पूरे देश में NDA को हराने के लिए विपक्ष एकजुट हो रहा है लेकिन आंध्र प्रदेश में विपक्षी दल बीजेपी का समर्थन कर रहे हैं। आंध्र प्रदेश की प्रमुख पार्टियां (वाईएसआरसीपी, टीडीपी और जन सेना पार्टी) जो वहां पर हावी हैं, वो केवल कांग्रेस द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को हराने के लिए ही नहीं बल्कि राज्य की राजनीति से संबंधित अन्य मुद्दों के कारण भी बीजेपी का साथ देने के लिए उत्सुक हैं।

आंध्र प्रदेश की तीनों पार्टियां बीजेपी के करीब

राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी वाईएसआरसीपी ने पहले ही अविश्वास प्रस्ताव के खिलाफ भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को समर्थन देने की घोषणा कर दी है। हालांकि टीडीपी ने अभी तक अपना रुख स्पष्ट नहीं किया है लेकिन पार्टी प्रमुख एन चंद्रबाबू नायडू वाईएसआरसीपी से मुकाबला करने के लिए भाजपा और जेएसपी के साथ गठबंधन करने की कोशिश कर रहे हैं। टीडीपी प्रवक्ता के पट्टाभि राम ने कहा है कि हमारे पार्टी प्रमुख एन चंद्रबाबू नायडू अंतिम फैसला लेंगे। अभिनेता से नेता बने पवन कल्याण के नेतृत्व वाली जेएसपी पहले से ही भाजपा के साथ गठबंधन में है।

मजबूरियों के कारण जगन कर रहे बीजेपी का समर्थन

मुख्यमंत्री वाई एस जगन मोहन रेड्डी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वाईएसआरसीपी किसी भी गठबंधन में शामिल नहीं होगी लेकिन उन्होंने कथित तौर पर केंद्रीय फंडिंग से संबंधित मजबूरियों के कारण भाजपा का समर्थन किया है। राज्य पोलावरम बांध परियोजना के साथ ही 2014 में विभाजन के दौरान हुए राजस्व घाटे की भरपाई के लिए केंद्र सरकार पर आंध्र बहुत अधिक निर्भर है। 2014-15 वित्तीय वर्ष के लिए राज्य का कुल राजस्व घाटा 22,948.76 करोड़ रुपये था, जिसमें से केंद्र ने इस मार्च तक केवल 4,117.89 करोड़ रुपये जारी किए थे।

मुख्यमंत्री जगन और वाईएसआरसीपी सांसदों द्वारा भाजपा और विशेष तौर अमित शाह के साथ बनाए गए अच्छे संबंधों का फल भी मिला। दरअसल केंद्र ने 23 मई को 10,460 करोड़ रुपये और मंजूर किए। यह विभाजन के बाद से आंध्र के लिए केंद्रीय निधि की सबसे बड़ी किश्त है। केंद्र ने 6 जून को पोलावरम परियोजना के लिए 12,911 करोड़ रुपये जारी किए।

वाईएसआरसीपी नेताओं ने कहा कि यह भाजपा नेताओं के साथ लगातार बैठकों का नतीजा है। हालांकि जगन मोहन, जिन्होंने भाजपा के साथ अच्छे संबंधों को बढ़ावा दिया है, वह भाजपा से जुड़े किसी भी गठबंधन में शामिल नहीं होना चाहते हैं। इसका सबसे बड़ा कारण वह राज्य में अपने बड़े अल्पसंख्यक वोट बैंक को अलग नहीं करना चाहते हैं। पिछले हफ्ते सीएम जगन ने समान नागरिक संहिता (UCC) से चिंतित मुस्लिम नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल से कहा था कि वाईएसआरसीपी ऐसा कुछ भी नहीं करेगी जिससे अल्पसंख्यकों की भलाई और कल्याण को नुकसान पहुंचे।

चंद्रबाबू नायडू भी कर रहे बीजेपी से बात

टीडीपी प्रमुख एन चंद्रबाबू नायडू जो केंद्र द्वारा विशेष श्रेणी के दर्जे की मांग का जवाब नहीं देने पर 2018 में एनडीए से बाहर हो गए थे, वो भी अगले साल विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए भाजपा का समर्थन चाहते हैं। हाल ही में चंद्रबाबू नायडू सार्वजनिक बैठकों में कहते रहे हैं कि अगर टीडीपी 2024 में नहीं जीतती है, तो यह उनका आखिरी चुनाव होगा। दरअसल टीडीपी नेताओं को लगता है कि अगर वाईएसआरसीपी सत्ता में वापस आती है तो पार्टी का भविष्य ही दांव पर लग जाएगा।

भाजपा ने पहले टीडीपी के लिए दरवाजे बंद कर दिए थे, लेकिन हाल ही में उसने नायडू के प्रति गर्मजोशी दिखानी शुरू कर दी है। चंद्रबाबू नायडू ने गठबंधन के बारे में बात करने के लिए 4 जून को अमित शाह से मुलाकात की थी। TDP सूत्रों ने कहा कि भाजपा ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है, लेकिन गठबंधन पर अभी तक अपना रुख स्पष्ट नहीं किया है।

एक टीडीपी नेता ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “TDP को भाजपा का समर्थन लेने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है क्योंकि हम अकेले वाईएसआरसीपी का मुकाबला नहीं कर सकते जो मजबूत स्थिति में है। हम केंद्र में भाजपा से जुड़े किसी भी गठबंधन में शामिल नहीं हो सकते हैं, लेकिन हम राज्य स्तर पर भाजपा का समर्थन चाहते हैं। चंद्रबाबू नायडू एनडीए में फिर से शामिल होकर राज्य के अल्पसंख्यकों विशेषकर मुसलमानों को नाराज करने को लेकर भी सतर्क हैं। इसलिए भले ही वह भाजपा का समर्थन चाहते हैं लेकिन उन्होंने मुस्लिम नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल को आश्वासत किया है कि टीडीपी यूसीसी पर उनके समुदाय के साथ खड़ी रहेगी।

पवन कल्याण भी बीजेपी के साथ

पवन कल्याण ने आंध्र प्रदेश के विभाजन से ठीक पहले मार्च 2014 में अपनी पार्टी लॉन्च करने के बाद से ही भाजपा के साथ हैं। जबकि उनकी जन सेना पार्टी ने 2014 में चुनाव नहीं लड़ा था, लेकिन उसने टीडीपी-बीजेपी का समर्थन किया था माना जाता है कि जन सेना पार्टी के समर्थन के कारण उनके गठबंधन को जीत मिली थी।