किसानों द्वारा कृषि कानूनों का विरोध लगातार जारी है। इस बीच खबर मिली है कि बुधवार सुबह सिंघू बॉर्डर पर किसान धरना स्थल के पास एक 45 साल के किसान का शव पेड़ से लटका मिला है।

पुलिस का कहना है कि शुरुआती जानकारी से पता चला है कि किसान ने कथित तौर पर आत्महत्या की है और इसी वजह से उसकी मौत हुई है। इस मामले में सीआरपीसी की धारा 174 के तहत जांच शुरू कर दी गई है।

पुलिस के मुताबिक, शख्स की पहचान गुरप्रीत सिंह के रूप में हुई है और वह फतेहगढ़ साहिब जिले की अमलोह तहसील के रुड़की गांव का रहने वाला था। वह भारतीय किसान यूनियन एकता सिद्धूपुर से जुड़ा हुआ था।

इस मामले में सोनीपत के डीएसपी लॉ एण्ड ऑर्डर वीरेंदर सिंह ने कहा कि प्राथमिक जांच में ये मामला सुसाइड का लग रहा है। जांच शुरू कर दी गई है।

इस मामले में भारतीय किसान यूनियन एकता सिद्धूपुर में जिला संयोजक गुरजिंदर सिंह का बयान सामने आया है। उन्होंने कहा कि उन्हें मामले की जानकारी सुबह करीब 6 बजे मिली। शख्स को अस्पताल ले जाया गया था, लेकिन उसे वहां मृत घोषित कर दिया गया।

सिंह ने कहा कि वह(मृतक) सोमवार को अपने गांव का दौरा करके सिंघू बॉर्डर पर लौटा था। पिछले दो दिनों में किसानों के साथ अपनी बातचीत में, उन्होंने कृषि कानूनों पर गतिरोध से परेशान होने की बात कही थी। उन्होंने कहा था कि किसानों के एक साल से अधिक समय तक विरोध करने के बावजूद सरकार उनकी मांगों को नहीं सुन रही है।

सिंह ने बताया कि मृतक ने कोई सुसाइड नोट नहीं छोड़ा है, लेकिन उनके बाएं हाथ पर एक शब्द ‘जिम्मेदार’ लिखा है। पुलिस ने बताया कि पीड़ित के परिवार में मृतक की पत्नी और एक 20 वर्षीय बेटा है।

पंजाब प्रदेश अध्यक्ष और बीकेयू एकता सिद्धूपुर के जगजीत सिंह दल्लेवाल ने भी इस मामले में बयान दिया। उन्होंने कहा कि आंदोलन शुरू होने के बाद से पीड़िता उनकी यूनियन से जुड़ा हुआ था। वह नियमित रूप से मोर्चे की बैठकों में स्वेच्छा से भाग ले रहे थे और गांव में विरोध प्रदर्शनों का हिस्सा थे। वह पिछले साल से सिंघू सीमा पर डेरा डाले हुए थे।

उन्होंने बताया कि मृतक के पास बहुत कम जमीन थी और वह अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए और कोविड-19 की चपेट में आने से पहले एक स्कूल वैन चलाते थे। यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण घटना है। सरकार को काले कानूनों को तुरंत निरस्त करना चाहिए।