विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के ललित मोदी प्रकरण में आलोचनाओं का शिकार होने के बीच, उनके मंत्रालय ने पूर्व आइपीएल प्रमुख का पासपोर्ट बहाल करने को लेकर पैदा विवाद के बारे में जानकारी देने से इनकार कर दिया है। कांग्रेस और वामदलों ने इसकी कड़ी निंदा की।
मंत्रालय ने सूचना के अधिकार कानून 2005 (आरटीआइ) के तहत दिए गए सात सवालों वाले आवेदन का जवाब देते हुए कहा कि एक हिस्सा तो कानून के दायरे में नहीं आता जबकि दूसरे हिस्से के सवालों के बारे में उसके पास जानकारी नहीं है। आवेदन में पूछा गया था कि मोदी का पासपोर्ट बहाल करने के दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील नहीं करने का फैसला किसका था।
विदेश मंत्रालय ने हरियाणा के रायो नाम के आवदेक को 26 जून के अपने जवाब में कहा कि कृपया ध्यान दें कि विदेश मंत्री के कार्यालय ने जानकारी दी है कि आपकी आरटीआइ में क्रम संख्या एक से तीन तक के सवाल आरटीआइ कानून 2005 के दायरे में नहीं आते हैं। क्रम संख्या चार से सात तक के प्रश्नों के बारे में विदेश मंत्री कार्यालय के पास कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है। विदेश मंत्रालय ने हालांकि कहा कि आवेदन उसके महावाणिज्यदूत, पासपोर्ट और वीजा संभाग और वित्त व गृह मंत्रालय के पास भेजा गया है।
विदेश मंत्रालय के इस कदम की विपक्ष ने कड़ी आलोचना की है। कांग्रेस ने इसे आरटीआइ कानून की भावना के खिलाफ बताया है। माकपा ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने इस कानून को ध्वस्त कर दिया है।
कांग्रेसी नेता पीसी चाको ने कहा,‘यह आरटीआइ कानून की भावना के खिलाफ है।’ माकपा नेता बृंदा करात ने कहा कि यह अवरोध पैदा करने से अधिक का मामला है। भाजपा ने हालांकि विदेश मंत्रालय के कदम का सावधानीपूर्वक बचाव किया। पार्टी के प्रवक्ता नलिन कोहली ने कहा, ‘आरटीआइ को लेकर एक प्रक्रिया है। इसके बारे में कुछ नियम हैं। इन नियमों का पालन करना होता है। अगर यह किसी विशेष बात को लेकर है तो संबंधित अधिकारी ही बता पाएंगे।’
आवेदक ने शुरुआती तीन प्रश्नों में पूछा है कि अगर सुषमा ललित को पुर्तगाल जाने में मानवीय आधार पर मदद करना चाहती थीं तो उन्होंने ललित को भारतीय उच्चायोग में अस्थायी यात्रा दस्तावेज के लिए आवेदन करने की सलाह क्यों नहीं दी। आवेदन में यह भी पूछा गया कि विदेश मंत्री ने ललित को अस्थायी भारतीय यात्रा दस्तावेज जारी करने के बदले उनकी भारत वापसी की शर्त पर जोर क्यों नहीं दिया।
प्रश्न संख्या चार से सात तक पूछा गया कि क्या सरकार ने प्रवर्तन निदेशालय के सामने हाजिर होने से इनकार करने वाले ललित को रहने की अनुमति देने के लिए ब्रिटेन के सामने कोई आपत्ति जताई या नहीं। आरटीआइ आवेदन में ललित के इस आरोप पर सरकार का जवाब पूछा गया है कि अगर वह भारत लौटे तो उनकी जिंदगी खतरे में होगी।
