कोरोनावायरस की वैक्सीन अब जल्द ही आपात मंजूरी मिलने के बाद भारतीय बाजारों में लॉन्च हो सकती है। भारत सरकार इससे पहले ही साफ किया था कि देश के हर नागरिक को टीका लगाने की बात नहीं कही गई है। इसके अलावा आईसीएमआर के महानिदेशक बलराम भार्गव ने भी कहा था कि यह जरूरी नहीं है कि देश की पूरी आबादी को वैक्सीन दी जाए। हालांकि, अमेरिका के एक लोकप्रिय महामारी विशेषज्ञ (एपिडेमियोलॉजिस्ट) का कहना है कि हर एक व्यक्ति का टीकाकरण जरूरी है और हर्ड इम्युनिटी के भरोसे नहीं रहा जा सकता।
अमेरिका की हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के रिसर्चर रह चुके डॉक्टर एरिक फिगल-डिंग ने न्यूज चैनल एनडीटीवी से कहा कि कोरोनावायरस की संक्रामक प्रवृत्ति को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि हर्ड इम्युनिटी के लिए 60-80 फीसदी लोगों के संक्रमित होने की जरूरत पड़ेगी। यहां तक कि जो लोग पहले कोरोनावायरस से संक्रमित हो चुके हैं, अगर वैक्सीन मजबूत है तो उन्हें दूसरे इन्फेक्शन से बचा सकती है। यानी जो पहले संक्रमित हो चुके हैं उन्हें भी वैक्सीन की जरूरत पड़ेगी। लेकिन पहले से संक्रमित हुए लोगों के भरोसे हर्ड इम्युनिटी का इंतजार करना कहीं योजना नहीं होनी चाहिए।
वैक्सिनेशन के लिए क्या है सरकार की योजना?: पिछले हफ्ते स्वास्थ्य मंत्रालय की एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में शामिल रहे आईसीएमआर के महानिदेशक बलराम भार्गव ने कहा था, “मैं यह साफ करना चाहता हूं कि सरकार ने कभी नहीं कहा है कि पूरे देश का टीकाकरण किया जाएगा। टीकाकरण वैक्सीन की प्रभावोत्पादकता पर निर्भर करेगा। हमारा उद्देश्य कोविड-19 संक्रमण की कड़ी को तोड़ना है। अगर हम जोखिम वाले लोगों को वैक्सीन देने में सफल होते हैं और संक्रमण की कड़ी को तोड़ने में सफल होते हैं तो पूरी आबादी के टीकाकरण की जरूरत ही नहीं होगी।”