कोरोना काल में शुरू हुए मानसून सत्र के पहले दिन, 14  सितंबर को राज्‍यसभा उप सभापति का चुनाव संपन्‍न हुआ। एनडीए उम्‍मीदवार हरिवंश लगातार दूसरी बार इस पद पर चुने गए। चुनाव के बाद जब राजद सांसद मनोज झा हरिवंश के स्‍वागत में भाषण देने के लिए खड़े हुए तो सभापति वेंकैया नायडू ने ऐसी चुटकी ली कि सदन में हंसी का माहौल बन गया।

मनोज झा को विपक्ष ने उप सभापति के लिए उम्‍मीदवार बनाया था, लेकिन अंत समय में विपक्ष ने मतदान की मांग नहीं की। इसके बाद हरिवंश ध्‍वनि मत से उप सभापति चुन लिए गए। असल में, मनोज झा को विपक्षी पार्टियों से समर्थन का भरोसा नहीं मिला। हरिवंश के निर्वाचन के बाद उनके स्वागत में भाषण देने के लिए जब सभापति वेंकैया नायडू ने मनोज झा का नाम पुकारा तो उन्‍होंने नायडू से पूछा, ‘खड़ा हो जाऊं, सर? इजाजत है खड़े होने की?’ इस पर वेंकैया नायडू ने कहा, ‘अभी खड़े होने का समय पूरा हो गया। चुनाव भी हो गया।’ इस पर सदन ठहाकों से गूंज उठा। (अठावले की तुकबंदी से कैसे बना हंसी का माहौल, यहां पढ़ें)

इसके बाद मनोज झा ने स्‍वागत भाषण शुरू करते हुए कहा, ‘धन्यवाद सभापति महोदय। आपका बहुत बहुत धन्यवाद। हमारे सदन के सभी सहयोगियों विपक्ष, सत्ता पक्ष सबका बहुत-बहुत शुक्रिया। सर माननीय उपसभापति महोदय जो चयनित हुए हैं, हरिवंश जी। यह कभी भी मामला दो व्यक्तियों का नहीं था। कभी भी नहीं और कभी भी मामला व्यक्तियों का नहीं होना चाहिए। क्योंकि व्यक्ति विमर्श में मुद्दे छूट जाते हैं।’

उन्होंने कहा, ‘दो प्रस्थापनाओं के बीच की बात थी। अच्छा हुआ कि मध्य रास्ते हमने रुककर के यह तय किया कि यह एक यहां मिलन मंदिर है, जहां बातचीत हो सकती है। यह लोकतंत्र की सबसे खूबसूरत चीज है। सर एमसी छागला अपने शिक्षा मंत्री थे। उन्होंने एक किताब लिखी, ऑटोबॉयोग्राफी है उनकी रोजेज इन दिसंबर। अक्सर हम पॉलिटिक्स में कहते हैं, ए पॉलिटिक्स हैव आर्ट ऑफ पॉसिबिल।’

मनोज झा ने कहा, ‘वे (एमसी छागला) इसको चैलेंज करते हैं सर। पॉलिटिक्स शुड भी ऑर्ट ऑफ इंपासिबल। हमने क्या किया, पॉसिबिलिटीस के चक्कर में, लोएस्ट हैंगिंग फ्रूट को पकड़कर के राजनीति उसी के इर्द-गिर्द हो रही है। मैं पुनः धन्यवाद देता हूं और अपने तमाम साथियों, विपक्ष, सत्ता पक्ष का।’ इसके बाद मनोज झा ने अहमद फराज का एक शेर पढ़ा। उन्होंने कहा, ‘अहमद फराज कहते हैं, तू मुहब्बत से कोई चाल तो चल, हार जाने का हौसला है मुझमें। शक्रिया सर, जयहिंद।’