SP vs Congress: मध्य प्रदेश चुनाव में इंडिया गठबंधन में दरार साफ तौर पर देखी गई। कांग्रेस और सपा दोनों ही पार्टियों के नेता एक-दूसरे पर आरोप लगाते नजर आए। इंडिया गठबंधन की परवाह किए बगैर सपा चीफ अखिलेश यादव ने राज्य में जोरदार प्रचार अभियान चलाया।
सपा चीफ अखिलेश यादव ने मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ जिले की जतारा विधानसभा में एक रैली को संबोधित करते हुए कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा था। उन्होंने कांग्रेस को धोखेबाज पार्टी बताया था। उन्होंने कहा था कि कांग्रेस को वोट ने दें, कांग्रेस बहुत चालू पार्टी है। इनसे सावधान रहने की जरूरत हैं। अगर कांग्रेस हमें धोखा दे सकती है तो आपके साथ क्या नहीं कर सकती। कांग्रेस को वोट मत देना। कांग्रेस वोटों के लालच के लिए जातिगत जनगणना की बात करती है। सपा चीफ ने कहा था कि इस देश में अगर जातीय जनगणना को किसी राजनीतिक पार्टी ने रोका तो वह कांग्रेस पार्टी है और कांग्रेस ने ही मंडल कमीशन की सिफारिश को भी रोका था।
2024 के लोकसभा चुनाव में ताकत बढ़ाने में जुटी सपा
सपा प्रमुख अखिलेश यादव के इस आक्रामक अभियान से अंदाजा यही लगाया जा रहा है कि समाजवादी पार्टी 2024 के लोकसभा चुनाव में अपनी ताकत को बढ़ाने में जुटी है। जिससे वो इंडिया गठबंधन में सीटों को लेकर भारी सौदेबाजी कर सके। वहीं सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने 2024 के के लोकसभा चुनावों के लिए इंडिया गठबंधन पर मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए कहा, “गठबंधन पर कोई भी चर्चा तब होगी, जब लोकसभा चुनाव नजदीक होंगे।” सपा प्रमुख ने कांग्रेस पर भी हमला बोलते हुए कहा कि उसके और भाजपा के बीच सिद्धांतों और कार्यक्रमों में कोई अंतर नहीं है।
मध्य प्रदेश में सपा नेताओं ने स्वीकार किया कि पार्टी का शीर्ष नेतृत्व पिछले विधानसभा चुनावों में राज्य में प्रचार में कभी शामिल नहीं हुआ था, खुद अखिलेश यादव ने 20 विधानसभा सीटों पर 24 सार्वजनिक रैलियों को संबोधित किया था। इसके अलावा तीन अन्य में “रथ यात्रा” का नेतृत्व किया था। उनकी पत्नी और मैनपुरी से सांसद डिंपल यादव भी अभियान में शामिल हुईं और महिला मतदाताओं के साथ बेहतर जुड़ाव सुनिश्चित करने के लिए रैलियों को संबोधित किया। यह पहली बार था जब उन्होंने यूपी के बाहर प्रचार किया था। अखिलेश और डिंपल ने पार्टी उम्मीदवारों की जीत के लिए प्रार्थना करने के लिए मंदिरों का भी दौरा किया।
इतना ही नहीं, अखिलेश ने अपने चाचा और सपा महासचिव शिवपाल सिंह यादव और चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव को भी यूपी की सीमा से लगे एमपी निर्वाचन क्षेत्रों में प्रचार के लिए भेजा। यूपी की घोषी विधानसभा सीट से विधायक चुने सुधाकर सिंह (ठाकुर) के साथ यूपी के वरिष्ठ ओबीसी नेताओं राम अचल राजभर और लालजी वर्मा को सपा ने एमपी के देवतालाब विधानसभा क्षेत्र में प्रचार के लिए उतारा था।
इस साल की शुरुआत में यूपी के मऊ जिले की घोषी विधानसभा सीट से सुधाकर की उपचुनाव में जीत को इंडिया गठबंधन की जीत के रूप में पेश किया गया था। उसमें कांग्रेस सहित उसके सभी घटक दलों ने सपा उम्मीदवार का समर्थन किया था।
2018 में 52 और 2023 में 72 सीटों पर सपा ने लड़ा चुनाव
मध्य प्रदेश सपा अध्यक्ष रामायण सिंह पटेल ने बाद में दावा किया कि आक्रामक अभियान से कम से कम 25 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस की संभावनाओं को नुकसान होगा। उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने इस बार बहुत अधिक प्रचार किया, क्योंकि उसका स्थानीय संगठन अच्छी स्थिति में था और 2018 की तुलना में अधिक सीटों पर उम्मीदवार उतारने के लिए तैयार था। समाजवादी पार्टी ने 2018 में 52 की तुलना में इस साल 72 उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं। 2018 के विधानसभा चुनाव में सपा का राज्य में केवल एक उम्मीदवार जीता था।
हालांकि, पार्टी के एक अन्य नेता ने कहा, ‘अखिलेश ने कड़ी मेहनत की, क्योंकि मध्य प्रदेश में पार्टी इकाई को अस्तित्व के सवाल का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि पार्टी ने उस समय 5-6 सीटों पर चुनाव लड़ने की योजना बनाई थी जब वह कांग्रेस के साथ गठबंधन पर बातचीत कर रही थी। उन्होंने कहा कि हमारे कार्यकर्ता, जो अन्य सीटों पर चुनाव लड़ना चाहते थे, उन्होंने तटस्थ रहने का फैसला किया था, क्योंकि गठबंधन विफल होने की स्थिति में समाजवादी पार्टी उन्हें मैदान में नहीं उतारने जा रही थी। उनमें से कुछ दूसरे दलों में भी शामिल हो गए। जब कांग्रेस ने अंतिम क्षण में गठबंधन करने से इनकार कर दिया तो सपा के पास चुनाव लड़ने के लिए केवल 15 दिन थे। फिर भी बड़े नेताओं ने आक्रामक अभियान चलाने के लिए कई दिनों तक एमपी में डेरा डाला और कार्यकर्ताओं से संवाद किया। प्रदेश कांग्रेस प्रमुख कमल नाथ की कुछ टिप्पणियों ने भी अखिलेश को व्यक्तिगत रूप से आहत किया है।’
सपा नेता ने यह भी कहा कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी कार्यकर्ताओं पर पकड़ बनाए रखना जरूरी समझती है। उन्होंने कहा कि अगर कांग्रेस फिर से लोकसभा चुनाव के लिए गठबंधन करने से इनकार करती है, तो सपा मध्य प्रदेश में अकेले चुनाव लड़ने के लिए तैयार होगी। इसके लिए, पार्टी को जमीन पर संगठनात्मक ताकत बनाए रखने की जरूरत है।
उन्होंने कहा, ‘अगर सपा मध्य प्रदेश में कुछ सीटें जीतती है, या कुछ सीटों पर कांग्रेस की संभावनाओं को नुकसान पहुंचाकर अपनी ताकत दिखाने में कामयाब होती है, तो यूपी में लोकसभा चुनावों और यूपी की सीमा से लगे मध्य प्रदेश में सीटों के लिए उसकी सौदेबाजी की ताकत बढ़ जाएग।’
पार्टी प्रवक्ता उदयवीर सिंह ने कहा, ”मध्य प्रदेश में कांग्रेस द्वारा हमें धोखा देने के बाद पार्टी को अपने कार्यकर्ताओं को एकजुट रखने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ी; इसलिए भी कि हम हर चुनाव पूरे समर्पण के साथ लड़ने में विश्वास करते हैं।”