अमेरिका में रूढ़िवादी ईसाइयों की पहली पसंद बनकर सत्ता के शीर्ष पर पहुंचे डोनाल्ड ट्रंप राजनीतिक अलगाव की उस संकीर्णता के बूते खुद को मजबूत दिखाना चाहते हैं, जो विभाजनकारी और राष्ट्रीय एकीकरण के लिए हानिकारक हो सकता है। ट्रंप देश की विविधता को सार्वजनिक रूप से नजरअंदाज करने से भी परहेज नहीं कर रहे हैं। यह स्थिति दुनिया के इस महान लोकतांत्रिक देश में सांविधानिक, सामाजिक और राजनीतिक संकट बढ़ा सकती है।
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप वाशिंगटन नेशनल कैथेड्रल में आयोजित एक प्रार्थना सभा में शामिल हुए, जहां बिशप मरियन एडगर बडी ने उनसे ‘एलजीबीटीक्यू’ समुदाय, आप्रवासियों, मंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारों के प्रति दया दिखाने की अपील की। ट्रंप लगातार ‘एलजीबीटीक्यू’ समुदाय और आप्रवासियों पर निशाना साधते रहे हैं। ट्रंप के सत्ता में आने के बाद देश में इन समुदायों में अपने अस्तित्व को लेकर गहरी चिंता है। उनसे अपेक्षा थी कि वे बिशप की चिंता पर सार्वजनिक बयान देकर देश में भ्रम की स्थिति को दूर करेंगे, लेकिन उन्होंने ऐसा बिल्कुल नहीं किया। उन्होंने चुनावी रैलियों की तरह ही सोशल मीडिया पर बिशप मरियन एडगर बडी पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए उन्हें कट्टर वामपंथी, ट्रंप-विरोधी कहा और उनसे सार्वजनिक तौर पर माफी की मांग की।
डेमोक्रेटिक नेता माने जाते हैं ट्रंप के राजनीतिक विरोधी
अब अमेरिका में यह आशंका भी गहरा गई है कि ट्रंप संघीय सरकार का इस्तेमाल अपने राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ एक खतरनाक हथियार के तौर पर करेंगे। ट्रंप के राजनीतिक विरोधी डेमोक्रेटिक नेता माने जाते हैं और इसमें अच्छी-खासी संख्या अमेरिकी अश्वेत, लैटिन अमेरिकी, एशियाई और अफ्रीकी मूल के लोगों तथा उदारवादियों की है।
भारत को दुनिया की तीसरी अर्थव्यवस्था बनाने की चाह, तरक्की के कोलाहल में सुस्त रफ्तार
अमेरिका में शक्ति पृथक्करण का सिद्धांत काम करता है। इसका उद्देश्य सरकार की शक्ति को तीन अलग-अलग कार्यों और शाखाओं के बीच विभाजित करके नियंत्रित करना है, जिसमें हर शाखा अपने कार्य के अभ्यास तक सीमित है और अन्य शाखाओं के कार्यों पर अतिक्रमण करने की अनुमति नहीं है। राष्ट्रपति के पास राष्ट्रीय मामलों और संघीय सरकार के कामकाज का प्रबंधन करने की व्यापक शक्तियां होती हैं। वह नियम और निर्देश जारी कर सकता है, जिन्हें कार्यकारी आदेश कहा जाता है, जिसमें संघीय एजंसियों पर कानून की बाध्यकारी शक्ति होती है। ट्रंप ने जो कार्यकारी आदेश जारी किए हैं, उसमें उनके भविष्य की नीति की स्पष्ट छाप है कि वे अमेरिका को किस ओर ले जाना चाहते हैं।
ट्रंप पर अनेक मुकदमे अदालतों में विचाराधीन
राष्ट्रपति सैकड़ों अन्य उच्च पदस्थ संघीय अधिकारियों के साथ मिलकर सभी कार्यकारी विभागों और एजंसियों के प्रमुखों को चुनता है। हालांकि अधिकांश संघीय कर्मचारियों का चयन सिविल सेवा प्रणाली से किया जाता है। ट्रंप अमेरिकी इतिहास के सबसे विवादास्पद राष्ट्रपति हैं, जिन पर अनेक मुकदमे अदालतों में विचाराधीन हैं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक, अपने कार्यकाल के दौरान राष्ट्रपति को किसी भी आपराधिक अभियोजन से पूरी तरह से छूट है। इस वजह से ट्रंप खुद के खिलाफ चल रहे कई मुकदमों से बच जाएंगे, इसकी पूरी संभावना है। अमेरिका का संविधान कहता है कि राष्ट्रपति को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि कानूनों का ईमानदारी से क्रियान्वन किया जाए। मगर ट्रंप के लिए ईमानदारी का अर्थ अपने एजंडे को आगे बढ़ाना है।
नए शहर बसाने में लगी सरकारें दूसरी ओर गांवों से पलायन रोकने पर भी जोर, विदेशों में स्थिति उलट
राष्ट्रपति को महाभियोग का डर दिखाया जाता है, लेकिन इस मामलें में भी ट्रंप बेपरवाह नजर आते हैं। महाभियोग केवल आपराधिक व्यवहार तक सीमित नहीं है, बल्कि अनुचित रूप से कार्यालय की शक्तियों का अतिक्रमण या दुरुपयोग करना, कार्यालय के कार्य और उद्देश्य के साथ असंगत व्यवहार और अनुचित उद्देश्य या व्यक्तिगत लाभ के लिए कार्यालय का दुरुपयोग करना भी इसमें शामिल है। महाभियोग की प्रक्रिया शुरू करने के लिए व्यापक राजनीतिक विरोध और न्यायपालिका की दृढ़ता की जरूरत होती है।
अमेरिकी लोकतंत्र में मिल रहे निरंकुशता के संकेत
इस समय अमेरिका में रिपब्लिकनों के पास कार्यपालिका और सरकार की दोनों विधायिका शाखाओं का नियंत्रण है। इसलिए वे प्रत्येक सदन में उनके विचारों को आगे बढ़ा सकेंगे और उन विधेयकों को कानून बनाने के लिए हस्ताक्षर हेतु भेज सकेंगे। ट्रंप के पास सीनेट में बहुमत है और वे संघीय न्यायपालिका को एक विशेष वैचारिक रुख में आकार देने में सफल हो सकते है। ट्रंप का प्रभाव अमेरिकी न्यायपालिका पर भी है, जहां अतिवादी न्यायाधीश उनके पक्षपातपूर्ण एजंडे को प्रतिस्थापित कर सकते हैं।
अमेरिकी लोकतंत्र में निरंकुशता के संकेत मिल रहे हैं और ट्रंप अपनी स्थिति को और ज्यादा मजबूत करना चाहते हैं। हालांकि अमेरिका में ट्रंप को नियंत्रित करने की उम्मीदें अभी भी कायम हैं। वहां राष्ट्रपति के कामकाज को जनता दो सालों में मुहर लगाती है। इसका जरिया राष्ट्रपति के कार्यकाल के मध्य में होने वाले चुनाव हैं, जो इस बार दो वर्ष बाद यानी 2026 में होंगे। अमेरिकी संविधान का दसवां संशोधन राज्य या प्रदेश की सरकारों को बड़े स्तर पर शक्ति देता है। परंपरागत रूप से राज्यों के पास सुरक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक लाभ, शिक्षा, चुनावी प्रक्रिया, आपराधिक कानून, श्रम नियम और संपत्ति से जुड़े अधिकार रहे हैं। इसी तरह काउंटी और शहरी प्रशासन के पास सार्वजनिक सुरक्षा, शहरी नियोजन, जमीनों का इस्तेमाल और इस तरह की दूसरी जिम्मेदारियां हैं।
अमेरिका के लोग संघीय सरकार और वे राज्य दोनों के नागरिक
वहां कुल पचास राज्य हैं। प्रत्येक राज्य एक परिभाषित भौगोलिक क्षेत्र के ऊपर प्रशासनिक अधिकार क्षेत्र रखता है और संयुक्त राज्य संघीय सरकार के साथ अपनी संप्रभुता को साझा करता है। अमेरिका के लोग संघीय सरकार और वे राज्य, जिसमें वे रहते हैं, दोनों के नागरिक हैं। राज्यों, काउंटी और शहरी प्रशासन के पास ट्रंप की संघीय सरकार की कुछ पहलों का विरोध करने की शक्ति है। मध्य अवधि के चुनावों में आमतौर पर सौ सदस्यीय अमेरिकी सीनेट की लगभग एक तिहाई सीटों के साथ-साथ अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की सभी 435 सीटों के लिए चुनाव होता है। देश भर में गवर्नरशिप, राज्य विधानसभाओं, स्थानीय परिषदों और स्कूल बोर्डों के लिए भी चुनाव लड़े जाएंगे। संयुक्त राज्य अमेरिका में कानून पारित कराने के लिए कांग्रेस का नियंत्रण महत्त्वपूर्ण है। अगर डेमोक्रेट कांग्रेस में अधिक बहुमत हासिल कर लेते हैं तो ट्रंप अपने महत्त्वाकांक्षी एजंडे को आगे नहीं बढ़ा पाएंगे।
सोलर इलेक्ट्रिक वाहनों से प्रदूषण पर लगेगी लगाम, हरित भविष्य की ओर भारत का बड़ा कदम
ट्रंप ने ‘कैपिटल हिल’ के दंगाइयों को माफी देकर उदारवादियों की उस आशंका को बढ़ा दिया है, जिसमें लगता है कि ट्रंप के पास लोकतंत्र की सुरक्षा व्यवस्था को ध्वस्त करने की योजना है। देखा जा रहा है कि कई देशों में लोकतांत्रिक नेता सत्ता प्राप्त करने के बाद तानाशाहों की तरह व्यवहार करने लगते हैं। हाल के वर्षों में लोकतंत्र बहुत कमजोर कर दिए गए हैं और सत्तावादी नेताओं को अत्यधिक शक्ति प्रदान की गई है, जो दलीय हितों की सेवा करते हैं। क्या ट्रंप भी ऐसा कर सकते हैं।
ट्रंप का पहला कार्यकाल रहा बदलाव की पहल करने वाला
अमेरिकी लोकतंत्र का शासन सिर्फ कानूनों में नहीं, बल्कि विश्व स्तर पर लोकतंत्र, मानवाधिकार और वैधानिक तथा स्थापित शासन को आगे बढ़ाने के आदर्श मानदंडों पर टिका हुआ है। आम अमेरिकी को यह विश्वास है कि लोकतंत्र अमेरिका के लोगों के सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक विकास के लिए आवश्यक है। मानवाधिकारों और मौलिक स्वतंत्रताओं के प्रति सम्मान, स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराना, राजनीतिक दलों और संगठनों की बहुलवादी प्रणाली, शक्तियों का पृथक्करण, सरकार की शाखाओं की स्वतंत्रता, अभिव्यक्ति और प्रेस की स्वतंत्रता और सभी राज्य संस्थाओं की कानूनी रूप से गठित नागरिक प्राधिकरण के अधीन संवैधानिक अधीनता अमेरिकी लोकतंत्र की मजबूती के आधारभूत गुण माने जाते हैं।
योग की भूमिका और भक्ति का सवाल, भारतीय समाज में संस्कृति और स्वतंत्रता की तलाश
ट्रंप का पहला कार्यकाल बदलाव की पहल करने वाला था, लेकिन दूसरा कार्यकाल सांविधानिक ढांचे और अमेरिका के आदर्शों और मूल्यों को चुनौती देता दिखाई पड़ रहा है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति थियोडोर रूजवेल्ट ने राष्ट्रपति पद को धमकाने वाला मंच कहा था। ट्रंप, रूजवेल्ट की भविष्यवाणी को अक्षरश: सही साबित कर रहे हैं।