीं लड़ेंगे। साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार जब गांवों में जाएगी तो वहां के लोग उनसे सवाल करेंगे। हम तो सरकार को कह रहे हैं कि हमारी बात सुनो। सरकार को बात तो करनी पड़ेगी।
बता दें कि दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन को 7 महीने से अधिक होने के बावजूद कोई ठोस समाधान नहीं निकल पाया है। किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच जनवरी महीने से ही कोई बातचीत नहीं हुई है और गतिरोध जारी है। केंद्र सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को डेढ़ साल तक निलंबित करने का प्रस्ताव भी दिया था लेकिन किसान संगठनों ने इसे नामंजूर कर दिया था। हालांकि कृषि मंत्री ने भी साफ़ कर दिया है कि वे तीनों कानूनों के किसी भी प्रावधान पर बात करने को तैयार हैं लेकिन इन कानूनों को रद्द करने पर कोई बात नहीं होगी।