कोरोना के खिलाफ लड़ाई के आखिरी चरण में उम्मीद है कि देश में बड़े स्तर पर वैक्सिनेशन अभियान शुरू होगा। मंगलवार को केंद्र सरकार ने कहा कि टीकाकरम में उनको प्राथमिकता दी जाएगी जो कोरोना से ज्यादा प्रभावित हो सकते हैं जिससे की कोरोना चेन तोड़ी जा सके। सरकार ने ये भी संकेत दिए हैं कि हो सकता है पूरी आबादी को कोरोना का टीका न लगाया जाए। भारत में अगले साल फरवरी तक कोरना टीका उपलब्ध हो सकता है। वहीं यूरोप में Pfizer और BioNTech की कोविड 19 वैक्सीन इसी महीने उपलब्ध हो सकती है। ईयू के इमर्जेंसी अप्रूवल के लिए अप्लाइ किया गया है।
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के महानिदेशक बलराम भार्गव ने प्रेसवार्ता के दौरान एक सवाल के जवाब में कहा कि कोविड टीका अभियान का उद्देश्य संक्रमण के प्रसार की श्रृंखला को तोड़ना होगा। उन्होंने कहा, ‘हमारा उद्देश्य संक्रमण के प्रसार की श्रृंखला को तोड़ना होगा। अगर हम आबादी के कुछ हिस्से का टीकाकरण करने और संक्रमण के प्रसार की श्रृंखला को तोड़ने में सक्षम हैं तो हमें देश की पूरी आबादी के टीकाकरण की आवश्यकता नहीं होगी।’
इस दौरान, केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा कि पूरे देश की आबादी को कोविड-19 का टीका लगाने के बारे में कभी कोई बातचीत नहीं हुई। उन्होंने कहा, ‘मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि सरकार ने पूरे देश की आबादी के टीकाकरण के बारे में कभी नहीं कहा।’ इस बीच, केंद्र ने मंगलवार को कहा कि चेन्नई में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के कोविड-19 टीके के परीक्षण में हिस्सा लेने वाले एक भागीदार के कथित तौर पर दिक्कतों का सामना करने के संबंध में शुरूआती निष्कर्षों के मद्देनजर परीक्षण रोकने की आवश्यकता नहीं थी। साथ ही स्पष्ट किया कि इस घटना का किसी भी तरीके से टीके को पेश करने की समय-सीमा पर असर नहीं पड़ेगा।
उधर, डॉ रेड्डीज लेबोरेटरीज लिमिटेड और रूसी प्रत्यक्ष निवेश कोष (आरडीआईएफ) ने मंगलवार को घोषणा की कि उन्होंने हिमाचल प्रदेश स्थित कसौली की केंद्रीय औषधि प्रयोगशाला से आवश्यक मंजूरी मिलने के बाद कोविड-19 के लिए विकसित टीके ‘स्पूतनिक-वी’ के भारत में क्लीनिकल परीक्षण के दूसरे/तीसरे चरण की शुरुआत की है। (एजेंसी से इनपुट के साथ)