महाराष्ट्र की देवेंद्र फडणवीस सरकार के एक साल (31 अक्तूबर) पूरे होने की पूर्व संध्या पर शिवसेना और भारतीय जनता पार्टी के बीच मतभेद चरम पर पहुंच गए। दोनों ने एक-दूसरे के खिलाफ जमकर आग उगली। शुक्रवार को कल्याण डोंबिवली चुनाव (मतदान एक नवंबर को) की अंतिम प्रचार सभा के दौरान जहां शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने सरकार से समर्थन वापस लेने की धमकी दी, वहीं मुख्यमंत्री ने दो टूक कहा कि शिवसेना की संस्कृति आतंकवाद की संस्कृति है। दोनों ने एक-दूसरे पर चुनाव आचार संहिता को ताक पर रखने के आरोप लगाए।

शुक्रवार को कल्याण में आम सभा के दौरान फडणवीस सरकार में कैबिनेट मंत्री एकनाथ शिंदे ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग करने और आचार संहिता को ताक पर रखने के विरोध में अपना इस्तीफा उद्धव ठाकरे को सौंपा, जिसे उन्होंने अस्वीकार करते हुए कहा कि वे अकेले शिंदे का इस्तीफा नहीं लेंगे। इसके बाद उद्धव ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर राज्य सरकार अपनी मस्ती में काम करेगी, तो शिवसेना समर्थन वापस ले लेगी।

ठाकरे ने पुलिस और चुनाव आयुक्त से आह्वान किया कि वे भाजपा के बरतन-कपड़े धोने का काम ना करें। और अगर करना है तो अपना पद छोड़कर भाजपा के लिए यह काम करें। उन्होंने कहा कि भाजपा समझ गई है कि चुनाव जीत नहीं सकती, इसलिए शिवसेना के कार्यकताओं को तड़ीपार करना चाहती है। ठाकरे ने कहा कि अघोषित आपातकाल जैसी स्थिति है। मगर यह ना भूलें कि जनता ने इंदिरा गांधी को सत्ता से उतार दिया था, तो आपकी क्या औकात है।

इसके बाद डोंबिवली की प्रचार सभा में मुख्यमंत्री फडणवीस ने शिवसेना को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि शिवसेना की संस्कृति आतंकवाद की है। वे इस आतंकवाद के खिलाफ चुनाव आयोग से शिकायत करेंगे। उन्होंने कहा, ‘भाजपा कार्यकर्ताओं ने चूड़ियां नहीं पहन रखी है’। फडणवीस ने आरोप लगाया कि शिवसेना ने भाजपा के एक कार्यकर्ता की हत्या की कोशिश की। एक का अपहरण कर उसकी पिटाई की। गिरफ्तारी से बचने से लिए शिवसेना उलटे शोर मचा रही है। उन्होंने कहा कि एकनाथ शिंदे ने इस्तीफे का नाटक किया, ‘शिवसेना नाटक कंपनी है’।

इसके बाद फडणवीस ने गिन-गिन कर उद्धव ठाकरे की टिप्पणियों का जवाब दिया। भाजपा की पाकिस्तान से मिलीभगत और राष्ट्र प्रेम के जवाब में फडणवीस ने कहा कि पाकिस्तानी क्रिकेटर जावेद मियांदाद को जब शिवसेना ने घर खाने पर बुलाया था, तब राष्ट्र प्रेम कहां गया था, जो गुलाम अली के समय उफान पर आया। फडणवीस ने कहा कि आपातकाल के दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लोग जेल में थे। उनके पिता जेल में थे। तब शिवसेना कहां थी?

उद्धव ने निशाना साधते हुए कहा था कि भाजपा ने उनकी 25 साल की दोस्ती देखी है, बाघ का पंजा नहीं देखा। इस पर फडणवीस ने जवाब दिया कि शिवसेना बाघ का पंजा कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी को दिखाए, वही इससे डरते हैं। हम तो बाघ के जबड़े में हाथ डालने वाले लोग हैं।