केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को डिजिटल व्यक्तिगत डाटा संरक्षण (डीपीडीपी) विधेयक, 2023 के मसविदे को मंजूरी दे दी। इसे संसद के आगामी मानसून सत्र में पेश किया जाएगा। एक आधिकारिक सूत्र ने यह जानकारी दी। विधेयक में नियमों के उल्लंघन के प्रत्येक मामले में संबंधित इकाई पर 250 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाने का प्रस्ताव किया गया है।
व्यक्तिगत डाटा संरक्षण विधेयक के मसविदे में सरकारी विभागों को पूरी तरह से छूट नहीं दी गई है। विवादों के मामले में सूचना संरक्षण बोर्ड फैसला करेगा। नागरिकों को दीवानी अदालत में जाकर मुआवजे का दावा करने का अधिकार होगा। कानून लागू होने के बाद व्यक्तियों को अपने आंकड़े, उसके रखरखाव आदि के बारे में विवरण मांगने का अधिकार होगा।
सूत्र ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में डिजिटल व्यक्तिगत डाटा संरक्षण विधेयक के मसविदे को मंजूरी दी गई। इसे संसद के आगामी मानसून सत्र में पेश किया जाएगा। संसद का मानसून सत्र 20 जुलाई से शुरू होगा और 11 अगस्त तक चलेगा। सूत्र के अनुसार विधेयक में पिछले मसविदे के लगभग सभी प्रावधानों को शामिल किया गया है।
उस मसविदे को इलेक्ट्रानिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने परामर्श के लिए जारी किया था। विवादों के मामले में सूचना संरक्षण बोर्ड फैसला
मंत्रिमंडल की बैठक में शामिल नहीं हुए जी किशन रेड्डी भारतीय जनता पार्टी की तेलंगाना इकाई के अध्यक्ष के रूप में अपनी नियुक्ति के एक दिन बाद, केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी बुधवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में शामिल नहीं हुए।
उनकी अनुपस्थिति के लिए कोई आधिकारिक कारण नहीं बताया गया है, लेकिन कुछ नेताओं का मानना है कि यह संभावित फेरबदल से पहले केंद्रीय मंत्रिमंडल से उनके बाहर निकलने का संकेत हो सकता है। केंद्रीय संस्कृति, पर्यटन और पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री रेड्डी को मंगलवार को भाजपा की तेलंगाना इकाई का अध्यक्ष नियुक्त किया गया।
भाजपा में भी एक व्यक्ति-एक पद का नियम है। रेड्डी के एक करीबी सूत्र ने इस पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया कि वे मंत्रिमंडल से इस्तीफा देंगे या नहीं। सूत्र ने कहा कि वे दशकों से पार्टी के एक समर्पित कार्यकर्ता रहे हैं और पार्टी नेतृत्व उन्हें जो भी जिम्मेदारी सौंपेगा, वे उसका निर्वहन करेंगे।
क्या है व्यक्तिगत डाटा संरक्षण विधेयक
व्यक्तिगत डाटा संरक्षण विधेयक एक ऐसा विधेयक है जो एक ओर नागरिक (डिजिटल नागरिक) के अधिकारों और कर्तव्यों को निर्धारित करता है। दूसरी ओर, कंपनियों के एकत्रित डाटा का कानूनी रूप से उपयोग करने के दायित्वों को निर्धारित करता है। यह विधेयक व्यक्तिगत डाटा के उपयोग कोसुरक्षित करने की कोशिश और उपयोगकर्ताओं के अधिकारों, कर्तव्यों व व्यवसायों पर दायित्वों को निर्धारित करता है।
यह विधेयक डाटा अर्थव्यवस्था के छह सिद्धांतों पर आधारित है जिनमें से पहला भारत के नागरिकों के व्यक्तिगत डाटा के संग्रह और उपयोग के बारे में है। व्यक्तिगत डाटा का संग्रह और उपयोग वैध होना चाहिए, उल्लंघन से संरक्षित किया जाना चाहिए और पारदर्शिता बनाए रखी जानी चाहिए। दूसरा सिद्धांत डाटा संग्रह अभ्यास के बारे में बात करता है जो कानूनी उद्देश्य के लिए होना चाहिए और उद्देश्य पूरा होने तक डाटा को सुरक्षित रूप से संग्रहित किया जाना चाहिए।
तीसरा सिद्धांत कहता है कि केवल व्यक्तियों का प्रासंगिक डाटा एकत्र किया जाना चाहिए और पूर्व-निर्धारित उद्देश्य की पूर्ति ही एकमात्र उद्देश्य होना चाहिए। चौथा सिद्धांत डाटा सुरक्षा और जवाबदेही के बारे में है जबकि पांचवां डाटा की सटीकता के बारे में बात करता है। अंतिम सिद्धांत डाटा उल्लंघन की रिपोर्ट करने के संबंध में नियम बताता है।