पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा ने बीजेपी के साथ समझौते सही ठहराया है। उनका कहना है कि कांग्रेस सेकुलर ताकतों को बर्बाद करने पर तुली है। इसी वजह से उनको ये कदम उठाना पड़ा। हालांकि उन्होंने अपनी पार्टी में फूट पर कहा कि वो अल्पसंख्यकों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं।

देवगौड़ा ने कहा कि कर्नाटक कांग्रेस में एक धड़ा है जो उनके खिलाफ काम करता है। 2019 में इन नेताओं की वजह से ही एचडी कुमारस्वामी की सरकार गिरी थी। सिद्धरमैया नहीं चाहते थे कि कुमारस्वामी की सरकार कार्यकाल पूरा करे। उन्होंने ही कांग्रेस में फूट करवाई थी।

उनका कहना है कि कांग्रेस सेकुलर होने का दावा करती है लेकिन वो बीएम फारुक का समर्थन भी नहीं कर सकी। जबकि जद (एस) ने उनको राज्यसभा के लिए नामित किया था। फारुक विधान परिषद के सदस्य हैं। देवगौड़ा का कहना था कि फारुक को किसने हरवाया ये सभी को पता होना चाहिए। उनकी हार के पीछे कांग्रेस के कई बड़े नाम हैं। वो किसी का नाम नहीं लेना चाहते लेकिन ये खुद को सेकुलर पार्टी बताने वाली कांग्रेस का सच है।

ध्यान रहे कि 2024 लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा और जेडीएस ने हाथ मिलाया है। हालांकि सूबे में सियासी ताकत की बात करें तो जेडीएस के मुकाबले भाजपा कहीं आगे है। सूबे में 28 लोकसभा सीट हैं। इनमें 25 सीटें भाजपा के पास हैं। कांग्रेस और जेडीएस एक-एक सांसद है। जबकि एक सांसद निर्दलीय है। उनको जेडीएस समर्थक माना जाता है। हालांकि दोनों के बीच की दोस्ती कोई नई नहीं है। जेडीएस और बीजेपी अतीत में सहयोगी रहे हैं। बीएस येदियुरप्पा के नेतृत्व में बीजेपी ने 2006 में देवेगौड़ा के बेटे एचडी कुमारस्वामी के साथ कर्नाटक में गठबंधन सरकार बनाई थी।

भाजपा संसदीय बोर्ड के सदस्य येदियुरप्पा ने कहा कि चुनावी तालमेल के तहत जद(एस) कर्नाटक में 28 संसदीय क्षेत्रों में से चार पर चुनाव लड़ेगी। उन्होंने कहा कि भाजपा और जेडीएस के बीच तालमेल होगा। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह जेडीएस को चार लोकसभा सीट देने के लिए राजी हो गए हैं। येदियुरप्पा ने कहा कि देवगौड़ा के साथ गठबंधन ने हमें काफी ताकत दी है। इससे हमें 25-26 लोकसभा सीट जीतने में मदद मिलेंगी।