Election Commission: भारत निर्वाचन आयोग ने मंगलवार (4 अक्टूबर, 2022) को चुनावी वादों की वित्तीय व्यवहार्यता के बारे में मतदाताओं को प्रामाणिक जानकारी प्रदान करने को लेकर राजनीतिक दलों को पत्र लिखा और इस मुद्दे पर उनके विचार जानने चाहे।

निर्वाचन आयोग ने कहा कि वह चुनावी वादों पर पूर्ण जानकारी न देने और उसके वित्तीय स्थिरता पर पड़ने वाले अवांछनीय प्रभाव की अनदेखी नहीं कर सकता है, क्योंकि खोखले चुनावी वादों के दूरगामी प्रभाव होंगे। राजनीतिक दलों द्वारा किए गए चुनावी वादों की घोषणा संबंधी प्रस्तावित प्रारूप में तथ्यों को तुलना योग्य बनाने वाली जानकारी की प्रकृति में मानकीकरण लाने का प्रयास किया गया है।

प्रस्तावित प्रारूप में वादों के वित्तीय निहितार्थ और वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता की घोषणा करना अनिवार्य है। सुधार के प्रस्ताव के जरिये, निर्वाचन आयोग का मकसद मतदाताओं को घोषणापत्र में चुनावी वादों की वित्तीय व्यवहार्यता के बारे में सूचित करने के साथ ही यह भी अवगत कराना कि क्या वे राज्य या केंद्र सरकार की वित्तीय क्षमता के भीतर हैं या नहीं।

घोषणा पत्र व्यवहारिक हो, न कि हवा हवाई: चुनाव आयोग

आयोग के मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार और आयुक्त अनूप चंद्र पांडेय की अगुवाई में मंगलवार (4 अक्टूबर, 2022) को बैठक हुई। जिसमें यह तय किया गया है कि घोषणा पत्र ज्यादा वास्तविक और व्यावहारिक हो। न कि हवा हवाई। यानी घोषणा पत्र वित्त आयोग, भारतीय रिजर्व बैंक, FRBM, CAG आदि की गाइड लाइन पर आधारित हो।

चुनाव आयोग के सूत्रों ने कहा कि जहां राजनीतिक दलों को वादे करने से नहीं रोका जा सकता है, वहीं मतदाता को भी सूचित करने का अधिकार है, जिससे वो विकल्प को चुन सकें। इससे मतदाताओं को राजनीतिक दलों की तुलना करने और यह समझने की उम्मीद है कि क्या वादे वास्तव में पूरे किए जा सकते हैं। चुनाव आयोग ने प्रस्ताव दिया है कि प्रत्येक राज्य के मुख्य सचिव और केंद्रीय वित्त सचिव कहीं भी चुनाव हों उसका एक निर्दिष्ट प्रारूप में कर और व्यय का विवरण प्रदान करें।