भारतीय निर्वाचन आयोग ने महाराष्ट्र में शिवसेना पर अधिकार को लेकर चल रहे विवाद का फैसला करते हुए दोनों गुटों को अलग-अलग नाम और चुनाव निशान आवंटित कर दिये है। एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सत्तारूढ़ शिवसेना के गुट को निर्वाचन आयोग ने मंगलवार को नया चुनाव निशान ‘दो तलवारें और ढाल’ आवंटित किया है।

निर्वाचन आयोग ने उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे दोनों गुटों का पुराने चुनाव निशान तीर-धनुष के उपयोग पर रोक लगा दी थी और इसको फ्रीज कर दिया था। दो दिन पहले ही आयोग ने उद्धव ठाकरे गुट को पार्टी का नया चुनाव निशान जलती मशाल आवंटित किया था और पार्टी का नाम शिवसेना (उद्धव-बालासाहेब ठाकरे) रखने की अनुमति दी थी। शिंदे गुट को बालासाहेबंची शिवसेना का नाम दिया गया है।

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट ‘बालासाहेबंची शिवसेना’ ने अपने पसंद के तीन चुनाव निशानों की सूची मंगलवार को निर्वाचन आयोग को सौंपी। इससे पहले दी गई सूची को आयोग ने खारिज कर दिया था।

शिंदे ने चुनाव निशान के आवंटन का स्वागत करते हुए कहा कि उनका समूह शिवसेना के संस्थापक बालासाहेब ठाकरे द्वारा निर्धारित कट्टर हिंदुत्व विचारधारा के लिए सच्चा पथप्रदर्शक है। उन्होंने ट्वीट किया, ”हम निर्दोषों की रक्षा करने वाली ढाल और दुष्टों का नाश करने वाली तलवार बनेंगे।” निर्वाचन आयोग ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री शिंदे को लिखे पत्र में यह जानकारी दी। आयोग ने कहा कि उसने ‘दो तलवारें और एक ढाल’ को एक स्वतंत्र चुनाव निशान घोषित करने का फैसला किया है और मौजूदा उपचुनाव में शिंदे के नेतृत्व वाले समूह को यह आवंटित किया है।

शिंदे गुट ने चुनाव निशान के लिए ‘पीपल का पेड़’, ‘तलवार और ढाल’ तथा ‘सूर्य’ को विकल्प बताया था। आयोग ने शिंदे-समूह द्वारा दिए गए तीनों सुझावों को यह कहते हुए ठुकरा दिया कि वे स्वतंत्र चुनाव निशानों की सूची में नहीं हैं। हालांकि, आयोग ने शिंदे के नेतृत्व वाले समूह को ‘दो तलवारें और एक ढाल’ चुनाव निशान आवंटित किया, यह देखते हुए कि यह शिंदे समूह द्वारा मांगी गई ‘ढाल-तलवार’ (ढाल और तलवार) से मिलता जुलता है।

निर्वाचन आयोग ने कहा कि ‘दो तलवारें और ढाल’ का निशान पहले पीपुल्स डेमोक्रेटिक मूवमेंट को आवंटित किया गया था, जिसे 2004 में एक राज्य पार्टी के रूप में मान्यता दी गई थी और बाद में 2016 में उसे सूची से बाहर कर दिया गया था। चुनाव निशान ‘सूर्य’ के दावे को खारिज करते हुए निर्वाचन आयोग ने कहा कि शिंदे गुट की पसंद क्रमशः जोरम नेशनल पार्टी और द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के चुनाव चिन्ह ‘सूर्य (बिना किरणों)’ और ‘उगते सूरज’ से मिलती जुलती है।

इसने यह भी कहा कि शिंदे गुट की पसंद भी ‘सेब’, ‘फूलगोभी’ और ‘फुटबॉल’ के मुक्त प्रतीकों से मिलती जुलती थी। निर्वाचन आयोग ने शनिवार को शिवसेना के दोनों खेमों को तीन नवंबर को अंधेरी पूर्व विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव में पार्टी के नाम और चुनाव निशान का इस्तेमाल करने से प्रतिबंधित कर दिया। आयोग ने उनसे सोमवार दोपहर तक तीन अलग-अलग नाम और इतनी ही संख्या में निशान बताने को कहा था।

शिवसेना के प्रतिद्वंद्वी गुटों के बीच विवाद को लेकर निर्वाचन आयोग ने सोमवार को एक आदेश जारी कर उद्धव ठाकरे नीत गुट के लिए पार्टी के नाम के रूप में ‘शिवसेना – उद्धव बालासाहेब ठाकरे’ नाम आवंटित किया। जबकि एकनाथ शिंदे के गुट को ‘बालासाहेबंची शिवसेना’ (बालासाहेब की शिवसेना) नाम आवंटित किया है। निर्वाचन आयोग ने उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना को ‘मशाल’ चुनाव निशान आवंटित किया है।

आयोग ने धार्मिक अर्थों का हवाला देते हुए चुनाव निशान के रूप में ‘त्रिशूल’ की मांग करने के उद्धव गुट के दावे को खारिज कर दिया है। शिंदे ने उद्धव ठाकरे के नेतृत्व के खिलाफ बगावत करते हुए दावा किया था कि उनके पास शिवसेना के 55 में 40 विधायकों और 18 लोकसभा सदस्यों में से 12 का समर्थन प्राप्त है। उद्धव के इस्तीफे के बाद शिंदे ने भाजपा की मदद से सरकार बनाने हुए मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी।