Supreme Court Asaram Bapu Case: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को बलात्कार के आरोपी संत आसाराम बापू की याचिका पर गुजरात सरकार को नोटिस जारी किया है। जिसमें ट्रायल कोर्ट द्वारा आसाराम पर लगाए गए आजीवन कारावास की सजा को निलंबित करने की मांग की गई।

जस्टिस एम.एम.सुंदरेश और जस्टिस अरविंद कुमार की खंडपीठ ने हालांकि स्पष्ट किया कि वह केवल इस बात की जांच करेगी कि क्या आसाराम को जेल से अंतरिम रिहाई देने के लिए कोई चिकित्सीय कारण है। पीठ ने कहा कि हम नोटिस जारी करेंगे, लेकिन हम केवल चिकित्सा शर्तों पर विचार करेंगे। यह पोक्सो (यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम) का मामला है।

वरिष्ठ अधिवक्ता दामा शेषाद्रि नायडू ने आसाराम की ओर से पैरवी की और कोर्ट को बताया कि आसाराम गंभीर चिकित्सा बीमारियों से पीड़ित हैं, जिसके कारण उन्हें जेल से अंतरिम रिहाई मिलनी चाहिए। नायडू ने कहा कि उनके कई ब्लॉकेज हैं। डॉक्टरों की सलाह है कि सर्दियों में उन्हें नियंत्रित तापमान वाले कमरे में रखा जाना चाहिए नहीं तो उनकी मौत हो जाएगी

कोर्ट ने कहा कि इससे पहले आपने (आसाराम) इलाज से इनकार कर दिया था और अपनी पसंद का अस्पताल मांगा था। आसाराम के वकील ने जवाब दिया कि मैं बाईपास या एलोपैथिक उपचार नहीं करा सकता था, इसलिए मैं आयुर्वेद चाहता था। जिसके बाद कोर्ट ने तीन सप्ताह के भीतर जवाब देने के लिए नोटिस जारी किया।

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जनवरी 2023 में गांधीनगर की एक सेशन कोर्ट ने सूरत आश्रम में एक महिला शिष्या के साथ बलात्कार के मामले में आसाराम को दोषी ठहराया था। इस निचली अदालत के फैसले के खिलाफ गुजरात हाई कोर्ट में अपील लंबित है। इस बीच, आसाराम ने जेल से अंतरिम रिहाई के लिए हाई कोर्ट में याचिका दायर की।

इस साल अगस्त में गुजरात हाई कोर्ट ने आसाराम की आजीवन कारावास की सज़ा को निलंबित करने की इस याचिका को स्वीकार करने से इनकार कर दिया था। हाई कोर्ट ने तर्क दिया कि आसाराम की सज़ा के खिलाफ़ अपील लंबित रहने तक उन्हें जेल से अंतरिम रिहाई की अनुमति देने के लिए कोई असाधारण आधार नहीं बनाया गया है। इसके बाद आसाराम की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई।