अगर आप ऐसे व्यक्ति हैं जिसे मौसम के बारे में जानने की उत्सुकता रहती है। साथ ही वायुमंडल में घट रही घटनाओं और मौसम की बदल रही अवस्थाओं को लेकर दिलचस्पी रहती है तो मौसम विज्ञान आपके लिए एक अच्छा करिअर विकल्प साबित हो सकता है। ये करिअर आपको अच्छे वेतन के साथ-साथ समाज में सम्मान भी दिलाएगा।
दिनोंदिन बढ़ते प्रदूषण और घटते जंगलों के कारण धरती के तापमान में बदलाव और प्रकृति के साथ हो रहे खिलवाड़ ने मौसम के मिजाज को बदल दिया है। यही कारण है कि हमें आए दिन प्राकृतिक आपदाओं का झेलना पड़ता है। मौसम से जुड़े सारे तथ्यों की जानकारी मौसम विभाग से आती है। मौसम विज्ञान (मीटिअरोलाजी) के तहत मौसम से जुड़ी कई प्रक्रियाओं और उससे संबंधित पूर्वानुमानों का अध्ययन किया जाता है, जिसमें तीन प्रमुख बिंदुओं आकलन, समझ और मौसम के अनुमान को शामिल किया जाता है। इस विषय में रुचि रखने वाले विद्यार्थियों के लिए मौसम विज्ञान में करिअर बनाना आसान है।
मौसम विज्ञान
मौसम विज्ञान के तहत कई अनिश्चितताओं का अध्ययन किया जाता है। आज के दौर में मौसम संबंधी पूर्वानुमान केवल बारिश होने की जानकारी या तापमान के बढ़ने-घटने तक सीमित नही हैं। मौसम का पूर्वानुमान केवल कृषि जगत के लिए ही उपयोगी नहीं है, बल्कि पर्यटन, उड्डयन, निर्माण, समुद्री यात्रा आदि में भी इसकी महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। मौसम का मिजाज जानना एक विशेष कार्य है।
इसके लिए व्यक्ति में कुछ विशेष गुणों का होना जरूरी है। आमतौर पर मौसम संबंधी आंकड़ों के संकलन व विश्लेषण का कार्य प्रयोगशालाओं में होता है। अध्ययन करने के लिए जरूरी है कि मौसम विज्ञानी वषार्मापी, थर्मामीटर, बैरोमीटर, रिमोट सेंसिंग उपकरण आदि के उपयोग में दक्ष हों। ये पेशेवर कुछ सालों के अनुभवों के आधार तापमान, नमी, दबाव, वायुवेग, बारिश आदि का पूर्वानुमान लगाने में भी सक्षम हो जाते हैं।
मौसम विज्ञान के क्षेत्र में इतने सारे आयाम हैं कि इस विषय का अध्ययन करके आप अपनी रुचि के अनुसार अनुसंधान और शोध के क्षेत्र में भी करिअर बना सकते हैं। संचालन के तहत मौसम उपग्रहों, रडार, रिमोट सेंसर और वायु दबाव, तापमान, पर्यावरण से संबंधित सूचनाएं एकत्रित कर मौसम की भविष्यवाणी की जाती है।
यह भविष्यवाणी समुद्र में आने वाले तूफानों और मछुआरों को सुरक्षा प्रदान करने में सहायता करती है। मौसम के आधार पर ही उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेजा जाता है। एक मौसम वैज्ञानिक विभिन्न रूपों में काम करता है। विमानन सेवाओं के निर्देशन का काम करने वाले हवाई यातायात नियंत्रण कक्ष को मौसम विज्ञानी मौसम संबंधी जानकारियां उपलब्ध कराने के अलावा आम लोगों के लिए भी रोजाना मौसम की जानकारियां जुटाते हैं।
अवसर
औद्योगिकीकरण के इस युग में मौसम विज्ञान का महत्त्व कुछ अधिक ही बढ़ गया है। इस क्षेत्र में बतौर उद्योग मीटिअरोलाजिस्ट के रूप में अपना करिअर बना सकते है। ‘ग्लोबल वार्मिंग’ और पर्यावरण में लगातार बढ़ते प्रदूषण को दूर करने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं, जिनमें मौसम वैज्ञानियों का सर्वाधिक महत्त्व है।
परिवहन क्षेत्रों में बढ़ते वायु एवं जलयानों के प्रयोग ने भी इस क्षेत्र में रोजगार के अवसरों को पैदा किया है। इनके सफल संचालन के लिए मौसम पर विशेष नजर रखी जाती है, जिसका पूरा कार्यभार मौसम वैज्ञानिकों पर होता है। विभिन्न क्षेत्रों में स्थित मौसम विभाग के कार्यालयों और प्रयोगशालाओं के अतिरिक्त नागरिक उड्डयन, जहाजरानी और सेना में मौसम सलाहकार के पद होते हैं।
मौसम वैज्ञानिक विभिन्न उपकरणों से प्राप्त जानकारियों को एकत्रित कर खराब मौसम जैसे तूफान, बाढ़ और सुनामी जैसी विपदाओं के आने का पूर्वानुमान लगाते हैं। मौसम विज्ञान का सबसे ज्यादा दायरा सरकारी क्षेत्र में ही है, क्योंकि मौसम संबंधी सूचना जारी करने का सारा कामकाज सरकारी नियंत्रण में है। निजी क्षेत्र में भी अब मौसम विशेषज्ञों को रखा जाने लगा है। निजी कंपनियां जैसे पर्यटन और निर्माण क्षेत्र से संबंधित कंपनियां मौसम संबंधी जानकारियां जुटाने के लिए अपने यहां मौसम विशेषज्ञों को रखती हैं।
शैक्षणिक योग्यता
देश में आइआइटी सरित कई उच्च शिक्षण संस्थान हैं, जो मौसम विज्ञान में डिग्री, डिप्लोमा और पीएचडी की उपाधि देते हैं। मौसम विज्ञान में करिअर बनाने के इच्छुक विद्यार्थी मौसम विज्ञान एवं समुद्र विज्ञान में स्नातकोत्तर के साथ ही मीटिअरोलाजी में एक वर्षीय पीजी डिप्लोमा कर सकते हैं। मीटिअरोलाजी में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम के तौर पर उपलब्ध दो वर्षीय एमएससी और एमटेक पाठ्यक्रम में दाखिले के लिए स्नातक डिग्री का होना आवश्यक है। संस्थानों के अनुसार स्नातकोत्तर डिग्री पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए अंक संबंधी अर्हताएं भी अलग-अलग हैं। कुछ संस्थानों में इसके लिए न्यूनतम अंक सीमा 50 फीसद है, तो कुछ में 55 या 60 फीसद।
यहां से करें पढ़ाई
आइआइटी खड़गपुर, पश्चिम बंगाल।
पंजाब विश्वविद्यालय, पंजाब।
मणिपुर विश्वविद्यालय, इंफल।
देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, मध्य प्रदेश।
भारतीय विज्ञान संस्थान, कर्नाटक।
आंध्र विश्वविद्यालय, आंध्र प्रदेश।
कोचिन विश्वविद्यालय, कोच्चि।
भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान, महाराष्ट्र।
- आशीष झा (करिअर परामर्शदाता)।