Damini Nath

आदर्श आचार संहिता (MCC) को अक्सर सत्तारूढ़ भाजपा विकास और शासन में बाधा बताती रही है। हालांकि 2018 में एक साथ चुनावों पर अध्ययन के दौरान लॉ कमीशन के अनुरोध पर चुनाव आयोग (EC) ने एक डेटा इकठ्ठा किया। इससे पता चला कि आधे से अधिक सरकारी प्रस्तावों को चुनाव आयोग द्वारा 72 घंटों के भीतर मंजूरी दे दी गई थी। 2017 में गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनावों के दौरान 50 फीसदी से अधिक और 2018 में कर्नाटक विधानसभा चुनावों के दौरान एक तिहाई प्रस्तावों को मंजूरी दी गई थी।

आरटीआईअधिनियम के तहत इंडियन एक्सप्रेस द्वारा प्राप्त दस्तावेजों से पता चलता है कि 16 मई 2018 को लॉ कमीशन के साथ हुई बैठक में चुनाव आयोग से सरकार द्वारा दिए गए प्रस्तावों का जवाब देने में लगने वाले समय पर डेटा शेयर करने का अनुरोध किया गया था। उस वर्ष हुए पिछले तीन से चार चुनावों का डेटा मांगा गया था।

इसके बाद आयोग ने गुजरात, हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक में हुए विधानसभा चुनावों के लिए डेटा इकठ्ठा करना शुरू किया। हिमाचल प्रदेश और गुजरात चुनावों की घोषणा अलग-अलग की गई थी, लेकिन दोनों के नतीजे दिसंबर 2017 में एक ही दिन आए थे। कर्नाटक चुनाव के नतीजे 15 मई 2018 को घोषित किए गए थे।

डेटा से पता चला कि तीन विधानसभा चुनावों के दौरान केंद्र और राज्य सरकारों से प्राप्त 268 NoC में से आधे से अधिक (विशेष रूप से 52%) का जवाब चुनाव आयोग द्वारा 72 घंटों के भीतर दिया गया था। हालांकि प्रस्तावों का क्लीयरेंस रेट अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग थी। 2017 में हिमाचल प्रदेश और गुजरात चुनावों के दौरान राज्य और केंद्र दोनों से सरकारी प्रस्तावों का क्लीयरेंस तेजी से हुआ। उदाहरण के लिए गुजरात से संबंधित 81% प्रस्ताव केंद्र और राज्य सरकारों से प्राप्त हुए। चुनाव आयोग द्वारा पहले चार दिनों के भीतर जवाब दिया गया और उसी समय के दौरान हिमाचल प्रदेश से संबंधित 71% प्रस्तावों को मंजूरी दे दी गई। हालांकि कर्नाटक में 39% प्रस्तावों का उत्तर पहले चार दिनों में दिया गया और बचे हुए में 4 दिन से अधिक समय लगा।

EC ने इस डेटा को 8 जून 2018 को लॉ कमीशन के साथ साझा किया था। हालांकि यह इनपुट 30 अगस्त, 2018 को जारी एक साथ चुनावों पर लॉ कमीशन की रिपोर्ट में शामिल नहीं है। ड्राफ्ट रिपोर्ट में कहा गया है, “ईसीआई ने लॉ कमीशन को अपने संदेश में स्पष्ट किया है कि वह आपात स्थिति, आपदाओं, वृद्धों के लिए योजनायें आदि से निपटने के लिए शुरू की गई योजनाओं को मंजूरी देने से इनकार नहीं करता है। एमसीसी निर्वाचन क्षेत्र या राज्य तक ही सीमित है। हालांकि यह समझा जाता है कि सरकार के विभिन्न विभाग अपनी सहूलियत के हिसाब से नियमित मामलों को भी ईसीआई के पास भेजते हैं।”