Karur Stampede: पिछले महीने तमिलनाडु के करूर में एक्टर विजय की रैली में भगदड़ मच गई थी और इसमें दो दलित परिवारों ने भी अपने प्रियजनों को खो दिया था। उनका कहना है कि घटना की सीबीआई जांच की मांग करते हुए उनके नाम से सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं उनकी जानकारी के बिना दायर की गई थीं। दोनों का कहना है कि उन्हें सबसे पहले टीवी, न्यूज रिपोर्ट और स्थानीय अधिकारियों से पूछताछ के माध्यम से इसकी जानकारी मिली।

करूर के पास एमुर पुथुर गांव के ट्रैक्टर चलाने वाले और खेतिहर मजदूर पी. सेल्वराज ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया , “मैं बहुत दर्द से गुजर रहा हूं, मुझे समझ नहीं आ रहा कि क्या कहूं। मैं अनपढ़ हूं। मुझे मुकदमों या अदालतों के बारे में कुछ भी नहीं पता। जब मुझे पता चला कि सुप्रीम कोर्ट में मेरे नाम से मेरी जानकारी के बिना एक याचिका दायर की गई है, तो मैं बहुत दुखी हुआ। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि उन्होंने मेरे नाम का इस तरह इस्तेमाल किया।”

भगदड़ में सेल्वराज की पत्नी के. चंद्रा की मौत हो गई। काम मिलने पर वह 600 रुपये रोजाना कमाते हैं। हफ्ते में मुश्किल से तीन दिन और अपने दो बेटों के साथ रहते हैं। उनके अनुसार, त्रासदी के कुछ दिन बाद एक स्थानीय एआईडीएमके नेता उनके पास आए और सरकारी मुआवजा और उनके बड़े बेटे के लिए नौकरी का वादा किया। सेल्वराज ने कहा, “उन्होंने कहा कि मुझे कुछ कागजों पर साइन करने होंगे, जो मैंने कर दिए। मुझे नहीं पता था कि यह एक अदालती मामले के लिए है।” उन्होंने बताया कि उन लोगों ने उनके आधार कार्ड की एक कॉपी भी ले ली।

मुझे कुछ नहीं पता है- सेल्वराज

जब यह खबर फैली कि पी सेल्वराज नाम के एक याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में सीबीआई जांच की मांग की है, तो सेल्वराज ने कहा कि उन्हें “कुछ पता नहीं है।” वह उस वकील को नहीं जानते जो उनके नाम से कोर्ट में पेश हुआ था। यह घटनाक्रम सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के बीच आया है। इसमें जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस एनवी अंजारिया ने शुक्रवार को मद्रास हाईकोर्ट के उस आदेश पर सवाल उठाया, जिसमें भगदड़ की जांच के लिए एक एसआईटी गठित करने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने एक्टर विजय की पार्टी टीवीके और अन्य द्वारा दायर याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। इनमें कथित तौर पर दोनों परिवारों द्वारा दायर याचिकाएं भी शामिल हैं। इन याचिकाओं में सीबीआई जाचं की मांग की गई है।

सेल्वराज की याचिका में कहा गया है, “पुलिस अधिकारियों को मामूली चोटें भी नहीं आईं।” दूसरे याचिकाकर्ता पन्नीरसेल्वम का प्रतिनिधित्व करने वाले एक वरिष्ठ वकील ने तर्क दिया, “पुलिस जांच अधिकारियों की उदासीनता और संभावित राजनीतिक हस्तक्षेप के कारण प्रभावित हुई।” सेल्वराज की तरह उसी भगदड़ में मारे गए नौ साल के लड़के की मां शर्मिला ने कहा कि उन्होंने कभी भी ऐसी याचिका को मंजूरी नहीं दी।

मैंने अपने बेटे को अकेले ही पाला है- शर्मिला

एमुर पुथुर गांव की ही शर्मिला ने बताया कि उन्हें पहली बार सुप्रीम कोर्ट में उनके नाम से दायर याचिका के बारे में तब पता चला जब स्थानीय पुलिस स्टेशन के किसी व्यक्ति ने उनसे इसके बारे में पूछा। उन्होंने दावा किया कि पन्नीरसेल्वम उनके पूर्व पति हैं। उन्होंने उनके बेटे पृथ्वीक के छह महीने के होने पर परिवार को छोड़ दिया था। उन्होंने कहा, “दो साल बाद, वह वापस आए, लेकिन फिर चले गए।” उन्होंने बताया कि उन्होंने पृथ्वीक को अकेले ही पाला है और स्कूल की पढ़ाई के फायदे पाने के लिए सरकार से उन्हें सिंगल मदर घोषित करने का सर्टिफिकेट भी मिला है। उन्होंने कहा, “मेरा बेटा अपने पिता को तो जानता था, लेकिन उसे अपने पिता का पता नहीं था।”

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तमिल मीडिया को अपनी कहानी बताते हुए उन्होंने कहा कि पन्नीरसेल्वम अंतिम संस्कार के लिए आए और मुझसे या किसी से भी बात किए बिना जल्दी से चले गए। रैली वाले दिन शर्मिला अपने बेटे और लगभग 70 अन्य ग्रामीणों के साथ टीवीके की तरफ से व्यवस्था की गई मिनी वैन में यात्रा कर रही थीं। उन्होंने बताया, “हम दोपहर से ही सड़क किनारे सुरक्षित खड़े थे, यह सुनने के बाद भी कि वह देर से आ रहे हैं, इंतजार कर रहे थे।” उन्होंने आगे कहा, “विजय की गाड़ी के मौके पर पहुंचने से कुछ ही पल पहले भगदड़ मच गई। कई लोग मुझ पर गिर पड़े और मैं बेहोश हो गई। जब मुझे होश आया, तो उन्होंने बताया कि मेरे बच्चे को अस्पताल ले जाया गया है।”

अलग-अलग अस्पतालों में ढूंढने के बाद पता चला कि वह मर चुका था। उसके शरीर पर कोई चोट नहीं थी, बस कीचड़ और मिट्टी थी। दम घुटने से उसकी मौत हो गई थी। कुछ दिनों बाद शर्मिला के परिवार ने कहा कि उन्हें टीवीके पदाधिकारियों से फोन आया। इसमें बताया गया कि उनके पूर्व पति ने कथित तौर पर मांग की है कि मुआवजा उनके खाते में जमा किया जाए।

पन्नीरसेल्वम की सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में तमिलनाडु सरकार पर जन सुरक्षा सुनिश्चित करने के अपने कर्तव्य में विफल होने का आरोप लगाया गया है और दावा किया गया है कि पुलिस जांच अधिकारियों की उदासीनता और संभावित राजनीतिक हस्तक्षेप के कारण प्रभावित हुई है। पन्नीरसेल्वम एक प्राइवेट बस चालक हैं और कोयंबटूर में रहते हैं।

मैं बस शांति चाहती हूं- शर्मिला

सेल्वराज और शर्मिला दोनों ही दलित सबकास्ट अरुंधतिआर से हैं। अब उनकी सुरक्षा के लिए पुलिसकर्मी तैनात कर दिए गए हैं। सुप्रीम कोर्ट इस बात पर विचार कर रहा है कि जांच राज्य की एसआईटी के पास ही रहे या सीबीआई को सौंप दी जाए, वहीं पीड़ित परिवारों का कहना है कि वे बस शांति चाहते हैं। शर्मिला ने कहा, “मैं बस अपने बेटे को जिंदा देखना चाहती थी। अब मैं बस इस सब से बाहर रहना चाहती हूं।”

सेल्वराज ने बताया कि भगदड़ के लगभग 10 दिन बाद विजय ने उन्हें कॉल किया था। करूर के एक स्थानीय टीवीके पदाधिकारी ने बताया कि इन ताज़ा खुलासों के बाद से पार्टी नेतृत्व उन पर बेहद नाराज है। टीवीके के प्रचार महासचिव केजी अरुणराज ने कहा कि उन्होंने अपनी पार्टी की ओर से अलग से अदालत का रुख किया है। उन्होंने कहा, “इन दोनों लोगों की शिकायतों के संबंध में, हम इसमें पक्षकार नहीं हैं। हमें ऐसा क्यों करना चाहिए? हमें इन दोनों याचिकाकर्ताओं के बारे में जानकारी नहीं है।”

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