Electoral Bond Case: Supreme Court Electoral Bond: सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को लेकर जांच के लिए SIT के गठन की मांग को खारिज कर दी है। इस मामले में की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की बेंच कर रही थी। सुप्रीम कोर्ट में राजनीतिक दलों और कॉरपोरेट के बीच चंदे के कथित लेन-देन की जांच करने की मांग की थी लेकिन कोर्ट ने चंदे की जांच से जुड़ी सारी याचिकाओं पर सुनवाई करने तक से इनकार कर दिया है।
बता दें कि इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को सुप्रीम कोर्ट ने इसी साल फरवरी में रद्द कर दिया था। वहीं एनजीओ ‘कॉमन कॉज’ और ‘सेंटर फॉर पब्लिक लिटिगेशन’ की याचिका में राजनीतिक चंदे के जरिए कथित घूस देने की बात कही गई थी। याचिकाकर्ताओं ने कहा था कि इलेक्टोरल बॉन्ड से दिए गए चंदे में करोड़ों रुपये का घोटाला हुआ है। याचिका में कहा गया था कि इस केस की जांच न तो सीबीआई कर रही है, न ही कोई अन्य एजेंसी, इसलिए इसकी SIT के जरिए जांच की जानी चाहिए।
नहीं है जांच की कोई जरूरत
इस याचिका को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अभी इस कथित घोटाले की जांच की कोई जरूरत नहीं है, जिन मामलों में किसी को आशंका है, उनमें वह कानूनी रास्ता अपना सकते हैं। अगर समाधान नहीं होता है, तो कोर्ट का रुख भी कर सकते हैं, लेकिन SIT जांच की आवश्यकता नहीं है।
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हमसे कंपनियों और राजनीतिक पार्टियों के खिलाफ जांच के लिए SIT बनाने गलत तरीके से लिए पैसों का जब्त करने, कंपनियों पर जुर्माना लगाने, की निगरानी में जाचं और इनकम टैक्स विभाग को 2018 के बाद से राजनीतिक पार्टियों में दोबारा असेसमेंट की मांग भी की गई है।
वकीलों ने सीजेआई से क्या बोले वकील
सीजेआई ने कहा कि वकीलों ने बताया कि हमारे पिछले आदेश के बाद सार्वजनिक हुए इलेक्टोरल बॉन्ड के आंकड़ों में राजनीतिक पार्टियों की सरकार से फायदा लेने के लिए कंपनियों की तरफ से चंदा देने की बात सामने आई है। उनका कहना है SIT बनानी जरूरी है, क्योंकि सरकारी एजेंसियां कुछ नहीं करेंगी। उनके मुताबिक कई मामलों में एजेंसियों के कुछ खुद भी चंदे का दबाव बनाने में शामिल है।
‘संसद से पास हुआ था कानून’
सुप्रीम कोर्ट के सीजेआई ने कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड की खरीद संसद के बनाए कानून के तहत हुई। उसी कानून के आधार पर राजनीतिक दलों को चंदा मिलाय़ यह कानून अब रद्द किया जा चुका है, अब हमें तय करना है कि क्या इसके तहत दिए गए चंदे की जांच की ज़रूरत है। यह याचिकाएं यह मानते हुए दाखिल की गई हैं कि राजनीतिक दलों को चंदा फायदा कमाने के लिए दिया गया ताकि उन्हें सरकारी कॉन्ट्रैक्ट मिले या उनके हिसाब से सरकार की नीति बदले। याचिकाकर्ता यह भी मानते हैं कि सरकारी एजेंसियां जांच नहीं कर पाएंगी।
सीजेआई ने कहा कि हमने याचिकाकर्ता से यह कहा कि यह सब आपकी धारणा है। अभी ऐसा नहीं लगता कि कोर्ट सीधे जांच करवाना शुरू कर दे। जिन मामलों में किसी को आशंका है, उनमें वह कानून का रास्ता ले सकता है। समाधान न होने पर वह कोर्ट जा सकता है। जांच को लेकर कानून में कई रास्ते हैं। मौजूदा स्थिति में सुप्रीम कोर्ट के जरिए आदेश दिया जाना जल्दबाजी ही होगी।