Quad Summit in India: इस साल के अंत में होने वाले क्वॉड समिट के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को निमंत्रण भेजा था और जून 2025 में ट्रंप ने इसे स्वीकार भी कर लिया था। अब टैरिफ को लेकर दोनों देशों के बीच तनातनी की स्थिति है। इस बीच अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट बताती है कि ट्रंप इस साल के अंत में भारत नहीं आ सकते हैं।
क्वॉड समिट के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के न आने का दावा न्यूयॉर्क टाइम्स की तरफ से ही किया गया है लेकिन अभी तक इसको लेकर न तो अमेरिकी और न ही भारतीय प्रशासन द्वारा कोई पुष्टि की गई है। पहले उम्मीद की जा रही थी कि दोनों देश द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर बातचीत पूरी कर लेंगे और ट्रंप की भारत यात्रा के दौरान इस सौदे को अंतिम रूप दे दिया जाएगा।
टैरिफ को लेकर दोनों देशों में बढ़ा है तनाव
ध्यान देने वाली बात यह भी है कि भारत उन शुरुआती देशों में से एक था जिन्होंने फरवरी में ही अमेरिका के साथ व्यापार समझौते पर बातचीत शुरू कर दी थी लेकिन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत द्वारा रूसी तेल की खरीद पर आपत्ति जताई और भारत पर लगाए गए 25 प्रतिशत के समानांतर 25 प्रतिशत का अतिरिक्त टैरिफ भी लगा दिया है।
टैरिफ को लेकर जारी विवाद के बीच भारत की तरफ से भी लगातार आक्रामक प्रक्रिया आ रही है और राष्ट्रीय हितों से किसी भी तरह का समझौता न होने की बात कही जा रही है। पारस्परिक शुल्क के ऊपर 25 प्रतिशत का अतिरिक्त शुल्क लगा दिया। नतीजा ये कि अमेरिका ने ट्रेड डील की वार्ता रोक दी और 25 अगस्त को होने वाली वार्ता के दूसरे दौर के लिए अपनी टीम नई दिल्ली भेजने से भी पीछे हट गया। दिल्ली में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के सूत्रों ने भी कहा कि अमेरिका को भारत के निर्यात पर लगाए जा रहे अतिरिक्त 25 प्रतिशत टैरिफ के साथ व्यापार वार्ता करना व्यावहारिक नहीं है।
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भारत दौरे को लेकर क्या है अमेरिकी अखबार का दावा?
शनिवार को NYT की एक रिपोर्ट के अनुसार राष्ट्रपति के कार्यक्रम से परिचित लोगों के अनुसार भले ही पीएम मोदी को ट्रंप ने भारत आने के लिए कह दिया था, लेकिन अभी तक उनके भारत दौरे क्वॉड समिट में शामिल होने को लेकर किसी भी तरह की कोई योजना निर्धारित नहीं है। रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि कनाडा के कनानसकीस में जी-7 शिखर सम्मेलन से अमेरिकी राष्ट्रपति के जल्दबाजी में चले जाने के बाद, 17 जून को मोदी और ट्रंप के बीच हुई फ़ोन कॉल ने उनके बीच खटास पैदा कर दी थी।
जानकारी के मुताबिक, राष्ट्रपति ट्रंप ने पीएम मोदी से पूछा था कि क्या वह कनाडा से लौटते समय अमेरिका आएंगे, लेकिन प्रधानमंत्री ने पूर्व निर्धारित कार्यक्रमों का हवाला देते हुए ऐसा करने में असमर्थता जताई थी। 10 मई को भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध विराम के बाद के दिनों में, राष्ट्रपति ट्रम्प ने युद्ध को “समाधान” करने के बारे में बार-बार दावे किए थे, जिसे भारत ने लगातार खारिज किया है।
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ट्रंप की नोबेल पुरस्कार की चाहत
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट कहती है कि 17 जून को एक फ़ोन कॉल के दौरान, ट्रंप ने इस मुद्दे को फिर से उठाया और कहा कि उन्हें सैन्य तनाव खत्म करने पर कितना गर्व है। उन्होंने बताया कि पाकिस्तान उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित करने वाला है, जिसके लिए वह खुलकर प्रचार कर रहे थे। इस कॉल से वाकिफ़ लोगों के अनुसार, इसका सीधा-सा मतलब यह था कि मोदी को भी ऐसा ही करना चाहिए।
पीएम मोदी का ट्रंप को फोन कॉल पर सख्त संदेश
17 जून को 35 मिनट की फ़ोन कॉल के बाद विदेश सचिव विक्रम मिस्री के एक बयान के अनुसार प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति ट्रंप को स्पष्ट रूप से बताया कि इस पूरे घटनाक्रम के दौरान किसी भी स्तर पर भारत-अमेरिका व्यापार समझौते या भारत और पाकिस्तान के बीच अमेरिका द्वारा मध्यस्थता के किसी प्रस्ताव पर कोई चर्चा नहीं हुई। सैन्य कार्रवाई रोकने पर चर्चा भारत और पाकिस्तान के बीच दोनों सशस्त्र बलों के बीच मौजूदा संचार माध्यमों के माध्यम से सीधे हुई, और इसकी शुरुआत पाकिस्तान के अनुरोध पर हुई। विदेश मंत्रालय ने यह भी बताया कि पीएम मोदी ने ट्रंप से 22 अप्रैल के बाद पहली बार 17 जून को ही बात की थी। इसके अलावा इस पूरे समय के दौरान दोनों के बीच किसी तरह की कोई बातचीत नहीं हुई थी।
विक्रम मिस्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने दृढ़ता से कहा है कि भारत मध्यस्थता स्वीकार नहीं करता और न ही कभी करेगा। इस मामले पर भारत में पूरी राजनीतिक सहमति है। हालाँकि, बयान में कहा गया है कि उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने 9 मई को प्रधानमंत्री मोदी को फ़ोन करके बताया था कि पाकिस्तान भारत पर बड़ा हमला कर सकता है। मिस्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें स्पष्ट शब्दों में बता दिया था कि अगर ऐसी कोई कार्रवाई होती है, तो भारत और भी कड़ी प्रतिक्रिया देगा।
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