एल्गार परिषद मामले को लेकर केन्द्र सरकार और महाराष्ट्र सरकार के बीच ठन गई है। दरअसल केन्द्र सरकार ने मामले की जांच शुक्रवार को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को सौंपने का फैसला किया है, जिसे लेकर महाराष्ट्र की शिवसेना-एनसीपी और कांग्रेस सरकार ने नाराजगी जाहिर की है। बता दें कि हाल ही में महाराष्ट्र सरकार ने एल्गार परिषद मामले में दर्ज चार्जशीट के रिव्यू को लेकर एक बैठक की थी।

एल्गार परिषद मामले में महाराष्ट्र पुलिस ने 9 मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और वकीलों को गिरफ्तार किया था। गिरफ्तार किए गए लोगों पर आरोप थे कि उन्होंने एल्गार परिषद की 31 दिसंबर, 2017 को पुणे में हुई बैठक में लोगों को कथित तौर पर भड़काया था। जिसके अगले ही दिन भीमा कोरेगांव में जातीय हिंसा भड़क गई थी।

हाल ही में महाराष्ट्र में शिवसेना-कांग्रेस और एनसीपी के गठबंधन वाली महाविकास अघाड़ी सरकार ने एल्गार परिषद मामले को स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम को सौंपने के संकेत दिए थे। सरकार का विचार है कि पुणे पुलिस इस मामले में पुख्ता सबूत जुटाने में नाकाम रही है। इसके साथ ही एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने भी महाराष्ट्र सीएम उद्धव ठाकरे को एक पत्र लिखकर आरोप लगाए थे कि इस मामले में पूर्वर्ती भाजपा सरकार ने आरोपियों के खिलाफ साजिश की।

शरद पवार ने सीएम से मामले की समीक्षा की अपील की और राज्य सरकार और पुलिस पर ताकत के दुरूपयोग का आरोप लगाया। एल्गार परिषद मामले में पुलिस ने रोना विल्सन, शोमा सेन, सुरेंद्र गाडलिंग, महेश राउत, सुधीर धावले, सुधा भारद्वाज, वारवरा राव, वेर्नोन गोंजाल्वेज और अरुण फरेरा को गिरफ्तार किया था।

महाराष्ट्र सरकार के गृह विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि ‘महाराष्ट्र डीजीपी को केन्द्रीय गृह मंत्रालय की तरफ से नोटिफिकेशन मिला है, जिसमें इस केस को एनआईए को सौंपने की बात कही गई है।’

केन्द्र सरकार के फैसले से संघवाद पर बहस बढ़ने की संभावना है, जिसमें एनआईए एक्ट एजेंसी को अनुमति देता है कि वह संविधान के संघीय ढांचे का उल्लंघन करने वाले मामलों की स्वतः जांच कर सकती है। बता दें कि छत्तीसगढ़ सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एनआईए एक्ट की संवैधानिकता को चुनौती दी है।

केन्द्र सरकार के एल्गार परिषद के मामले की जांच एनआईए को सौंपने के मामले में महाराष्ट्र सरकार ने हैरानी जतायी है। महाराष्ट्र गृह मंत्री अनिल देशमुख ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि “कानून व्यवस्था राज्य का विषय है और महाराष्ट्र सरकार को सूचित किए बिना गृह मंत्रालय ने केस एनआईए को सौंप दिया। यह असंवैधानिक और गलत है। उन्हें दखल नहीं देना चाहिए।”

बता दें कि एल्गार परिषद के मामले में ही पुणे पुलिस ने ‘अर्बन नक्सल’ शब्द का इस्तेमाल किया था। पुलिस ने दावा किया था उन्होंने एक आरोपी रोना विल्सन के पास से एक पत्र बरामद किया था, जिसमें पीएम मोदी की कथित हत्या की बात कही गई थी।