सुप्रीम कोर्ट के एक गलत फैसले की वजह से 98 करोड़ की रकम उन हाथों में चली गई जहां नहीं जानी थी। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ को पता चला तो उन्होंने शीर्ष अदालत के फैसले को गलत मानते हुए उसे पलट दिया। जिन दो लोगों के पास रकम गई थी, उनको इसे वापस करने का आदेश दिया। यही नहीं सीजेआई ने अपने फैसले में कहा कि दोनों शख्स ब्याज की रकम के साथ ये पैसा सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री के पास जमा कराएंगे।

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह की बेंच ने सुप्रीम कोर्ट के पिछले फैसले को पलटते हुए कहा था कि हम मान रहे हैं कि वो आदेश गलत था जिसमें दो लोगों को 98 करोड़ रुपये दे दिए गए थे। अब हम अपनी ही गलती को दुरुस्त कर रहे हैं। वो फैसला खारिज होता है।

सीजेआई ने किया एक्टस क्यूरी नेमिनेम ग्रेवाबिट का इस्तेमाल

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने Actus Curiae Neminem Gravabit (एक्टस क्यूरी नेमिनेम ग्रेवाबिट) का इस्तेमाल कर सुप्रीम कोर्ट के पिछले फैसले को पलट दिया था। सीजेआई ने कहा था कि उन्हें लगता है कि ग्रेवाविट के इस्तेमाल के लिए ये फिट केस है। ये ऐसे मामले में लागू होता है जिसमें अदालत से ही कोई गलती हो गई हो। ऐसी स्थिति में पिछली गलती को फिर से ठीक करना सुप्रीम कोर्ट का दायित्व माना जाता है।

सुप्रीम कोर्ट ने ही दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व जज जस्टिस एसएन ढींगरा की अगुवाई में तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया था, जिसके तहत यूनिटेक की संपत्तियों को बेचा जाना था। यूनिटेक के पास घर खरीदने गए लोगों की रकम जल्दी से जल्दी वापस लौटाने के लिए ये फैसला सुप्रीम कोर्ट ने किया था।

यूनिटेक ने अपनी जमीन देवास ग्लोबल सर्विसेज LLP को बेची थी। ये डील सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के तहत की गई थी। सीजेआई की बेंच ने कहा कि दो लोगों को 98 करोड़ देने का फैसला जस्टिस ढींगरा कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर लिया गया था। हालांकि कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में ऐसा कोई ठोस आधार नहीं दिया था जिससे ये रकम दो लोगों को दी जाती। सुप्रीम कोर्ट की गलती की वजह से 56.11 करोड़ रुपये नरेश केमपाना और 41.96 करोड़ रुपये कर्नल मोहिंदर खैरा को दे दिए गए। दोनों को आदेश दिया गया कि 9 फीसदी के ब्याज के साथ वो रकम वापस कराए।

एडिशनल सॉलीसिटर जनरल ने सुप्रीम कोर्ट के पिछले फैसले पर उठाया था सवाल

यूनिटेक का दावा था कि बेंगलुरु में स्थित 26 एकड़ 19 गुंटा जमीन का असली मालिक वो ही है। एक गुंटा .025 एकड़ के बराबर होता है। कंपनी का कहना था कि 172.08 की सेल डीड का असली हकदार वो ही है। सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले की वजह से 87.35 करोड़ रुपये सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री के पास मौजूद यूनिटेक के खाते में डाले गए। लेकिन गलती की वजह से बाकी रकम नरेश और कर्नल खैरा के खाते में चली गई। एडिशनल सॉलीसिटर जनरल एन वेंकटरमन ने यूनिटेक की तरफ से सीजेआई की बेंच के सामने कहा कि ढींगरा कमेटी और सुप्रीम कोर्ट का फैसला सही नहीं था।