Adani-Maharashtra Roadmap For Dharavi: महाराष्ट्र में पिछले साल विधानसभा चुनाव हुए थे। इससे एक दिन पहले महाराष्ट्र सरकार ने धारावी स्लम रिडेवलेपमेंट प्रोजेक्ट के अनुमानित 50,000-100000 लाख लोगों को देवनार लैंडफिल में फिर से बसाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। यह जगह मुंबई के सबसे बड़े कचरा डंपों में से एक है। यह प्रोजेक्ट अडानी ग्रुप और महाराष्ट्र सरकार दोनों की तरफ से चलाया जा रहा है।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, फील्ड विजिट और इस ऐतिहासिक प्रोजेक्ट से जुड़े अधिकारियों के इंटरव्यू से पता चलता है कि सीपीसीबी ने पर्यावरण को लेकर जो मानदंड और दिशानिर्देश बनाएं है, यह उसके बिल्कुल उलट है। दरअसल एक बंद लैंडफिल में डेवलेपमेंट प्रोजेक्ट के लिए सीपीसीबी के 2021 के दिशानिर्देशों के अनुसार, अस्पताल, आवास और स्कूल जैसी सुविधाओं को लैंडफिल के अंदर नहीं बनाया जा सकता है और इसकी सीमा से 100 मीटर का नो-डेवलपमेंट-जोन अनिवार्य है। लेकिन देवनार कोई बंद लैंडफिल नहीं है। इसके बजाय यह एक एक्टिव लैंडफिल है। यह जहरीली गैंसे और लीचेट छोड़ता है।
एनजीटी की मुख्य बेंच को सौंपी गई 2024 की सीबीसीबी रिपोर्ट के अनुसार, देवनार लैंडफिल से हर घंटे औसतन 6,202 किलोग्राम मीथेन उत्सर्जित होती है। इससे यह भारत के टॉप 22 मीथेन हॉटस्पॉट में से एक बन गया है। यही कारण है कि धारावी के लोगों को देवनार लैंडफिल साइट पर ट्रांसफर करने का राज्य का फैसला कई सवाल और चिंताएं पैदा करता है।
धारावी में फैली 600 एकड़ की झुग्गी-झोपड़ियों और कारखानों में से 296 एकड़ जमीन धारावी डेवलेपमेंट प्रोजेक्ट के लिए तय की गई है। इसका मकसद एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती को बेहतर आवास और सुविधाओं के साथ एक आधुनिक शहरी केंद्र में बदलना है। इसमें वहां रहने वाले लोगों को इन-सीटू और एक्स-सीटू पुनर्वास देने का प्रस्ताव है। वरिष्ठ आईएएस अधिकारी एसवीआर श्रीनिवास इस प्रोजेक्ट के सीईओ हैं।
कौन संभाल रहा प्रोजेक्ट?
रिडेवलेपमेंट का काम धारावी रिडेवलेपमेंट प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड कर रही है। इसको अब एनएमडीपीएल यानी नवभारत मेगा डेवलेपर्स प्राइवेट लिमिटेड कहा जाता है। इसमें अडानी प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड की 80 फीसदी हिस्सेदारी है और बाकी बचा हुआ 20 फीसदी राज्य आवास विभाग के एसआरए के पास है। श्रीनिवास एनएमडीपीएल के अध्यक्ष भी हैं। रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज के पास उपलब्ध रिकॉर्ड के अनुसार, एनएमडीपीएल की चुकता पूंजी 400 करोड़ रुपये है, जबकि ऑथराइज पूंजी 5,000 करोड़ रुपये है।
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रिडेवलेपमेंट का काम कब होगा शुरू
श्रीनिवास के अलावा बीएमसी कमिश्नर भूषण गगरानी भी इसके डायरेक्टर हैं। एनएमडीपीएल के बोर्ड में नौ और भी डायरेक्टर हैं। इनमें प्रणव अडानी भी शामिल हैं। वह अडानी एंटरप्राइजेज के बोर्ड में डायरेक्टर हैं। श्रीनिवास ने कहा कि धारावी रिडेवलेपमेंट प्रोजेक्ट का काम 2025 की दूसरी छमाही तक शुरू हो जाएगा। एनएमडीपीएल के पास धारावी के अंदर और बाहर दोनों जगह लोगों के पुनर्वास के लिए सात साल की टाइम लिमिट है।
124 एकड़ जमीन बीएमसी ने राज्य सरकार को सौंपी
धारावी प्रोजेक्ट के तहत लाभार्थियों को दो कैटेगरी में बांटा गया है। पात्र वो लोग होंगे जिनके पास 1 जनवरी 2000 को या उससे पहले बने हाउसिंग स्ट्रक्टचर है। 1.5 लाख पात्र लाभार्थियों को सीटू रिहेबिलेशन मिलेगा। इसका मतलब है कि फ्री हाउसिंग यूनिट। सरकार ने घोषणा की है कि 4 लाख अपात्र लाभार्थियों में से लगभग 50,000-1 लाख को देवनार डंप पर नाममात्र दरों पर किराये की यूनिट दी जाएंगी।
बाकी अयोग्य लोगों के लिए सरकार ने कुर्ला डेयरी, वडाला और कांजुरमार्ग और मुलुंड के बीच नमक के मैदानों में जमीन तय की है। इंडियन एक्सप्रेस को मिले रिकॉर्ड से पता चलता है कि 27 सितंबर, 2024 को बीएमसी ने 311 एकड़ के बड़े देवनार लैंडफिल में से 124 एकड़ जमीन रिहेबिलेशन प्रोजेक्ट के लिए राज्य सरकार को सौंप दी थी। तब से साइट पर कोई कचरा नहीं डाला गया है।
सफाई कौन करेगा?
आवास परियोजना के लिए एक्टिव लैंडफिल साइट देवनार को चुने जाने के बाद सबसे बड़ा सवाल इसकी सफाई को लेकर बना हुआ है। इंडियन एक्सप्रेस ने जब बीएमसी कमिश्नर गगरानी से सवाल किया कि इसकी सफाई कौन करेगा तो उन्होंने कहा कि जिस जमीन पर देवनार डंपयार्ड बना हुआ है, वह कभी बीएमसी की नहीं थी। इसे 20वीं सदी की शुरुआत में राज्य के राजस्व विभाग ने सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के उद्देश्य से नागरिक अधिकारियों को सौंप दिया था। अब यह जमीन राज्य सरकार की मांग के अनुसार ‘जैसी है’ वैसी ही वापस कर दी गई है। नतीजतन, वहां अभी भी बहुत सारा कचरा जमा है। हालांकि एनएमडीपीएल ने इस सवाल का जवाब देने से इनकार कर दिया कि क्या वह साइट को साफ करेगा, लेकिन पत्रों से पता चलता है कि उसने शुरू में ही इसका दायित्व बीएमसी पर डाल दिया था। अडानी ग्रुप से जब पूछा गया कि इस परियोजना के लिए देवनार में खतरनाक लैंडफिल को क्यों चुना गया। अडानी के प्रवक्ता ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
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देवनार में प्रस्तावित आवास परियोजना पर एक और प्रश्नचिह्न यह है कि यह दो आगामी पावर प्लांट के पास है। पहला तो डब्ल्यूटीई प्लांट और दूसरा बॉयो सीएनजी प्लांट। इसको साल 2023 में मंजूरी दी गई है। इन परियोजनाओं का उद्देश्य देवनार के 600-700 मीट्रिक टन रोजाना निकलने वाले कचरे को संसाधित करना है।
वास्तव में, बीएमसी ने एनएमडीपीएल की मांग के अनुसार जमीन का बड़ा टुकड़ा सौंपने में से पहले इन दो प्लांट का हवाला दिया था। रिकॉर्ड से पता चलता है कि एनएमडीपीएल ने पहले परियोजना के लिए 305 एकड़ जमीन मांगी थी, लेकिन बीएमसी ने कहा कि वह इतनी जमीन नहीं दे सकती, क्योंकि उसे डब्ल्यूटीई प्लांट के संचालन और रखरखाव के साथ-साथ अपशिष्ट गतिविधियों के लिए 74 एकड़ जमीन की जरूरत है।