मध्य प्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व के वन अधिकारियों ने भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) के एक अधिकारी और सर्वोच्च न्यायालय में कार्यरत उनकी पत्नी से स्पष्टीकरण मांगा है। उन पर आरोप है कि उन्होंने पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र में एक होटल/रिसॉर्ट का निर्माण किया है। इंडियन एक्सप्रेस को इसकी जानकारी मिली है।

पन्ना के क्षेत्रीय निदेशक नरेश कुमार यादव ने 9 सितंबर को प्रधान मुख्य वन संरक्षक और भोपाल स्थित फारेस्ट फोर्स चीफ को सौंपी गई कार्रवाई रिपोर्ट में कहा है कि 3 सितंबर को उस परिसर के क्षेत्रीय दौरे के दौरान, जहां कथित तौर पर यह ढांचा बनाया गया है, एक “आरा मशीन” जब्त की गई। साथ ही आयुक्त (अपील) के पद पर तैनात वरिष्ठ आईआरएस अधिकारी बी. श्रीनिवास कुमार और सर्वोच्च न्यायालय में केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी हिमानी सरद को नोटिस जारी किए गए।

दंपति ने क्षेत्रीय निदेशक को दिए अपने जवाब में कहा कि विवादित ढांचा कोई रिसॉर्ट नहीं, बल्कि उनका घर है, जो “राजस्व अधिकारियों द्वारा विधिवत पंजीकृत, म्यूटेटेड, डायवर्ट और सीमांकन की गई आवासीय भूमि पर निर्मित है।”

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इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में सरद ने कहा, “मैंने दिल्ली में अपना घर बेच दिया है और मेरे पास कोई दूसरा घर नहीं है। यह मेरा सेवानिवृत्ति के बाद का घर है, जहां मैं स्थानीय बच्चियों को पढ़ाना चाहती थी। निरीक्षण दल ने हमारी अनुपस्थिति में हमारे यहां दौरा किया और हमारे कर्मचारियों को धमकाया। हमने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है क्योंकि उन्होंने हमारे कर्मचारियों को बुरा-भला कहा और डराया-धमकाया, जबकि हममें से कोई भी पन्ना में मौजूद नहीं था। हम पूरी तरह से उत्पीड़न का सामना कर रहे हैं।”

यह कार्रवाई रिपोर्ट वन्यजीव कार्यकर्ता अजय दुबे की शिकायत के आधार पर दर्ज की गई है। दुबे ने इस निर्माण की जांच एक विशेष जांच दल से कराने की मांग की थी।

रिपोर्ट में कहा गया है कि “मकान पर होटल/रिसॉर्ट निर्माण की सूचना मिलने पर” वन विभाग के कर्मचारियों ने वहां से एक आरा मशीन जब्त की। रिपोर्ट में यह भी दर्ज है कि दंपति को “पारिस्थितिक संवेदनशील क्षेत्र में निषिद्ध/विनियमित गतिविधियों के संबंध में सात दिनों के भीतर अपना पक्ष रखने” के लिए कहा गया है। दंपति ने अपने जवाब में कहा कि “मेरे आवास पर कोई व्यावसायिक गतिविधि नहीं चल रही है।”

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जवाब में यह भी कहा गया है, “यह निर्माण कार्य पंचायत शुल्क/कर जमा करने और संबंधित अधिकारियों द्वारा भूमि को कृषि से आवासीय उपयोग में परिवर्तित करने के बाद किया गया था। यदि भविष्य में हम कभी कोई छोटा होमस्टे/फार्मस्टे चलाना चाहेंगे, तो हम अनिवार्य अनुमति प्राप्त करने के बाद ही आगे बढ़ेंगे।” अपने जवाब में दंपति ने निरीक्षण दल पर मनमानी का आरोप भी लगाया।

आरा मशीन की जब्ती के सवाल पर सरद ने कहा, “हमारे पास एक वुड प्लेनर मशीन थी, जिसका कभी इस्तेमाल नहीं हुआ, न ही उसे कभी प्लग-इन किया गया और न ही इंस्टॉल किया गया। यह अब भी अपनी मूल, पैक्ड स्थिति में है, जो सभी निरीक्षकों को साफ दिखाई दे रहा था। हमने उन्हें स्पष्ट रूप से बताया कि हम इसका उपयोग नहीं कर रहे हैं और इसे बिक्री के लिए रखा है, हालांकि कोई खरीदार अभी तक नहीं मिला है। यह ध्यान रखना ज़रूरी है कि वुड प्लेनर वास्तविक लकड़ी के निर्माण से बिल्कुल अलग होता है। निरीक्षण दल ने गहन जांच की और पाया कि हमारे घर के निर्माण में किसी भी लकड़ी का इस्तेमाल नहीं किया गया है।”

उन्होंने आगे कहा, “हम एक आवास बना रहे हैं और पंचायत कर का भुगतान कर चुके हैं। हमने जमीन को कृषि भूमि से आवासीय में परिवर्तित कर लिया है और केवल जैविक खेती कर रहे हैं। हमने क्षेत्रीय निदेशक को यह सब सूचित कर दिया है और हमें पूरा भरोसा है कि वे कानून के अनुसार कार्रवाई करेंगे।”

पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के अनुसार, पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र वे 10 किलोमीटर तक के क्षेत्र होते हैं, जो “राष्ट्रीय उद्यानों और वन्यजीव अभयारण्यों के आसपास एक प्रकार के शॉक एब्ज़ॉर्बर के रूप में स्थापित किए गए हैं।”

दिशानिर्देशों के मुताबिक, इन क्षेत्रों में खनन, आरा मिलों की स्थापना, उद्योग, बड़ी जलविद्युत परियोजनाएं और पर्यटन संबंधी गतिविधियां प्रतिबंधित हैं। होटलों की स्थापना पर भी सख्त नियम लागू हैं, और उन्हें एक स्वीकृत मास्टरप्लान का पालन करना होता है, जिसमें आवासों की व्यवस्था के साथ-साथ जंगली जानवरों की आवाजाही प्रभावित न हो, इसका भी ध्यान रखा जाता है।