देश में टीकाकरण अभियान की शुरुआत के वक्त स्वास्थ्य मंत्रालय और सरकार ने कहा था कि दो खुराकों के बीच 28 दिनों का अंतर होना चाहिए। यह भी बताया गया था कि दूसरी खुराक लेने के 14 दिन बाद ही उसका असर दिखेगा। इस बारे में चिकित्सा विशेषज्ञों की अलग-अलग राय है।

विशेषज्ञों के मुताबिक वैक्सीन की पहली खुराक शरीर में वायरस को पहचानने और प्रतिरक्षा प्रणाली को सुधारने के लिए बनाई गई है। दूसरी खुराक को बूस्टर शॉट कहा जाता है। यह प्रतिरक्षा प्रणाली को आगे बढ़ाता है। इसलिए दोनों काे लेना जरूरी है।

मुंबई के पीडी हिंदुजा अस्पताल के कंसल्टेंट पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. लैंसेलोट पिंटो का कहना है कि दूसरी वैक्सीन की खुराक लेने में थोड़ा देर करने से लाभ हो सकता है। आंकड़ों से पता चला है कि लंबे अंतराल (तीन महीने तक) के साथ प्राइम-बूस्ट रणनीति अधिक प्रभावकारी है।

उन्होंने कहा, “यह वह डेटा था जिसके आधार पर यूके को 12 सप्ताह बाद दूसरी खुराक लेने के दिशानिर्देश जारी किए गए थे। यह भी अधिक से अधिक व्यक्तियों को पहली खुराक लेने की अनुमति देता है, बजाय इसके कि अगले चरण को समाप्त करने से पहले सभी को दूसरी खुराक ले लेने की प्रतीक्षा करें।”

दूसरी ओर मुंबई के ही जसलोक हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के सलाहकार जनरल मेडिसिन डॉ. रोहन सिकेरा का मानना ​​है कि 28 दिनों के अनुशंसित अंतराल के करीब ही दूसरी खुराक काे ले लेना चाहिए।

उनके मुताबिक, “यदि अनुशंसित अंतराल का पालन करना संभव नहीं है, तो पहली खुराक के छह सप्ताह या 42 दिन बाद तक दूसरी खुराक ली जा सकती है। कुछ शोध से पता चला है कि पहली खुराक के बाद 42 दिनों तक इंतजार किया जा सकता है, लेकिन 28 दिनों के अनुशंसित समय से देर करने पर इन टीकों का कितना असर होगा, इसके बारे में बहुत कम जानकारी है।

डॉ. सिकेरा ने कहा कि टीका लगने की समय सीमा उसको बनाने वाले कुछ विशिष्ट कारणों को ध्यान में रखकर तय करते हैं। क्योंकि दोनों खुराक लेने पर ही उनका असर होता है।

उन्होंने कहा, “टीकों से शरीर की कोशिकाएं प्रोटीन का उत्पादन करती हैं। ये प्रोटीन प्रतिरक्षा कोशिकाओं को प्रेरित करते हैं, जो एंटीबॉडी का उत्पादन करती हैं। यही एंटीबॉडी वायरस से लड़ता है। टीके से शरीर में एक प्रोटीन बनता है, जो वायरस की तरह दिखता है और इससे शरीर यह मानकर एंटीबॉडी का उत्पादन करता है कि आपके पास पहले से ही संक्रमण है।”