जम्मू और कश्मीर में यूरोपीय संघ (EU) के सांसदों का दौरा हो चुका है। शिष्टमंडल में कुल 23 सांसद थे, पर आना 27 को था। चार को किन्हीं कारणों से अपने-अपने वतन लौटना पड़ा। इन्हीं में से एक हैं ब्रिटिश सदस्य क्रिस डेविस। उन्होंने मंगलवार (29 अक्टूबर, 2019) को दावा किया कि भारत ने उनका न्यौता वापस ले लिया। ऐसा इसलिए, क्योंकि उन्होंने एक खास शर्त रखी थी। दरअसल, वह पुलिस सुरक्षा के बगैर प्रस्तावित दौरे पर कश्मीरियों से मुलाकात चाहते थे। शायद यही बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली NDA सरकार को रास न आई, जिसके बाद उनका निमंत्रण वापस ले लिया गया।
कोलकाता से प्रकाशित होने वाले ‘दि टेलीग्राफ’ को Liberal Democrat MEP क्रिस डेविस ने बताया कि उन्होंने श्रीनगर में बिना किसी सुरक्षा के जाने के लिए अनुमति मांगी थी, जिसके बाद Women’s Economic and Social Think Tank (WESTT) की ओर से उनका न्यौता न्यौता वापस ले लिया गया। बता दें कि ईयू सांसदों को यह दौरा महिला कारोबारी मादी शर्मा के WESTT ने आयोजित कराया था।
डेविस के मुताबिक, “यह फैसला बताता है कि भारतीय सरकार अपने ‘उठाए गए कदमों की सच्चाई’ छिपाना चाहती है और वह प्रेस की स्वतंत्रता को बाधित कर रही है।” बकौल ईयू संसद के ब्रिटिश सदस्य, “मैं मोदी सरकार के पब्लिक रिलेशन (PR) स्टंट में हिस्सा लेने के लिए तैयार नहीं हूं और न ही यह दिखाना चाहता हूं कि सब कुछ ठीक है। यह तो बिल्कुल साफ है कि कश्मीर में लोकतांत्रिक सिद्धांतों को नष्ट किया गया और दुनिया को उसका संज्ञान लेना शुरू करना चाहिए।”
सात अक्टूबर को मादी ने डेविस को ई-मेल से निमंत्रण दिया था, जिस पर हंसी खुशी राजी हो गए थे। साथ ही शर्त रखी थी कि उनके साथ दौरे पर सैना, पुलिस या सिक्योरिटी के बजाय पत्रकार और टीवी क्रू रहें। यही नहीं, डेविस ने इस बाबत लिखित में गारंटी भी मांगी थी। पर 10 अक्टूबर को मादी ने जवाब में लिखा- माफी चाहती हूं, पर हम अब और सांसदों को इस दौरे में नहीं ले सकते, इसलिए हम आपके साथ मीटिंग कैसल कर रहे हैं। आशा है कि आपके आपको भविष्य में बुला पाएं।
JK दौरे के बाद EU सांसद बोले- 370 आंतरिक मामला: जम्मू-कश्मीर के दो दिवसीय दौरे पर आए यूरोपीय संघ (ईयू) संसद के सदस्यों ने बुधवार को कहा कि ‘अनुच्छेद 370 हटाना भारत का आंतरिक मामला है’। उन्होंने यह भी कहा कि आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई में वह उसके साथ खड़े हैं। ईयू संसद के 23 सदस्यों के शिष्टमंडल का यह दौरा विवादों में रहा। दरअसल, इसे लेकर मोदी सरकार के खिलाफ विपक्ष की नाराजगी देखने को मिली थी। कांग्रेस सहित कुछ प्रमुख विपक्षी दलों और यहां तक कि भाजपा की सहयोगी शिवसेना और जदयू ने भी ईयू संसद सदस्यों के जम्मू-कश्मीर दौरे को लेकर बुधवार को नरेंद्र मोदी सरकार की आलोचना की।