कृषि कानूनों को लेकर किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच अब तक बातचीत आगे नहीं बढ़ पाई है। दोनों ही पक्ष अपने-अपने मुद्दों को लेकर अड़े हैं। जहां सरकार का कहना है कि वह कानून को वापस नहीं लेगी, लेकिन प्रावधानों पर चर्चा के लिए तैयार है, वहीं किसानों का कहना है कि बातचीत से पहले ऐसी कोई शर्त मंजूर नहीं होगी। इस बीच भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के नेता राकेश टिकैत ने सरकार पर जमकर हमला बोला है। टिकैत ने आंदोलन में खालिस्तान समर्थकों के हाथ होने और किसानों को खालिस्तानी बताने को लेकर नाराजगी जाहिर की।

क्या बोले राकेश टिकैत?: भाकियू प्रवक्ता ने एक ट्वीट में कहा, “किसानों को खालिस्तानी बताने वाले ये समझ लें कि रावण की लंका में आग एक वानर ने ही लगाई थी। यह बिल भी वापस होंगे एमएसपी कानून भी बनेगा, लेकिन समय लगेगा। अगर यह सरकार अहंकारी होगी तो सत्ता से इनकी विदाई करनी होगी।” टिकैत ने अपने इस ट्वीट में एक हैशटैग भी इस्तेमाल किया है, जिसमें लिखा है- मोदी किसानों को क्यों बेवकूफ बना रहे हैं (#WhyModiFoolingFarmers)।

टिकैत को क्यों देना पड़ा ऐसा बयान?: गौरतलब है कि पिछले छह महीने से भी ज्यादा समय से जारी किसान आंदोलन पर तरह-तरह के आरोप लग चुके हैं। सत्तासीन भाजपा के कई नेता इस आंदोलन में शामिल किसानों पर खालिस्तान से लिंक होने का आरोप लगा चुके हैं। हाल ही में एक फिल्म मेकर ने भी कहा था कि आंदोलन कर रहे किसान नहीं खालिस्तानी हैं और इनका इलाज करना जरूरी है। माना जा रहा है कि इतने समय से आंदोलन को बदनाम करने को लेकर टिकैत नाराज हो गए।

संसद के बाहर प्रदर्शनों की बात कह चुके टिकैत: बता दें कि किसान नेता राकेश टिकैत ने हाल ही में कहा था कि संसद के मानसून सत्र के शुरू होने के बाद हर दिन 200 किसानों का एक समूह संसद के बाहर ही प्रदर्शन में जुटेगा। उन्होंने आरोप लगाया था कि देश में सरकार ने अघोषित आपातकाल लगाया है और देश को अब जागना होगा। टिकैत ने यह भी कहा कि केंद्र सरकार कॉरपोरेट के दबाव में काम कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि भले ही केंद्र किसानों से बात कर लें लेकिन उन्हें कॉरपोरेट चला रहे हैं। हमने पहले भी कहा है कि जब भी सरकार तैयार होगी, हम बातचीत के लिए तैयार हैं। लेकिन कृषि मंत्री यह कहकर इसे सशर्त क्यों बना रहे हैं कि वे कृषि कानून वापस नहीं लेंगे?