फेसबुक विवाद को लेकर सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्षी कांग्रेस के बीच वाकयुद्ध गुरुवार को नया मोड़ ले लिया। भाजपा सांसद और सूचना प्रौद्योगिकी पर स्थायी समिति के सदस्य निशिकांत दुबे ने लोकसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर शशि थरूर को उनके पद से हटाने की मांग की।
दुबे ने कहा कि थरूर की तरफ से स्थापित संसदीय संस्थाओं के प्रति रवैया दोषपूर्ण और बहुत तिरस्कार वाला है। मालूम हो कि निशिकांत दुबे और शशि थरूर दोनों ने पहले एक दूसरे के खिलाफ विशेषाधिकार का उल्लंघन करने के नोटिस दे चुके हैं। थरूर ने एक समन भेजकर फेसबुक के प्रतिनिधियों को वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट पर स्पष्टीकरण देने के लिए आईटी पैनल के सामने पेश होने को कहा था। रिपोर्ट में आरोप लगाया गया था कि फेसबुक ने भाजपा के मुस्लिम विरोधी पोस्ट के लिए नफरत फैलाने वाले नियमों की अनदेखी की थी।
दुबे ने स्पीकर ओम बिरला को लिखे अपने पत्र में नियम 283 को लागू करने का अनुरोध किया। यह नियम स्पीकर को यह अधिकार देता है कि वह समितियों को निर्देश दे सकें। उन्होंने नियम 258(3) के संदर्भ में रूल एंड प्रोसिजर ऑफ बिजनेस लोकसभा में आईटी समिति के अध्यक्ष के रूप में कार्य करने के लिए एक और सदस्य चुनने का निर्देश देने का आग्रह किया। नियम 258 (3) कहता है: “यदि अध्यक्ष किसी भी बैठक से अनुपस्थित है, तो समिति उस बैठक के लिए अध्यक्ष के रूप में कार्य करने के लिए किसी अन्य सदस्य का चयन करेगी।
वहीं, दुबे के बाद अब पार्टी के ही एक अन्य सांसद राज्यवर्द्धन सिंह राठौर ने कांग्रेस सांसद शशि थरूर के खिलाफ बृहस्पतिवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखा और आपत्ति जताई कि संसदीय समिति के सदस्यों से चर्चा किए बिना उन्होंने फेसबुक के अधिकारियों को इसकी बैठक में बुलाए जाने की अपनी मंशा सार्वजनिक की। थरूर सूचना प्रौद्योगिकी संबंधी संसदीय समिति के प्रमुख हैं। फेसबुक को लेकर जारी ताजा विवाद के मद्देनजर उन्होंने रविवार को कहा था कि सूचना प्रौद्योगिकी मामले की स्थायी समित इस सोशल मीडिया कंपनी से इस विषय पर जवाब मांगेगी।
राठौर ने कहा, ‘‘किसे बुलाया जाना है और बैठक की विषय-वस्तु क्या होगी, इस बारे में बयान देना दुर्भाग्यपूर्ण है और लोकसभा की प्रक्रियाओं का उल्लंघन है। सूचना प्रौद्योगिकी संबंधी संसदीय समिति के अध्यक्ष का मीडिया में पहले बोलने की तत्परता समिति के सदस्यों के अलावा समिति की कार्यप्रणाली को भी कमजोर करती है।’’