मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के इटावा शहर की जनता को स्वच्छ पीने का पानी उपलब्ध कराने के लिए एक अरब 23 करोड़ रुपए की परियोजना तैयार की गई थी। इस परियोजना में 17 नई बड़ी पानी की टंकियों का निर्माण होना था लेकिन दो साल में सिर्फ दस टंकियां ही तैयार हो सकी हैं। इनमें भी कई टंकियों के कनेक्शन अभी पाइप लाइन से नहीं किए गए हैं। भले ही इतनी भारी भरकम धनराशि पेयजल के लिए खर्च हुई हो लेकिन इसके बाद भी अभी शहर की आधी आबादी प्यासी है।

कई स्थानों पर तो पेयजल के लिए पाइप लाइन भी नहीं डाली गई है और जहां पर डल गई है वहां अभी कनेक्शन भी नहीं हुए हैं। नगर पालिका के द्वारा शहर के लोगों को 13 बड़ी टंकियों से पानी उपलब्ध कराया जाता है। लेकिन इसके बाद भी शहर के कई स्थानों पर लोग पानी की समस्या से जूझते रहते हैं। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने शहरवासियों को स्वच्छ पानी उपलब्ध कराने के लिए पाइप पेयजल योजना की शुरुआत 2013 में की थी और इसके लिए 1 अरब 23 करोड़ रुपए का बजट भी जल निगम की निर्माण शाखा को दिया था। जल निगम के मुताबिक 17 टंकियों का निर्माण होना था जिसमें दस टंकियां चालू हो गई हैं और सात टंकियों पर टेस्टिंग का काम चल रहा है। जबकि हकीकत यह है कि शहर में गाड़ी खाने के पास अभी एक टंकी निर्माणाधीन है जिस पर अभी काम रुका हुआ है।

पाइप पेयजल योजना के अंतर्गत शहर को 13 जोन में बांटा गया था। इसमें 14 टंकियों का निर्माण पुराना शहर, पक्का बाग व अन्य स्थानों पर होना था जबकि तीन टंकियों का निर्माण लाइन पार क्षेत्र के अशोक नगर, सुल्तानपुर व ऊसर अड्डा में होना था। लाइन पार के क्षेत्र में तीनों टंकियों का निर्माण हो चुका है और शहर में भी कई टंकियां बनकर तैयार हो गई हैं लेकिन इन टंकियों का लाभ अभी भी लोगों को पूरी तरह से नहीं मिल पा रहा है।
जल निगम का कहना है कि उसके द्वारा 6 टंकियां नगर पालिक को हैंडओवर की गई हैं लेकिन नगर पालिका ने इन्हें अभी तक हैंडओवर नहीं किया है। दो साल में भी इतनी बड़ी परियोजना अभी तक पूरी नहीं हो सकी है जिसके कारण शहर के कई क्षेत्रों के लोग पानी के लिए परेशान रहते हैं। जल निगम निर्माण शाखा के अधिशाषी अभियंता इंजीनियर एमपी सिंह का कहना है कि कई स्थानों पर विवाद के कारण टंकियां शुरू नहीं हो पा रही हैं। जैसे ही विवाद हल हो जाएंगे, लोगों को पानी की सुविधा उपलब्ध होने लगेगी। उन्होंने यह भी बताया कि सदर तहसील के पीछे गाड़ीखाना में जो टंकी का निर्माण चल रहा है उसे जल्द ही पूरा करा दिया जाएगा।

शहर में नगर पालिका के द्वारा 980 हैंडपंप लगाए गए हैं लेकिन इनमें से ज्यादातर स्थानों पर हैंडपंप शोपीस बने हुए हैं। कई महत्त्वपूर्ण स्थानों पर तो हैंडपंप लोगों को मुंह चिढ़ाने का काम कर रहे हैं। शहर के चौगुर्जी में प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री शिवपाल सिंह यादव का आवास है। उनके आवास के निकट ही कई वर्षों से हैंडपंप खराब पड़ा हुआ है लेकिन जल निगम व नगर पालिका ने इस खराब हैंडपंप को दुरुस्त कराने की जहमत नहीं उठाई है। इतना ही नहीं जिला मुख्यालय पर पुलिस कार्यालय के पास, विकास भवन, लालपुरा, गाड़ीपुरा, जटपुरा, बराहीटोला आदि कई स्थानों पर भी हैंडपंप शोपीस बने हुए हैं।

लेकिन इन्हें ठीक नहीं कराया गया है जबकि जल निगम का कहना है कि उसके द्वारा शहर में 121 हैंडपंप रीबोर कराकर दुरुस्त कराए गए हैं। जल निगम अष्टम शाखा ने 2015-16 में 1050 हैंडपंप रीबोर कराने का दावा किया है। जल निगम के अवर अभियंता इंजीनियर अंकुर श्रीवास्तव ने बताया कि राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल योजना में 400, सूखाराहत योजना में 250 व आपदा राहत योजना में 400 हैंडपंप रीबोर कराए गए हैं। उन्होंने बताया कि जिले में नए हैंडपंप लगाने का कोई लक्ष्य नहीं रखा गया था सिर्फ खराब हैंडपंप रीबोर कराने के निर्देश दिए गए थे। उन्होंने बताया कि शहर में सूखाराहत योजना के अतर्गत 121 हैंडपंप रीबोर कराए गए हैं।

नगर पालिका परिषद के जलकल अभियंता श्रीराम यादव का कहना है कि जल निगम के द्वारा जिन टंकियों का निर्माण कराया गया है उनमें अभी काफी काम अधूरे हैं जब तक जलनिगम पूरा काम नहीं करेगा और टंकियों को चालू करके नहीं देगा तब तक नगर पालिका किसी भी टंकी को हैंडओवर नहीं करेंगी। उन्होंने बताया कि नगर पालिका के द्वारा शहर में 13 बड़ी टंकियों से पानी की आपूर्ति की जाती है। इसके अलावा साढ़े 4 सौ समर सेबिल पम्प भी 36 वार्डों में लगाए गए हैं और 980 हैंडपंप भी लगे हैं। राम यादव का कहना है कि नई टंकियों के शुरू होने के बाद शहर के किसी कोने में पानी की समस्या से लोगों को नहीं जूझना पड़ेगा।