Maharashtra Politics: महाराष्ट्र में एक बार फिर से सियासत तेज हो गई। जब विधान परिषद में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) प्रमुख उद्धव ठाकरे को सत्ता पक्ष में आने का सार्वजनिक न्योता दे दिया है।
सीएम देवेंद्र फडणवीस ने हंसते हुए कहा,’2029 तक तो कोई स्कोप नहीं है… लेकिन उद्धवजी, आपको यहां (सत्ता पक्ष) में शामिल करने पर विचार किया जा सकता है।’
फडणवीस ने भले ही हल्के-फुल्के अंदाज में तंज कसा हो, लेकिन इसके अब सियासी मायने निकाले जा रहे हैं। मुख्यमंत्री का यह बयान ऐसे वक्त में आया है जब उद्धव ठाकरे लगातार भाजपा और शिंदे सरकार पर हमलावर हैं और राज्य में स्थानीय चुनावों को लेकर विपक्ष एकजुटता की कोशिशों में जुटा है।
इससे पहले दिन में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे ने बुधवार को अपने चचेरे भाई उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (यूबीटी) के साथ गठबंधन को लेकर कोई टिप्पणी करने से इनकार किया। उन्होंने दावा किया कि मीडिया के एक हिस्से ने उनके शब्दों को गलत तरीके से पेश किया।
राज ठाकरे ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि अगर उन्हें कोई राजनीतिक बयान देना होगा, तो वह प्रेस कॉन्फ्रेंस करके ही देंगे। उन्होंने बताया कि पार्टी ने 14 और 15 जुलाई को नासिक के इगतपुरी में चुनिंदा पदाधिकारियों के लिए एक बैठक रखी थी, जहां पत्रकारों के साथ अनौपचारिक बातचीत हुई थी।
मीडिया से हो रही थी अनौपचारिक बात
उन्होंने कहा, जब पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत हो रही थी, तब मुझसे पांच जुलाई को मुंबई में हुई विजय रैली के बारे में पूछा गया। मैंने कहा कि यह कार्यक्रम मराठी मानुष की जीत का जश्न था और इसका कोई राजनीतिक मकसद नहीं था। फिर उन्होंने पूछा कि शिवसेना (यूबीटी) के साथ गठबंधन को लेकर क्या विचार है। इस पर मैंने जवाब दिया – क्या मैं अभी आपसे गठबंधन पर चर्चा करूं?
‘कुछ पत्रकारों का व्यवहार पेशे के अनुरूप नहीं’
मनसे प्रमुख ने कहा कि उन्होंने जो शब्द नहीं कहे, उन्हें उनके मुंह में डाल दिया गया और कहा गया कि गठबंधन पर फैसला नगर निकाय चुनावों से पहले हालात को देखकर लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि अनौपचारिक बातचीत को अनौपचारिक ही रहना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि वह 1984 से पत्रकारिता से जुड़े रहे हैं और कुछ पत्रकारों का व्यवहार उनके पेशे के अनुरूप नहीं होता।
ठाकरे ब्रदर ने साझा किया था मंच
5 जुलाई, 2025 को भाजपा के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार के दो विवादास्पद आदेशों को वापस लेने के बाद दोनों ठाकरे भाइयों ने करीब दो दशक बाद एक साथ मंच साझा किया। इन आदेशों में राज्य के स्कूलों में पहली कक्षा से ही हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में लागू किया गया था।
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उद्धव ठाकरे गठबंधन को लेकर उत्सुक
जहां उद्धव ठाकरे आगामी मुंबई और अन्य नगर निगम चुनावों से पहले गठबंधन को लेकर उत्सुक दिखते हैं, वहीं राज ठाकरे ने अब तक अपने इरादे साफ नहीं किए हैं। सोमवार को इगतपुरी में पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत में राज ठाकरे ने कथित तौर पर कहा कि पांच जुलाई को मनसे और शिवसेना (यूबीटी) की साझा विजय रैली केवल मराठी मुद्दे पर थी और उस पर कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि मनसे चुनावों पर अंतिम फैसला तब लेगी, जब नगर निकाय चुनावों की घोषणा होगी।
मतभेदों के कारण राज ठाकरे ने छोड़ी थी शिवसेना
5 जुलाई की रैली के दौरान उद्धव ठाकरे ने कहा था कि हम एक साथ आए हैं और साथ रहेंगे। हम मिलकर मुंबई नगर निगम और महाराष्ट्र में सत्ता हासिल करेंगे। बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) और अन्य नगर पालिकाओं के चुनाव इस साल के अंत तक होने हैं।
बता दें, राज ठाकरे ने 2005 में अपने चचेरे भाई उद्धव ठाकरे से मतभेदों के कारण शिवसेना छोड़ दी थी और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना बनाई थी। तब से वह खुद को ‘भूमिपुत्र’ यानी मराठी लोगों के हितों का सच्चा पैरोकार बताते रहे हैं। ठाकरे भाइयों के नेतृत्व वाली पार्टियां तबसे अब तक एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ती रही हैं। हालांकि बीच-बीच में उनके पुनर्मिलन की अटकलें भी लगती रही हैं। वहीं, राहुल गांधी ने कहा कि असम सीएम को जेल जाना पड़ेगा। पढ़ें…पूरी खबर।