हिमाचल प्रदेश आपदा से जूझ रहा है। मानसून के दौरान बादल फट रहे हैं, नदी नाले उफान पर हैं। 700 घर जमींदोज हो चुके हैं। सात हजार से ज्यादा घरों को नुकसान पहुंचा है। दो हजार गोशालाएं ढह चुकी हैं। 300 से अधिक पशु दब कर या बह कर मौत का शिकार हो चुके हैं। 170 से अधिक लोग जान गंवा चुके हैं। कई अभी भी लापता है। 200 दुकानें मिट्टी मलबे के ढेर में बदल चुकी हैं। यह सिलसिला अभी जारी है। मानसून के दो महीने बाकी हैं। तबाही का दौर थम नहीं रहा है। लोग सहमे हुए हैं। सैलानियों ने तौबा कर ली है। होटल सूने पड़े हैं। पर्यटन कारोबार ठप है। सड़कें टूटी हुई है। पानी की आपूर्ति बाधित है। सीवरेज प्रणाली तहस नहस है। जनजीवन बिखरा हुआ है।
लोकसभा चुनाव में बचे हैं सिर्फ दस महीने
नेताओं, अधिकारियों और आकलन करने वाली टीमों के दौरे हो रहे हैं। राहत बांटने-पहुंचाने का काम चला है और इन सबके बीच सियासी पिच भी सज गई है। इस पर आपदा की यह जंग धीरे-धीरे मगर पूरी ताकत से लड़ी जा रही है। चूंकि लोकसभा चुनावों के लिए अब दस महीने से भी कम समय बाकी बचा है, ऐसे में आपदा विपदा या फिर अच्छा बुरा कुछ भी हो, सियासत के बिना हो ही नहीं सकता। एक तरफ जहां राहत, पैकेज, मदद और अपने पराए को लेकर कांग्रेस-भाजपा के नेता आमने सामने हैं तो दूसरी तरफ प्रदेश की सत्तारूढ़ कांग्रेस की सरकार में भी सब अच्छा नहीं चल रहा हैं। इस आपदा के दौर में कांग्रेस सरकार में आपसी खींचतान का जो दौर दिसंबर 2022 में देखने को मिला था, वह फिर नजर आने लगा है। 9,10 जुलाई को प्रदेश में हुई बारिश और बाढ़ के बाद प्रदेश में हर रोज कहीं ने कहीं से बादल फटने व तबाही होने के समाचार आ रहे हैं।
नेताओं के दौरे भी तेज हो गये हैं
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू बिना अपना हेलिकाप्टर होते हुए भी पहले मंडी कुल्लू और फिर दूसरे क्षेत्रों में नुकसान का जायजा ले आए हैं। शिमला में हर रोज अफसरों व केंद्र से आने वाली टीमों के साथ विचार विमर्श कर रहे हैं। उन्होंने मंडी के पंडोह व सराज के थुनाग में दौरे के दौरान किए गए एलान को सार्थक करते हुए दो दिन बाद प्रभावितों को राहत राशि का आबंटन भी करवा दिया। विपक्ष के नेता जय राम ठाकुर के गृह विधानसभा क्षेत्र सराज में सबसे पहले राहत बंटवाकर व बालीचौकी में 24 घंटे में सौर उर्जा के माध्यम से रोशनी करके ऐसा दर्शाने का प्रयास किया है कि उनकी सरकार जय राम ठाकुर की सरकार से ज्यादा संजीदा, सक्षम व संवदेनशील है।
वहीं प्रदेश,खास कर कुल्लू मनाली और मंडी जिलों का विस्तृत दौरा करने के बाद लोक निर्माण मंत्री वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह अपनी माता यानी मंडी की सांसद व प्रदेश कांग्रेस की अध्यक्ष प्रतिभा सिंह के साथ प्रभावितों से मिल कर उनका दुख दर्द बांट चुके हैं। यही नहीं विक्रमादित्य व प्रतिभा सिंह लगे हाथ दिल्ली भी हो आए। परिवहन व राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी से मिले। ग्रामीण विकास मंत्री से मुलाकात की और एक विस्तृत रिपोर्ट उनके सामने रखते हुए बड़ी राशि की मांग कर डाली। यही नहीं उन्होंने केंद्रीय मंत्री से मदद का भरोसा भी ले लिया।
दिल्ली के दौरे में किए गए उनके धमाल से शिमला में भी खूब हलचल हुई।
शायद कुछ लोगों को दिल्ली में किया गया उनका यह बड़ा काम पसंद नहीं आया। कुछ अधिकारियों ने भी अपनी निष्ठाएं सरकार में एक खास वर्ग के साथ रखते हुए संभवतया विक्रमादित्य, जिनके पास सबसे ज्यादा नुकसान सहने वाला लोक निर्माण विभाग है, टूटी सडकों की मरम्मत करने, बह गए पुलों को फिर से बनाने और क्षतिग्रस्त भवनों को सही करने की जिम्मेवारी है, के प्रस्तावों को बदल दिया तो वे उन पर खूब बरसे। उन्होंने अपनी ही सरकार के ऐसे अधिकारियों को बाकायदा मीडिया के माध्यम से खबरदार किया कि वे अपनी लक्षमण रेखा न लांघे। उनको इस बात का गुस्सा था कि उनके प्रस्ताव प्रदेश की सीमा परवाणु को लांघते-लांघते दिल्ली पहुंचने से पहले ही बदल जाते हैं। विक्रमादित्य कई बार सच बोलने या फिर सोशल मीडिया पर पोस्ट में अपनी टिप्पणियों को लेकर चर्चा में रहते आए हैं।
यही सच कई बार सरकार की नीतियों के खिलाफ चला जाता है और उन्हें इस पर सपष्टीकरण देना पड़ता है। विक्रमादित्य की ऐसे अधिकारियों को दी गई हुड़की से बवाल मच गया। भाजपा ने भी इसे हाथों हाथ लिया और विपक्ष के नेता व पूर्व मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने कह दिया कि सरकार में सब अच्छा नहीं है। प्रदेश में अधिकारी खुश नहीं हैं। अधिकांश अधिकारी प्रतिनियुक्ति पर केंद्र में जाना चाहते हैं।
सफाई के लिए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को भी आगे आना पड़ा । उन्होंने कहा कि प्रदेश में हुई त्रास्दी से लोगों को राहत देने, सैलानियों को सुरक्षित पहुंचाने, लोगों तक राहत राशि पहुंचाने में प्रदेश के अधिकारियों कर्मचारियों की बड़ी भूमिका है। उन्होंने जय राम ठाकुर को याद दिलाया कि उनके राज में तो सात बार मुख्य सचिव ही बदले गए।
ऐसे में वे अधिकारियों के साथ बर्ताव की बात अपने तक ही सीमित रखें। इसी तरह का ब्यान विक्रमादित्य के हवाले से भी आया। हालांकि बताते हैं कि इसे लेकर भी कहा गया कि यह उन्होंने नहीं दिया था बल्कि उनके नाम से इसे प्रकाशित करवाया गया। यूं कृषि मंत्री चंद्र कुमार ने भी विक्रमादित्य को नसीहत देते हुए बयान जारी करके चौंकाया है जबकि सोशल मीडिया पर भी इसे लेकर कई तीखी टिप्पणियां सामने आई हैं।
कुछ महीने पहले प्रतिभा सिंह को अध्यक्ष पद से हटाने और अब विक्रमादित्य के कार्य में अड़ंगा डालकर उनकी क्षमताओं को कुंद करने जैसे वाक्य साफ संकेत दे रहे हैं कि प्रदेश कांग्रेस सरकार में सब अच्छा नहीं है। इतिहास अपने को दोहरा रहा है और एक बार फिर से प्रदेश में वीरभद्र सिंह व सुक्खू के समर्थकों के बीच बर्चस्व की जंग शुरू हो गई है। प्रदेश की राजनीति में तीन दशक तक वीरभद्र व सुखराम के बीच जो छत्तीस का आंकड़ा रहा है वह सर्वविदित है। यही कहानी अब भी किसी ने किसी रूप में दोहराई जाती दिखने लगी है।
यूं भी छन छन कर आ रही खबरों में यह भी सामने आया है कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू अपने खासमखास मंत्रियों के सहारे ही सरकार चलाना चाहते हैं। वीरभद्र धड़े से संबंध रखने वाले मंत्रियों को केवल गड्डी झंडी तक सीमित कर दिया गया है। सरकार में उनकी चल नहीं रही है। ऐसे में आने वाले दिनों में सरकार के लिए कई चुनौतियां आ सकती हैं। भाजपा में जय राम ठाकुर ने पूरी तरह से मोर्चा संभाल रखा है। वे रोजाना सरकार को घेर रहे हैं। भाजपा के नए अध्यक्ष डा राजीव बिंदल ने भी अपनी नई टीम गठित कर ली है जो लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुट गई है। दूसरी तरह से कांग्रेस अभी चुनावी तैयारियों को लेकर कहीं नहीं दिख रही है।
त्रासदी आपदा ने सरकार को इस कदर घेर दिया है कि महीनों तक स्थिति को सामान्य करने में लग जाएंगे। अभी बरसात का दौर महीने से भी अधिक ज्यादा समय तक रहने वाला है और नुकसान का यह सिलसिला जारी है। ऐसे में जब तक हालात सामान्य होंगे, एक तरह से लोकसभा चुनावों का बिगुल बज जाएगा। यही कारण है कि हिमाचल पर आई विपदा की जंग अब सियासी पिच पर खेली जाएगी और राहत, मदद, अपना पराया व भेदभाव के आरोप-प्रत्यारोप खूब देखने को मिलेंगे।