Delhi High Court On PIL: दिल्ली हाईकोर्ट में केजरीवाल को जेल से सरकार चलाने देने के लिए विशेष व्यवस्था की एक जनहित याचिका दायर की गई। इतना ही नहीं, इस याचिका में दिल्ली में राष्ट्रपति शासन से संबंधित खबरों पर रोक लगाने की भी मांग की थी। कोर्ट ने ना सिर्फ पीआईएल को खारिज कर दिया बल्कि इसे दायर करने वाले याचिकाकर्ता पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी ठोंक दिया।

श्रीकांत प्रसाद नाम के एक वकील ने जनहित याचिका दायर की थी। इसमें कहा गया था कि सीएम केजरीवाल को कैबिनेट मंत्रियों के साथ जुड़ने के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग का इंतजाम कर दिया जाए। इसने मीडिया घरानों को सीएम के संभावित इस्तीफे और दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के बारे में खबरें देने से रोकने की भी मांग की।

एक्टिंग चीफ जस्टिस ने लगाया एक लाख रुपये का जुर्माना

दिल्ली हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने याचिकाकर्ता पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया। उन्हें इन पैसों को एम्स के खाते में जमा करने के लिए कहा गया है। कोर्ट ने कहा कि वह न तो मीडिया को अपनी खबरें देने से रोक सकता है और ना ही राजनीतिक विरोधियों को केजरीवाल के इस्तीफे की मांग करने वाले बयान देने से रोक सकता है।

हम प्रेस पर पाबंदी लगाने का आदेश कैसे दे सकते हैं- दिल्ली हाईकोर्ट

जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने याचिका की आलोचना करते हुए कहा कि हम क्या कर सकते हैं? आपातकाल लागू करें? सेंसरशिप या मार्शल लॉ लागू करें? हम प्रेस पर प्रतिबंध लगाने का आदेश कैसे पारित कर सकते हैं। कथित शराब घोटाले में अरेस्ट किए गए केजरीवाल जेल से ही सरकार चलाने पर अड़े हैं। आम आदमी पार्टी का कहना है कि उसके मुखिया मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा नहीं देंगे और जेल से ही सरकार चलाते रहेंगे।

इससे पहले भी दिल्ली हाईकोर्ट में ऐसी याचिका दायर की जा चुकी हैं कि तिहाड़ जेल में बंद अरविंद केजरीवाल को मुख्यमंत्री के पद से हटा दिया जाए। लेकिन कोर्ट ने यह कहकर याचिका को खारिज कर दिया था कि इसका फैसला खुद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को करना है या उपराज्यपाल और राष्ट्रपति को करना है। कोर्ट इस मामले में दखलअंदाजी नहीं कर सकता है।