कृषि कानूनों पर आंदोलनरत किसान अपनी मांगों पर अडिग हैं। वे तीनों कानूनों की वापसी के साथ MSP पर अलग कानून बनाने से कम पर राजी नहीं हैं। रविवार को इस बात के संकेत BKU नेता राकेश टिकैत ने दिए।

वह बोले कि जब तक किसानों की मांगें पूरी नहीं हो जातीं, तब तक हम केंद्र को चैन से बैठने नहीं देंगे। यह बात उन्होंने हरियाणा के करनाल में रविवार को आयोजित किसानों की महापंचायत के दौरान कही। केंद्र के लाए ये कानून जन वितरण व्यवस्था (PDS) खत्म कर देंगे। ऐसे में देश में भूख के कारोबार को मंजूरी नहीं दी जाएगी।

इसी बीच, संयुक्त किसान मोर्चा की समन्वय समिति के सदस्य शिव कुमार शर्मा ने दावा किया कि केंद्र सरकार के “अड़ियल रवैये” के कारण इन प्रावधानों पर गतिरोध बरकरार है। “कक्काजी” के नाम से मशहूर शर्मा संयुक्त किसान मोर्चा में शामिल राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ के अध्यक्ष हैं। उन्होंने इंदौर प्रेस क्लब में संवाददाता सम्मेलन के दौरान कहा, “नये कृषि कानूनों पर गतिरोध बने रहने की सबसे बड़ी वजह सरकार का अड़ियल रवैया है।”

उन्होंने कहा, “सरकार के साथ हमारी 12 दौर की वार्ता हो चुकी है। लेकिन वह किसानों को फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) प्रदान करने की कानूनी गारंटी देने को अब तक तैयार नहीं है।” कक्काजी ने कहा, “प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी संसद में लगातार बोलते रहे हैं कि किसानों से बातचीत के लिए सरकार का दरवाजा हमेशा खुला है। लेकिन इस दरवाजे में प्रवेश के लिए हमें सरकार की ओर से न तो कोई तारीख नहीं बताई गई है, न ही अगले दौर की वार्ता का न्योता दिया गया है।”

उन्होंने नये कृषि कानूनों को किसानों के लिए “डेथ वॉरंट” (मौत का फरमान) बताते हुए कहा, “अगर सरकार अन्नदाताओं के हितों की वाकई चिंता करती है, तो उसे इन कानूनों को वापस लिए जाने की हमारी मांग मान लेनी चाहिए।” गौरतलब है कि अमेरिकी गायिका रिहाना और स्वीडन की पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग ने किसान आंदोलन के समर्थन में कुछ दिन पहले ट्वीट किए थे। इसके बाद भारतीय क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर और गायिका लता मंगेशकर ने केंद्र सरकार के समर्थन वाले हैशटेग के साथ जवाबी ट्वीट किए थे।

ट्विटर के इस घटनाक्रम पर कक्काजी ने कहा, “सबसे पहले हम राष्ट्रवादी हैं। हम नये कृषि कानूनों का मसला अपने देश में सरकार के साथ मिल-बैठकर सुलझा लेंगे। हमें इस मसले में बाहरी शक्तियों की दखलंदाजी कतई बर्दाश्त नहीं है।” किसान नेता ने तेंदुलकर पर तंज कसते हुए पूछा कि उन्होंने कौन-सी खेती की है और वह किसानों के बारे में आखिर जानते ही क्या हैं?

कक्काजी ने यह घोषणा भी की कि नये कृषि कानूनों के खिलाफ मध्य प्रदेश के हर जिले में किसान महापंचायतों का सिलसिला शुरू किया जाएगा और इसका आगाज सोमवार को खरगोन में आयोजित महापंचायत से होगा। उन्होंने कहा, “हम राज्य में एक ग्राम, 20 किसान अभियान की शुरुआत भी करेंगे। इसके तहत हर गांव से 20 किसानों को जोड़ा जाएगा जो दिल्ली की सरहदों पर चल रहे आंदोलन में शामिल होंगे।” (भाषा इनपुट्स के साथ)