Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (16 अगस्त, 2022) को कहा कि ‘तलाक-ए-हसन’ के माध्यम से मुस्लिमों में तलाक देने की प्रथा तीन तलाक की तरह नहीं है और महिलाओं के पास भी ‘खुला’ का विकल्प है। इस्लाम में एक पुरुष तलाक ले सकता है, जबकि एक महिला ‘खुला’ के माध्यम से अपने पति से अलग हो सकती है।
जस्टिस एस.के. कौल और जस्टिस एम.एम. सुंदरेश की बेंच ने कहा कि अगर पति और पत्नी एक साथ नहीं रह सकते तो रिश्ता तोड़ने के इरादे में बदलाव न होने के आधार पर संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत तलाक दिया जा सकता है।
बता दें, शीर्ष अदालत ‘तलाक-ए-हसन’ और ”एकतरफा न्यायेत्तर तलाक के सभी अन्य रूपों को अवैध तथा असंवैधानिक” घोषित करने की मांग करने वाली एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिका में दावा किया गया है कि तलाक के ये तरीके मनमाने, असंगत और मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करते हैं।
तलाक-ए-हसन क्या है?
मुस्लिम लॉ बोर्ड में तलाक-ए-हसन को शादी तोड़ने का एक तरीका माना गया है। तलाक-ए-हसन में कोई भी मुस्लिम मर्द अपनी पत्नी को तीन महीने में तीन बार किश्तों में तलाक दे सकता है।
उदाहरण के तौर पर अगर किसी मुस्लिम शख्स ने अपनी पत्नी को जनवरी के महीने में तलाक बोला। तो यह तलाक नहीं माना जाएगा। अगले महीने यानी फरवरी में पति अपनी पत्नी को फिर से तलाक देगा, जिसके बाद भी दोनों के साथ रहने की गुंजाइश बची रहेगी। इस बीच भी अगर दोनों के बीच सब कुछ ठीक नहीं होता है तो तीसरे महीने यानी मार्च में एक बार फिर आखिरी बार तलाक देगा।
तलाक-ए-हसन के अनुसार, यह आखिरी तलाक होगा जिसके बाद दोनों के बीच शादी खत्म मानी जाएगी। हालांकि, इन तीन महीनों में अगर दोनों के बीच सब ठीक हो जाता है तो उन्हें फिर से निकाह की जरूरत नहीं होगी, लेकिन एक बार दोनों का तलाक हो गया तो फिर शादी टूटी हुई मानी जाएगी। बता दें, तलाक का रूप वर्षों से आलोचना का विषय रहा है। विभिन्न याचिकाकर्ताओं ने इसे समाप्त करने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाते हुए कहा है कि “यह महिलाओं के अधिकारों का उल्लंघन करता है”
तलाक-ए-हसन और तीन तलाक में क्या अंतर है?
इस्लाम में तलाक के तीन रूप हैं: तलाक-ए-अहसान, तलाक-ए-हसन और तलाक-ए-बिद्दत।
क्या है तलाक-ए-अहसान?
तलाक-ए-अहसान को शादी भंग करने का सबसे अस्वीकृत तरीका माना जाता है। तलाक-ए-अहसान के तहत पति को एक ही वाक्य में तलाक का उच्चारण करना होता है, जब पत्नी मासिक धर्म के समय से न गुजर रही हो। तलाक-ए-अहसान में पति एकतरफा तलाक देता है।
तलाक-ए-बिद्दत क्या है?
तलाक-ए-बिद्दत यानी तीन तलाक भी शादी तोड़ने का एक माध्यम है, लेकिन इसे भारत में अब अपराध माना जाता है। इसमें पति सिर्फ एक साथ तीन बार तलाक कह देता है तो वह तलाक मान लिया जाता है। सबसे खास बात है कि पति चाहे फोन पर, चाहे सामने बोलकर या चाहे लिखकर भी इस तलाक को दे सकता।
क्या है ‘खुला’
यह भी इस्लाम में तलाक की एक प्रक्रिया है, जिसके जरिए पत्नी अपने शौहर से तलाक ले सकती है। तलाक की तरह खुला का विवरण भी कुरान और हदीस में है। खुला में पत्नी तलाक लेती है। इसमें पत्नी को कुछ संपत्ति पति को वापस करनी पड़ती है। इसमें दोनों की सहमति होनी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
बेंच ने कहा कि यह उस तरीके से तीन तलाक नहीं है। विवाह एक तरह का करार होने के कारण आपके पास खुला का विकल्प भी है। अगर दो लोग एक साथ नहीं रह सकते, तो हम भी शादी तोड़ने का इरादा न बदलने के आधार पर तलाक की अनुमति देते हैं। अगर ‘मेहर’ (दूल्हे द्वारा दुल्हन को नकद या अन्य रूप में दिया जाने वाला उपहार) दिया जाता है तो क्या आप आपसी सहमति से तलाक के लिए तैयार हैं? कोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टया, हम याचिकाकर्ताओं से सहमत नहीं है। हम इसे किसी भी वजह से कोई एजेंडा नहीं बनाना चाहते।
याचिकाकर्ता बेनजीर हीना की ओर से पेश वरिष्ठ वकील पिंकी आनंद ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक को असंवैधानिक घोषित किया था, लेकिन उसने तलाक-ए-हसन के मुद्दे पर फैसला नहीं दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने पिंकी आनंद से यह भी निर्देश लेने को कहा कि यदि याचिकाकर्ता को ‘मेहर’ से अधिक राशि का भुगतान किया जाता है तो क्या वह तलाक की प्रक्रिया पर समझौता करने के लिए तैयार होगी। उसने याचिकाकर्ता से यह भी कहा कि ‘मुबारत’ के जरिए इस अदालत के हस्तक्षेप के बिना भी शादी तोड़ना संभव है। कोर्ट अब इस मामले पर 29 अगस्त को सुनवाई करेगा।
गाजियाबाद निवासी हीना ने सभी नागरिकों के लिए तलाक के समान आधार और प्रक्रिया बनाने के लिए केंद्र को निर्देश दिए जाने का भी अनुरोध किया है। हीना ने दावा किया कि वह ‘तलाक-ए-हसन’ की पीड़िता है।
विशेष रूप से, इसी तरह की एक याचिका दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष भी लंबित है, जिसने इस साल जून में दिल्ली पुलिस और एक मुस्लिम व्यक्ति से जवाब मांगा था, जब उसकी पत्नी ने कथित तौर पर उसके द्वारा भेजे गए तलाक-ए-हसन नोटिस को चुनौती देने वाली याचिका दायर की थी।